Home Una Special धूमल अनुराग ठाकुर को सुप्रीमकोर्ट से बड़ी राहत…

धूमल अनुराग ठाकुर को सुप्रीमकोर्ट से बड़ी राहत…

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पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और सांसद अनुराग ठाकुर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन पर दर्ज आपराधिक षडय़ंत्र की एफआईआर उच्चतम न्यायालय ने रद कर दी है।

शुक्रवार को सुनाए फैसले में जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस अशोक भूषण और अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि हम अपील को मंजूर करते हैं और दर्ज प्राथमिकी रद की जाती है। एचपीसीए ने हिमाचल हाईकोर्ट के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें पूर्व सीजे मंसूर अहमद मीर और जस्टिस तरलोक चौहान ने एफआईआर रद करने से इनकार कर दिया था। इसी फैसले को एचपीसीए ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। पूर्व कांग्रेस सरकार के समय हाईकोर्ट ने 482 सीआरपीसी के तहत डाले एफआईआर रद करने के आवेदन को खारिज कर दिया था और विजिलेंस ने अगले दिन ही धर्मशाला कोर्ट में इस केस में चालान पेश कर दिया था।

इसके बाद एचपीपीए को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिला और इस केस में ट्रायल शुरू नहीं हो पाया। राज्य में सरकार बदलने के बाद जयराम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित में कहा था कि ये राजनीतिक मामला है और हम इसे आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। लेकिन एचपीसीए ने सुप्रीम कोर्ट से मेरिट पर ही केस डिसाइड करने को कहा था ताकि दोबारा ट्रायल कोर्ट में न जाना पड़े। सुप्रीम कोर्ट ने बहस के बाद 1 अक्तूबर को इस बारे में फैसला सुरक्षित रखा था।

सुप्रीमकोर्ट में ये केस मेरिट पर डिसाइड हुआ है। इसलिए वीरभद्र सिंह बताएं कि उन्हें झूठा केस बनाकर क्या मिला? राजनीतिक आधार पर मामले बनाने वालों के लिए ये आत्मचिंतन का समय है। ” -प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्यमंत्री “हमें इस देश की न्यायपालिका पर भरोसा था। आखिर न्याय की जीत हुई है। क्रिकेट के लिए प्रदेश में किये गए काम को राजनीतिक निशाना बनाया गया। जो दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मानसिकता के लिए ये फैसला सबक है।”  -अनुराग ठाकुर, अध्यक्ष एचपीसीए एवं सांसद

2012 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद विजिलेंस ने 1 अगस्त 2013 को एफआईआर नंबर 12-2013 के तहत धर्मशाला थाना में आपराधिक षडयंत्र रचकर सरकारी जमीन हथियाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया। इसमें कुल 17 लोगों को आरोपी बनाया गया। इनमें प्रेम कुमार धूमल, अनुराग ठाकुर, अरुण धूमल, अफसरों में दीपक सानन, अजय शर्मा और गोपाल चंद और शेष एचपीसीए के पदाधिकारी थे। सह आरोपियों में आईएएस अफसरों टीजी नेगी, सुभाष आहलूवालिया, आरएस गुप्ता और सुभाष नेगी को कालम नंबर 12 में रखा गया था।

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