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ऊना प्रदेश में चंद सालों में कर्मचारी राजनीति का दुर्भाग्यपूर्ण दूर शुरू हुआ…

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ऊना: प्रदेश में चंद सालों में कर्मचारी राजनीति का दुर्भाग्यपूर्ण दूर शुरू हुआ है ,इसके लिए सरकारें कम और कर्मचारी नेताओं का स्वार्थ अधिक जिम्मेवार है ,जो कर्मचारियों के हित की लड़ाई लड़ने के स्थान पर सत्ता की गोद में बैठने का ज्यादा प्रयास करते हैं।

यह बात हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के वरिष्ठ नेता रहे हरिओम भनोट ने कही।उन्होंने कहा कि आज की संगठन की स्थिति देख मन भारी होता है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी महासंघ की स्थापना दिवस अभी निकला है और आज कर्मचारी राजनीति किस गिरे हुए स्तर तक पहुंच गई है ,यह आत्म चिंतन का विषय  वर्तमान समय के कर्मचारी नेताओं के लिए है। उन्होंने कहा कि उन नेताओं को अब सोचना चाहिए कि वे किस मुंह से अपने आप को कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने के लायक समझते हैं ।उन्होंने कहा कि सरकारों की गोद मे बैठकर राजनीति ही करनी तो इससे अच्छा की घर ही बैठे।
उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों से विश्वाश गिरा  है,  संगठन के नाते कार्य संस्कृति को आगे बढ़ाएंगे, कर्मचारियों के दुख सुख के साथी बनेंगे, कर्मचारियों की न्याय संगत मांगों के लिए बात करेंगे यह सोच अब कहा है, बल्कि आज प्रतिस्पर्धा इस बात की है कि कौन किस सरकार की गोद में बैठेगा। उन्होंने कहा कि  राजनीतिक दलों व सरकारों के साथ कर्मचारियों के संबंध मधुर रहने चाहिए ,उनका लाभ कर्मचारियों की मांगों को सुलझाने के लिए मिलना ही चाहिए ,लेकिन सत्ता की चादर अपने ऊपर डालने के लिए कर्मचारियों के हितों की बलि दे दी जाएगी, यह कर्मचारी संगठन की आदत नहीं होनी चाहिए ।
उन्होंने कहा कि आज भी प्रदेश में अनेक पूर्व कर्मचारी नेता हैं जिन्होंने लंबे समय तक अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के गौरवमयी इतिहास को अपने संघर्ष के साथ बनाया है और हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के संघर्ष को और एकता को ना केवल भारत बल्कि विश्व में याद किया गया था। उन्होंने कहा कि आज उसी ताकतवर संगठन के अनेक टुकड़े किए जा रहे हैं ,आखिर क्या जरूरत है विभिन्न गुटों में बांटने की ?क्या स्वार्थ है ?उन्होंने कहा कि  कर्मचारी हित के लिए सभी को अपना स्वार्थ छोड़कर एक बैनर तले सभी को एकजुट होना चाहिए और सिर्फ कर्मचारियों के हित की बात सोचनी चाहिए ।
उन्होंने कहा कि हमें दुख होता है कि पिछले कुछ वर्षों से कर्मचारी वर्ग भी अब कर्मचारी संगठन को इसलिए अहमियत नहीं देते क्योंकि कर्मचारी नेताओं ने अपनी गंभीरता को खत्म कर लिया है ।उन्होंने कहा कि आज के कर्मचारी नेताओं को उस दौर को याद करना चाहिए जब हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ स्वर्णमयी इतिहास के चलते कर्मचारियों की बड़ी से बड़ी मांग को पूरा किया गया था और न्याय संगत मांगों के लिए लंबे संघर्ष किए गए थे और कर्मचारियों ने बलिदान भी दिया है।उन्होंने कहा कि आज हम उन कर्मचारियों के बलिदान को भी जाया कर रहे। उन्होंने कहा कि आज के कर्मचारी नेतृत्व की दिशा नहीं है और भटकाव के चलते ना सरकार और न कर्मचारी गंभीरता से ले रहे हैं।

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