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कांग्रेस साधती रही है मोदी सरकार पर निशाना मोदी सरकार के वादों को दिया ‘जुमला करार इन कामों का मिल सकता है फायदा…

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भले हीकांग्रेस केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा साढ़े चार साल के कार्यकाल में बहुत-से वादों को भूल जाने का दावा करते हुए उन्हें ‘जुमला’ करार दे रही है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसी योजनाएं और काम हैं, जिनका लाभ BJP-नीत सरकार को आम चुनाव 2019 में मिल सकता है. सरकार के दावों के मुताबिक, इन योजनाओं के फलस्वरूप करोड़ों देशवासी लाभान्वित हुए हैं, और होंगे, सो, उन्हें पूरी उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव 2019 में विपक्षी दलों की आलोचना के बावजूद जनता उनका साथ देगी, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय प्रशासन के शीर्ष पद पर दूसरा कार्यकाल ज़रूर हासिल होगा.आइए जानते हैं, नरेंद्र मोदी सरकार के ऐसे ही 10 कामों/योजनाओं के बारे में, जो उन्हें आम चुनाव में फायदा पहुंचा सकती हैं.

 

केंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम महीनों में अचानक एक विधेयक पेश किया, जिसमें अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों को दिए जाने वाले आरक्षण से इतर शिक्षा क्षेत्र तथा सरकारी नौकरियों में उन सवर्णों, मुस्लिमों तथा ईसाइयों को भी 10फीसदी आरक्षण दिए जाने का प्रस्ताव था, जिन्हें आर्थिक रूप से पिछड़ा माना जा सके. इसकी परिभाषा में आठ लाख रुपये से कम वार्षिक आय अथवा पांच एकड़ से कम ज़मीन अथवा1,000 वर्गफुट से कम आकार का मकान आदि मानक तय किए गए. सरकार का कहना है,इससे समाज में समता पैदा होगी, और अब तक जो लोग आरक्षण का लाभ नहीं हासिल कर पा रहे थे, उन्हें भी बराबर के अवसर हासिल होंगे.

 

आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, जिसे आमतौर पर ‘मोदी केयर’कहकर पुकारा जाता है, को 1 अप्रैल, 2018 से लागू कर दिया गया है. केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा वित्तवर्ष 2018-19 के आम बजट में प्रस्तावित की गई नरेंद्र मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे (BPL) आने वाले परिवारों को पांच लाख रुपये तक का नकदीरहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाना है. बताया गया है 10 करोड़ BPL परिवारों के 50 करोड़ सदस्यों को इस योजना का लाभ देने के बाद इसमें शेष भारतीयों को भी शामिल किया जाएगा.

उज्ज्वला योजना मूल रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिमाग की उपज बताई जाती है,जिन्होंने करोड़ों संपन्न भारतीयों से रसोई गैस सिलेंडरों पर मिलने वाली सब्सिडी को स्वेच्छा से छोड़ देने की अपील की, और केंद्र सरकार का दावा है कि इस अपील के परिणामस्वरूप करोड़ों लोगों ने सब्सिडी का त्याग कर दिया, और उसकी बदौलत पांच करोड़ गरीब महिलाओं के रसोईघरों में रसोई गैस पहुंची, या उनके परिवारों को सीधा लाभ मिला. दरअसल, पिछलीUPA सरकार के कार्यकाल के दौरान रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी को सीमित कर दिया गया था, और गैर-BPL परिवारों को साल में सिर्फ नौ रसोई गैस सिलेंडरों पर सब्सिडी मिलती थी, लेकिन उसके बाद इस्तेमाल किए जाने वाले सिलेंडरों पर कोई सब्सिडी नहीं दी जाती थी.

 

नरेंद्र मोदी सरकार का कहना था कि आज़ादी के बाद लगभग 70 साल बीत जाने पर भी देश की करोड़ों की आबादी बैंकिंग व्यवस्था से अछूती रही, और अधिकांश जनता के पास एक बैंक बचत खाता तक नहीं था, सो, वे यह योजना लेकर आए, जिसके तहत ज़ीरो-बैलेंस बैंक बचत खाते खुलवाए गए. केंद्र सरकार की सबसे ज़्यादा कामयाब योजनाओं में जन-धन बैंक खाता योजना का ज़िक्र किया जाता है, जिससे न सिर्फ करोड़ों भारतीयों को बैंकिंग व्यवस्था से सीधे जुड़ने का मौका मिला, बल्कि योजना से लाभान्वित हुए गरीब देशवासियों ने ज़ीरो-बैलेंस खाते होने के बावजूद 81,203 करोड़ रुपये बैंकों में जमा कराए.

 

भारत में जीवन बीमा करने के लिए आज लाइफ इंश्योरेंस ऑफ इंडिया (LIC) समेत कई कंपनियां मौजूद हैं, जिनके पास करोड़ों ग्राहक भी हैं, लेकिन सरकार की तरफ से कभी कोई बीमा पॉलिसी जारी नहीं की गई थी. 9 मई, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसुरक्षा योजना के तहत तीन योजनाओं की घोषणा की थी, जिनमें प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना भी शामिल थी. PMJJBY दो लाख रुपये तक का जीवन बीमा प्रदान करती है, यानी बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने की स्थिति में उसके परिवार को दो लाख रुपये की राशि दी जाती है. PMJJBY के तहत मिलने वाली पॉलिसी को हर वर्ष नवीकृत करना होता है,और उसके लिए 330 रुपये की प्रीमियम राशि देनी होती है. इस राशि के अतिरिक्त बीमित व्यक्ति को मौजूदा वर्ष में लागू सर्विस टैक्स तथा बैंकों की एडमिनिस्ट्रेटिव फीस के तौर पर41 रुपये चुकाने होते हैं. केंद्र सरकार का दावा है कि मई, 2018 तक लगभग 19 करोड़ भारतीय इस योजना में शामिल हो चुके हैं. 9 मई, 2015 को प्रधानमंत्री ने जिन दो अन्य योजनाओं की घोषणा की थी, वे प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना हैं.

 

देश की लगातार बढ़ती आबादी के बीच बेरोज़गारी ऐसी समस्या रही है, जिसने अधिकतर भारतीयों को परेशान कर रखा है. इसी समस्या से निपटने के उद्देश्य से नरेंद्र मोदी सरकार ने लोगों को स्वरोज़गार की ओर मोड़ने का प्रयास किया, तथा युवाओं से अपना-अपना कारोबार स्थापित करने का आग्रह करते हुए मुद्रा योजना शुरू की, जिसके तहत सरकार की ओर से ऋण उपलब्ध कराया जाता है, ताकि लोग अपना व्यापार शुरू कर सकें या पहले से स्थापित व्यापार का विस्तार कर सकें. इस योजना को भी सरकार खासा कामयाब बताती है, और उसका दावा है कि मई, 2018 तक मुद्रा योजना के अंतर्गत 12,78,08,684 ऋण वितरित किए गए हैं.

देश में किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ती नज़र आ रही थीं, और आएदिन किसानों द्वारा खुदकुशी करने की ख़बरें बिल्कुल आम हो चुकी थीं, जो अब तक थमी नहीं हैं. नरेंद्र मोदी सरकार ने उनकी समस्याओं का निराकरण करने के उद्देश्य से सॉयल हेल्थ कार्ड बनाने की घोषणा की, जिसके तहत मई, 2018 तक 13,33,13,396 सॉयल हेल्थ कार्ड बनाए गए. केंद्र सरकार का दावा है कि सॉयल हेल्थ कार्ड से किसानों को सीधा लाभ पहुंचेगा और वह इस कार्ड की मदद से न सिर्फ ज़मीन की उपजाऊ शक्ति को समझ पाएंगे, बल्कि यह भी जान पाएंगे कि उन्हें किस फसल के लिए कितना यूरिया और खाद खर्च करना पड़ेगा. सरकार का दावा है कि इस सॉयल हेल्थ कार्ड की मदद से किसानों को अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी.

 

देश में लगातार बढ़ती आबादी के साथ-साथ बिजली की मांग भी लगातार बढ़ ही रही है,जिससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने जनता से आग्रह किया कि साधारण बल्बों, ट्यूबलाइटों तथा सीएफएल बल्बों के स्थान पर एलईडी बल्बों का इस्तेमाल किया जाए, ताकि बिजली की खपत को कम किया जा सके. यही नहीं, सरकार ने उजाला योजना के अंतर्गत सस्ती दरों पर LED बल्ब भी उपलब्ध करवाए, और नरेंद्र मोदी सरकार का दावा है कि उजाला योजना के तहत मई, 2018 तक 29,96,35,477 LED बल्ब लोगों में बांटे गए हैं.

अब इंटरनेट से शहरी भारतीय ही नहीं, बहुत-सा ग्रामीण हिस्सा भी नावाकिफ नहीं है, लेकिन तकनीक का पूरा लाभ अब तक भी सारे देश में नहीं पहुंच रहा था. देश के सभी गांवों तक तकनीक का फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से नरेंद्र मोदी सरकार ने ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये सारे देश में नेट-कनेक्टिविटी की व्यवस्था करने के लिए BBNL के माध्यम से काम शुरू किया. सरकार का कहना था कि गांवों तक तकनीक का विस्तार होने से भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा, और सभी देशवासियों तक सूचना का विस्तार भी सरल हो सकेगा. केंद्र सरकार का दावा है कि मई, 2018 तक देश के 1,15,703 गांवों को इस योजना से जोड़ा जा चुका है.

आज़ादी के 70 साल से भी ज़्यादा बीत चुके थे, लेकिन देश के कोने-कोने तक बिजली भी नहीं पहुंच पाई थी.  इसी तस्वीर को बदलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कदम उठाया, और अब उनका दावा है कि मई, 2018 तक देश के ऐसे 18,374 गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है, जहां अब तक बिजली नहीं थी.

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