दरअसल, लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाले की जांच चल रही थी. 1997 का साल था. सीबीआई के संयुक्त निदेशक यूएन बिस्वास इस मामले की जांच कर रहे थे. बिस्वास लालू यादव की गिरफ्तारी चाहते थे. उनके खिलाफ वारंट भी था. बिस्वास ने पटना के एसपी को लालू की गिरफ्तारी करने के लिए सेना की मदद लेने तक को कह दिया था. राज्य सरकार सीबीआई को सहयोग नहीं कर रही थी. कहा जाता है कि बिस्वास ने बिहार के मुख्य सचिव से संपर्क साधा था, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए. डीजीपी से बातचीत की गई, तो उन्होंने एक तरीके से पूरे मामले को ही टाल दिया था. कोई चारा न देखकर, बिस्वास ने सेना की मदद लेने की बात कह दी थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पटना हाईकोर्ट ने मौखिक आदेश भी दिया था.
हालांकि, बिस्वास को सेना की मदद नहीं मिली. बाद में सीबीआई कोर्ट गई. कोर्ट ने डीजीपी से कारण बताने को कहा था.