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BCCI के सदस्य ही क्रिकेट बोर्ड में चुनाव की सबसे बड़ी बाधा: विनोद राय….

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन कई अहम मुद्दों पर देश की बड़ी हस्तियों ने अपनी बात रखी. दूसरे दिन के पहले सेशन में हिस्सा लेने आए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित बीसीसीआई को चलाने वाली कमेटी के प्रमुख विनोद राय ने देश में क्रिकेट को लेकर अहम बात कही. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमें चुनाव करवाने की जिम्मेदारी दी है, लेकिन बोर्ड के ही कुछ सदस्य ऐसे हैं जो नहीं चाहते हैं कि चुनाव हों.

विनोद राय ने कहा कि अगर बीसीसीआई के लोगों ने अच्छा काम किया होता तो सुप्रीम कोर्ट को क्रिकेट में नहीं घुसना होता. उन्होंने कहा कि हमारे देश में क्रिकेट एक धर्म है, उसकी सुरक्षा होना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट के पास काफी तरह की बातें पहुंची हुई हैं.

राजदीप सरदेसाई के साथ चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि जब मैं बीसीसीआई में गया तो बतौर नाइटवॉचमैन गया था. लेकिन 25 महीने से ही बैटिंग कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि मेरा काम है कि वहां चुनाव हो, लेकिन बीसीसीआई के ही कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं ताकि चुनाव ना हो और उनकी सीटें बच सकें.

देश में संस्थानों की स्थिति पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में बहस होना जरूरी है, किसी भी संस्थान को लेकर भी बहस होना जरूरी है. उन पर सिर्फ इसलिए भरोसा नहीं कर सकते कि वह संवैधानिक हैं, संस्थाओं से भी सवाल पूछा जाना चाहिए.

विनोद राय ने कहा कि इससे पहले भी ये संस्थान दबाव में आते रहे हैं, कोई भी ऑडिटर को नहीं मानता है. ऑडिटर सिर्फ गवर्नेंस को सुधारने की कोशिश करता है. संस्थानों को लेकर बहस होना जरूरी है, क्योंकि उससे कई तरह की नई बातें सामने आती हैं.

वित्त मंत्रालय में मुख्य इकॉनोमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने आरबीआई और सरकार के विवाद पर कहा कि पहले भी सरकार और आरबीआई के बीच में विवाद होता रहा है, सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर में ऐसा होता है.

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक को पूरा अधिकार दिया गया है, जिसका असर महंगाई कम करने में हुआ. रिजर्व बैंक सरकार का ही हिस्सा है, वो अलग नहीं है. रिजर्व एक्ट के तहत सरकार और संस्था एक साथ सुझाव करके आगे बढ़ सकती हैं.

उन्होंने बताया कि किसी भी गवर्नर ने नहीं कहा कि वह सरकार के दबाव की वजह से जा रहे हैं. संस्थान को ताकत देना जरूरी है, लेकिन उसका जवाबदेह होना भी उतना ही जरूरी है.

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