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भोपाल की अदालत परिसर से सेंट्रल जेल के कैदियों तक पहुंच रही ड्रग्स; पेशी पर आए बंदी को चरस देते पकड़ा…

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भोपाल सेंट्रल जेल में अदालत के बैरक के जरिए मादक पदार्थ की तस्करी का बड़ा खुलासा शुक्रवार को हुआ है। इस बार सुरक्षा में लगे स्टाफ की नजर इस गड़बड़ी पर पड़ गई और तस्करी कर रहे एक युवक को पकड़ लिया गया। हैरानी की बात ये है कि चरस सप्लाई कर रहे युवक को दोपहर एक बजे पकड़ा गया था, लेकिन एमपी नगर पुलिस ने रात 9 बजे तक उस पर एफआईआर तक नहीं की थी। सवाल किया तो टीआई ने दलील दी कि ऐसी कार्रवाई में थोड़ा वक्त तो लगता है।

अदालत के बंदी गृह से आरक्षक रामसेवक और महावीर तिवारी तीन अन्य पुलिसकर्मियों के साथ कुछ आरोपियों को सीजेएम कोर्ट में पेशी कराने लेकर आए। वहां पहले से मौजूद एक युवक ने जेल से पेशी पर आए बंदी को कुछ सामान देने की कोशिश की। आरक्षक रामसेवक ने विरोध किया, लेकिन युवक लगातार प्रयास करता रहा। संदेह होने पर रामसेवक और महावीर ने युवक को दबोच लिया। उसके पास से चरस के दो गोले मिले। पुलिस ने सीजेएम को जानकारी दी।

चरस के साथ पकड़ाए युवक को पुलिस अदालत परिसर से एमपी नगर थाने ले गई। पुलिस की नाकामी छुपाने के लिए रात 9 बजे तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई। रात 9 बजे एमपी नगर टीआई मनीष राय ने कहा कि अभी आधे घंटे में एफआईआर दर्ज हो जाएगी इसके बाद पूरी जानकारी दे सकेंगे। टीआई ने कहा कि कार्रवाई में समय तो लगता है न।

जेल से पेशी पर आने वाले बदमाशों से अदालत में मुलाकात करने वालों की संख्या पर कोई रोक टोक नहीं है। जेल से पेशी पर आने वाले घर से आया हुआ खाना भी कोर्ट रूम के बाहर खाते हंै। इसके लिए खर्चा करना पड़ता है। कई बार पेशी पर आने वाले बदमाशों को सुविधा देने के लिए लंच के दस मिनट पहले बंदी गृह से निकाला जाता है। 2 से 3 बजे तक कोर्ट में लंच रहता है। अदालत से पेशी करने के बाद कोर्ट रूम के बाहर या अदालत परिसर में बंद पड़ी कैंटीन में खाना पीना और मेल मुलाकात का नजारा अब आम हो चला है।

यह पहला मौका नहीं जब अदालत परिसर में मादक पदार्थ के साथ कोई पकड़ा गया हो। इसके पहले भी कई बार पेशी पर मिलने आए लोग चरस, गांजा देते पकड़े जा चुके है। पुलिस नाकामी छुपाने के लिए मामला रफा-दफा कर देती है। शनिवार को भी ऐसा ही कुछ होता, लेकिन भास्कर संवाददाता ने पूरा घटनाक्रम कैमरे में कैद कर लिया। इसके चलते पुलिस को देर रात एफआईआर दर्ज करनी पड़ी।

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