Home मध्य प्रदेश कांग्रेस के ब्राह्मण कार्ड से बंट सकता है भाजपा का वोट बैंक…

कांग्रेस के ब्राह्मण कार्ड से बंट सकता है भाजपा का वोट बैंक…

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उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से सटी विंध्य क्षेत्र की सतना लोकसभा सीट का चुनाव पिछड़ी जातियों और सवर्णों के बीच फंसा है। भाजपा ने तीन बार के सांसद गणेश सिंह, जबकि कांग्रेस ने 43 साल बाद यहां ब्राह्मण उम्मीदवार के रूप में राजाराम त्रिपाठी को उतारा है। यहां ब्राह्मणों की आबादी सर्वाधिक है और कांग्रेस अब तक ठाकुर नेताओं पर ही दांव लगाती रही। इस बार उसने ब्राह्मण को तवज्जो दी। ब्राह्मण कई चुनाव से भाजपा के वोट बैंक माने जाते रहे हैं, पर इस बार उसके बंटने की संभावना है, क्योंकि राजाराम की छवि साफ-सुथरी है। कांग्रेस इसी के सहारे मैदान में जुटी हुई है।

गणेश से हारने वाले पिछले तीनों उम्मीदवार भी ठाकुर थे। गणेश हर चुनाव 1 से 3 फीसदी वोटों के अंतर से जीतते रहे। पिछली बार उन्होंने पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को 8 हजार वोटों से हराया था। भाजपा इस सीट की 4 विधानसभा सीटों, जबकि कांग्रेस 2 सीटों पर शहरी-ग्रामीण दोनों जगह मजबूत दिख रही हैं। एक सीट पर बसपा दूसरी ताकत बन सकती है। ब्राह्मणों के बाद यहां कुर्मी (पटेल) मतदाता हैं। सतना शहर के महापौर रहे राजाराम बड़े ट्रांसपोर्ट कारोबारी हैं। उनके परिवार में 100 से अधिक ट्रकों को बेड़ा है। कांग्रेस भाजपा सांसद की वादाखिलाफी, खराब सड़कें, प्रदूषण, स्मार्ट सिटी में सतना की उपेक्षा, रीवा के विकास को ज्यादा अहमियत देने का आरोप लगा रही है।

कुशवाहा वोटर भी साधते हैं समीकरण : सतना में कुशवाह समाज की बड़ी आबादी भी एक बड़ा फैक्टर है, जो थोकबंद वोटिंग के लिए जाने जाते हैं। पूर्व सांसद सुखलाल कुशवाह के बेटे सिद्दार्थ कुशवाह कांग्रेस से विधायक हैं। वे विस चुनाव से पहले बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे। हालांकि वे एक वीडियो जारी कर कांग्रेस के चुनाव प्रचार से खुद को अलग कर चुके हैं। बसपा ने भी अच्छेलाल कुशवाह को टिकट देकर वोटों में सेंध लगाने की कोशिश की है।

  • चित्रकूट :  कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी विधायक हैं। विस चुनाव की 10 हजार से ज्यादा वोट की लीड और ब्राह्मण बाहुल्य सीट होने के कारण यहां कांग्रेस को बढ़त मिल सकती है।
  • रैगांव : भाजपा के जुगल किशोर बागरी विधायक हैं। 17 हजार वोट से जीते थे। ओबीसी वोटर अधिक होने से यहां गणेश को बढ़त मिल सकती है।
  • सतना : सुखलाल कुशवाह के बेटे सिद्दार्थ कुशवाह डब्बू कांग्रेस से विधायक हैं। शहरी इलाके में दोनों बराबर स्थिति में हैं। शहर में कुशवाह वोट ज्यादा हैं, इसलिए बसपा भी टक्कर में है।
  • नागौद : खजुराहो के पूर्व सांसद नागेंद्र सिंह भाजपा के विधायक हैं। यहां कुशवाह और कुर्मी वोट अधिक होने के कारण भाजपा को बढ़त मिल सकती है।
  • अमरपाटन : भाजपा के रामखिलावन पटेल विधायक हैं। यहां गणेश सिंह सीधे-सीधे बढ़त में हैं।
  • मैहर : भाजपा के नारायण त्रिपाठी विधायक हैं, लेकिन उनके पास सिर्फ 2984 वोट की लीड है। इसलिए ब्राह्मण बहुल इलाका होने से राजाराम की स्थिति चार महीने में मजबूत हुई है।
  • रामपुर बघेलान : भाजपा के विक्रम सिंह विधायक हैं। यहां बसपा दूसरे नंबर पर रही थी। कुर्मी और ठाकुरों के बीच टकराव रहता आया है। फिर भी फायदा भाजपा को हो सकता है।

सीट के सबसे बड़े मुद्दे

  • सतना को स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किया, लेकिन धरातल पर कोई काम शुरू नहीं हो सका।
  • शहर को ट्रैफिक जाम से मुक्ति दिलाने के लिए 3 बार बायपास रोड का भूमिपूजन खुद सांसद गणेश सिंह कर चुके हैं, लेकिन निर्माण अब तक नहीं हो सका।
  • शहर के बीचों बीच निर्माणाधीन फ्लाईओवर 2015 से बन रहा है, लेकिन डिजाइन में तकनीकी दिक्कत के कारण काम अधूरा पड़ा है।
  • बमीठा से 150 किमी बेला मार्ग 2013 से बन रहा है, लेकिन अब तक नहीं बन सका।
  • चित्रकूट और  मैहर को जिला बनाने की मांग चल रही है, लेकिन किसी पार्टी का स्टैंड इस मुद्दे पर साफ नहीं है।

सतना की सियासत को समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक निरंजन शर्मा कहते हैं कि गणेश के नाम पर दूसरी जातियों में नाराजगी है, इसके बावजूद मोदी के नाम पर उन्हें सवर्णों खासकर ब्राह्मणों के वोट मिल सकते हैं। यहां ठाकुरों के वर्चस्व अब घट रहा है और ओबीसी जातियों का दबदबा बढ़ा है। इस कारण पंचायत स्तर की राजनीति में पटेल और ठाकुरों के बीच ग्रामीण इलाकों में वर्चस्व की लडाई साफ दिखाई देती है।

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