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दिग्विजय ने कहा 1996 में नरसिम्हा राव की सरकार बन जाती तो मंदिर मसला हल हो जाता…

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मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भोपाल सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह भोपाल के विजन डॉक्यूमेंट, भगवा आतंकवाद, मुस्लिम परस्त छवि को लेकर चर्चा में हैं। इस पर भाजपा कई आरोप लगा रही है। इन्हीं आरोपों का उन्होंने खुलकर जवाब दिया। दिग्विजय से दैनिक भास्कर के स्टेट एडिटर अवनीश जैन की खास बातचीत…

भाजपा कहती है- आप आजमगढ़ जाते हैं,  लेकिन अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मत्था टेकने कभी नहीं गए ये तो मोदी से पूछिए, वे पीएम बनने के बाद आज तक राम जन्मभूमि क्यों नहीं गए जब आपने भोपाल से चुनाव लड़ने को हां कहा था, तब क्या इस बात का अंदाजा था कि भोपाल सबसे चर्चित सीट बन जाएगी कमलनाथ जी ने कहा- मुझे भोपाल से लड़ना है तो मैंने कहा- कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन, मैं हां कहने से पहले राहुल गांधी जी से बात करना चाहता हूं। फिर मुझसे राहुल जी ने कहा- अगर कमलनाथ जी चाहते हैं तो आपका क्या विचार है? मैंने कहा- तैयार हूं। हवा के साथ तो सभी बहते हैं, हवा के खिलाफ भी तो लड़कर देखना चाहिए।

आप राष्ट्रीय मुद्दों को छोड़ भोपाल के विकास की बात कह रहे हैं। क्या ‘मिस्टर बंटाढार’ की छवि से बाहर आने की कोशिश है? मेरी प्राथमिकताएं हैं- शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर। इसके लिए मॉडल ऑफ गवर्नेंस डिसेंट्रलाइज्ड होना चाहिए। इतने बड़े प्रांत में सेंट्रलाइजेशन से गर्वेंनेस सफल नहीं हो सकती। मैंने मुख्यमंत्री रहते इस पर बहुत काम किया। मेरी नीतियों की वजह से मप्र ह्यूमन इंडेक्स में सबसे ऊपर पहुंचा और साक्षरता, शिशु मृत्यु दर, कुपोषण में जो सुधार हुआ, उससे प्रदेश सामाजिक मापदंड पर सबसे ऊपर पहुंचा। ये सब पंचायती राज और विकेंद्रीकरण के चलते ही हुआ था। मेरे इंफ्रास्टक्चर के फैसलों पर बाद में भाजपा ने काम किया। तब भाजपा विरोध करती थी। उदाहरण के लिए टोल रोड्स का कंसेप्ट सबसे पहले मप्र ने अपनाया था, पंचायती राज सबसे पहले मैंने लागू किया, दोनों सफल रहे।

बीजेपी कहती है कि आप आजमगढ़ जाते हैं, आपने राम जन्मभूमि में मत्था क्यों नहीं टेका? मैं अयोध्या में राम जन्मभूमि कई बार गया। जब से रामलला टेंट में बैठे तब भी गया। लेकिन, मैंने कभी इसे प्रचारित नहीं किया। ये सवाल नरेन्द्र मोदी से पूछिए कि वे पीएम बनने के बाद आज तक राम जन्मभूमि क्यों नहीं गए। नरसिम्हा राव जी 96 में सरकार बना लेते तो यह मसला हल हो चुका होता। तब शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती, स्वरूपानंद सरस्वती आदि को लेकर श्रीराम जन्मभूमि रामालय ट्रस्ट बनाया था। सरकार उन्हें विवादित भूमि से बाहर की जमीन दे रही थी । मैं अपने धर्म का राजनीतिक उपयोग नहीं करता।

भाजपा का आरोप है कि आपने नर्मदा यात्रा अपनी मुस्लिमपरस्त छवि धाेने के लिए की?
इसमें उन्हें क्या ऐतराज होना चाहिए। वैसे राघौगढ़ फोर्ट में सात मंदिर हैं, उनमें अखंड ज्योत 100 साल से जल रही है, वो कौन सी छवि बनाने के लिए था। दशकों से मैं आषाढ़ पूर्णिमा में पंढरपुर मंदिर में पूजा के लिए जाता हूं, तीन बार गोवर्धन परिक्रमा की, वो किस छवि के लिए था।क्या दलित एजेंडा उस समय जरूरी था? भोपाल घोषणा में एससी-एसटी दोनों थे, इसका मूल उद्देश्य इन वर्गों को रोजगार के नए साधन देना था…

मोदी सरकार स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिश कर रही है। बीआरटीएस जैसे काम भी किए। इन्हें लेकर भोपाल, इंदौर में काफी कंट्रोवर्सी भी रही। क्या आपको स्मार्टसिटी सॉल्यूशन लगता है?  आज तक नरेन्द्र मोदी स्मार्ट सिटी का मतलब नहीं समझा पाए। स्मार्ट सिटी यानी बुनियादी तौर पर आपको अर्बन एरिया में पेयजल, सीवेज, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए। पुराने भोपाल में स्मार्टसिटी संभव नहीं है। यहां यदि बैरागढ़-गांधीनगर में स्मार्टसिटी बनाते तो आसानी से डिसेंट्रलाइज्ड प्लानिंग के साथ यह बन जाती। अभी स्मार्टसिटी के नाम पर पुराने मकान तोड़कर हाईराइज बिल्डिंग बना दी। जबकि सड़कें उतनी ही हैं और उन पर ट्रैफिक जाम रहता है।

आपके दस साल और शिवराज के 15 साल के शासन में क्या अंतर है? मध्यप्रदेश के पिछड़ेपन के क्या पैरामीटर्स थे। लिट्रेसी, माॅलन्यूट्रीशन, पेयजल, सिंचाई और पावर। मैंने शिक्षा और स्वास्थ्य पर फाेकस किया। माॅलन्यूट्रीशन और इंफेंट मॉर्टेलिटी रेट में मेरे कार्यकाल में कमी आई। वाटर कंजर्वेशन, वाटरशेड डेवलपमेंट पर ध्यान दिया, क्योंकि मध्यप्रदेश पठारी क्षेत्र है। यहां पानी बचाना जरूरी है। कैच वाटर वेयर इट फॉल्स के सिद्धांत को लागू किया। सिंचाई के लिए ज्यादा फंड अलोकेट किया। तब फंड का बहुत ज्यादा प्रॉब्लम था, डिवॉल्यूशन का सेन्ट्रल टैक्स इतना नहीं था। मैंने उसके लिए संघर्ष किया। वह डेढ़ गुना हो गया है। मप्र में काली मिट्‌टी के कारण सड़कों का मेंटेनेंस कम करना चुनौती था तो हमने पीपीपी मोड में रोड बनाए। दाल मिल पर शून्य प्रतिशत टैक्स किया था। हमनें पंचायतों को अधिकार दिया।  आपने अपने आखिरी इलेक्शन से पहले दलित एजेंडे पर काम किया था। क्या वो तब जरूरी था?

दलित एजेंडा नहीं वो भोपाल डिक्लेरेशन (भोपाल घोषणा)था। दलित केवल एससी ही होता है। डिक्लेरेशन में एससी-एसटी दोनों थे। वहां हमारी मूल सोच थी कि शासकीय सेवा में एससी-एसटी के लिए घट रही नौकरियों के मद्देनजर उन्हें रोजगार के नए साधन देना। हमने उनके लिए एंटरप्रेन्योरशिप तैयार की। डिप्लोमा होल्डर्स को इंजीनियरिंग के छोटे टेंडर दिए। एक लीलाबाई जो राजगढ़ से थीं, वो आज चार-पांच करोड़ के ठेके ले रही हैं। हमने कहा था जितनी शासकीय खरीद होगी, उसमें 30 फीसदी एससी-एसटी द्वारा सप्लाई होगी। भाजपा ने वो खत्म कर दिया। उनका आरोप है कि भगवा आतंकवाद और हिंदू आतंकवाद आपने ईजाद किया जिस व्यक्ति ने हिंदू आतंकवाद शब्द दिया, वह आरके सिंह  होम सेक्रेटरी थे। उसे तो बीजेपी ने मिनिस्टर बना दिया। उसके बारे में क्यों नहीं पूछते?

2002 के पहले जब आप सीएम थे, तब आप किसी के कंधे पर हाथ रखते थे और पूरी पब्लिक आपके पीछे भागने लगती थी। अचानक ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी ने आपको निशाना बनाकर एक विलेन के रूप में खड़ा कर दिया ऐसा क्यों हुआ‌? मैं जैसा था वैसा ही हूं। बीजेपी क्या सोचती या कहती है, फर्क नहीं पड़ता। मैं जब पावर में था और अब नहीं हूं, लेकिन जब भोपाल आता हूं सबसे ज्यादा लोग मुझसे मिलने आते हैं।

आप एक ऐसे नेता रहे हैं जो अपनी बात बहुत स्पष्टता के साथ रखते हैं, तो क्या आपकी साफगोई ने भी आपकी ऐसी छवि नहीं बनाई? लोगों ने ऐसी बहुत कोशिशें कर लीं। लेकिन मेरा कुछ नहीं बिगड़ा। मेरे लिए क्रेडिबिलिटी बहुत जरूरी है। आज भी मुझ पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। ऐसा कोई नेता नहीं है, जो 45 साल से राजनीति और 10 साल तक सीएम रहा हो और उस पर करप्शन का चार्ज न लगा हो। मेरी संपत्ति वही है जो मेरे पिता ने रख छोड़ी थी।

आपके आखिरी कार्यकाल में बिजली की काफी समस्या थी। अभी भी है। भाजपा कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है। जबकि हकीकत यह है कि आप लोग जनता को समझा नहीं पा रहे कि इसके लिए भाजपा जिम्मेदार है। आपको नहीं लगता कि ये अंधेरा आपको कष्ट पहुंचा सकता है?

तब अधिकांश पावर प्लांट और कोयला छत्तीसगढ़ में था, जबकि कंज्यूमर्स मप्र में ज्यादा थे। नतीजा ये हुआ कि विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ पावर सरप्लस हो गया और हम पावर डेफिसिट। तब  अजीत जोगी ने मप्र को बिजली न देकर गुजरात को बेची। मैंने सिंगाजी, सिंगरौली, सारणी, इंदिरासागर, ओंकारेश्वर के पावर प्लांट कंसीव किए, जो आज भी बिजली दे रहे हैं। पुराने प्लांट्स के रिनोवेशन और  नए प्लांट लगाने पर फोकस किया ताकि 2008 तक हम पावर सरप्लस स्टेट बन जाएं।  यह 2011 में हुआ। अभी बिजली कटौती पर मैंने रिसर्च किया। पता चला कि  डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी के कई कर्मचारी कांट्रेक्ट पर हैं। वो 2004 में भर्ती हुए थे। इनमें से कई जानबूझकर कटौती की कर रहे। यह भाजपा का पंद्रह साल का मिस गवर्नेंस हैं।

2014 के चुनाव में भोपाल में आलोक संजर करीब पौने चार लाख वोटों से जीते थे। क्या आप इस बड़े वोट अंतर को पाट पाएंगे? 2009 में हम 60 हजार से हारे थे। इस विधानसभा में हम करीब 60 हजार से हारे हैं। साठ हजार पूरा करने हैं, पौने चार लाख तो कब से पूरा हो गया।  यदि आप लोकसभा चुनाव हार गए तो क्या? मैं स्पोर्ट् समैन रहा हूं। काॅलेज यूनिवर्सिटी में चार-चार स्पोर्ट्स रिप्रजेंट किए, लेकिन हार और जीत खेल का एक हिस्सा है। यह चुनाव मैं जीत रहा हूं।

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