Home Editor Cliq एक दैत्य राजा का राज्य प्रेम

एक दैत्य राजा का राज्य प्रेम

79
0
SHARE
पुराणो में दैत्यों एवं देवों के युद्ध की कई कहानियाँ हमने सुनी आज मैं दक्षिण राज्य के दैत्य राजा महाबली से रूबरू कराता हूँ जो ना सिर्फ दयालु था बल्किअपने राज्य प्रेम के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था।
ओणम की कहानी भगवान विष्णु और उनके वामन अवतार से जुड़ी है.  प्राचीन मान्यताओं और मिथकों के अनुसार केरल में एक महाप्रतापी राजा हुआ करते था जिसका नाम था राक्षस नरेश बलि. वह विष्णु भगवान के परम भक्त प्रह्लाद का पौत्र था. बलि उदार शासक और महापराक्रमी था लेकिन राक्षसी प्रवृत्ति के कारण बलि ने देवदाओं के राज्य को बलपूर्वक छीन लिया था. राजा बलि ने देवताओं को कष्ट में डाल दिया. जब बलि से देवतागण बुरी तरह परेशान हो गए उन्होंने भगवान विष्णु से सहायता करने का आग्रह किया.
देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान श्री विष्णु ने वामन अवतार लिया और महर्षि कश्यप व उनकी पत्नी अदिति के घर जन्म लिया. एक दिन वामन बलि की सभा में पहुंचे. महा बलि ने श्रद्धा से वामन जी का स्वागत किया और जो चाहे मांगने को कहा.
वामन ने राजा से दान में तीन पग भूमि मांग ली. उदार महा बलि ने यह स्वीकार कर लिया. किन्तु जैसे ही महाबलि ने यह भेंट श्री वामन को दी, वामन का आकार एकाएक बढ़ता ही चला गया. वामन ने तब एक कदम से पूरी पृथ्वी को ही नाप डाला तथा दूसरे कदम से आकाश को. अब तीसरा कदम तो रखने को स्थान बचा ही नहीं था. तब राजा बलि ने अपना सिर झुका दिया. वामन भगवान ने पैर रखकर राजा को पाताल भेज दिया. चूंकि बलि की प्रजा उससे बहुत ही स्नेह रखती थी, इसीलिए श्रीविष्णु ने बलि को वरदान दिया कि वह अपनी प्रजा को वर्ष में एक बार अवश्य मिल सकेगा. अतः जिस दिन महा बलि केरल आते हैं, वही दिन ओणम के रूप में मनाया जाता है. इस त्यौहार को केरल के सभी धर्मों के लोग मनाते हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here