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कर्नाटक: ED की रडार पर डीके शिवकुमार, जानें उन्हें क्यों कहा जाता है कांग्रेस का संकट मोचक..

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कांग्रेस के संकटमोचक नेता डीके शिवकुमार एक बार फिर ईड़ी के रडार पर आ गए हैं. डीके शिवकुमार कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री है. डीके शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार दोपहर को पेश होने के लिए समन किया है. डीके शिवकुमार ने कहा है कि वे 1:00 बजे ईडी के सामने पेश होंगे. गुरुवार को कर्नाटक हाई कोर्ट ने उनकी एक याचिका को खारिज कर दिया था. याचिका में शिवकुमार ने ईडी के समन को खारिज करने की मांग की थी.अब चूंकि याचिका खारिज हो गई है इसलिए उन्हें ईडी के सामने पेश होना पड़ेगा. डीके शिवकुमार ने दिल्ली जाने के लिए बेंगलुरु से सुबह 11 बजे की फ्लाइट बुक की है. ईडी के समन के साथ ही बेंगलुरु में डीके शिवकुमार के घर के बाहर उनके समर्थकों का जुटना भी शुरू हो गया है.

ईडी के समन पर मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा, ‘’मैंने अदालत से अनुरोध किया था कि यहां एक साधारण सा आयकर का मामला है. मैं पहले ही आयकर रिटर्न दाखिल कर चुका हूं. इसमें प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग का कोई मामला नहीं है. कल रात उन्होंने मुझे एक बजे दिल्ली आने के लिए समन भेजा. मैं कानून की इज्जत करता हूं. पिछले दो सालों से मेरी 84 साल मां की पूरी संपत्ति को विभिन्न जांच अधिकारियों ने बेनामी संपत्ति के रूप में संलग्न किया गया है और मैं उसमें बेनामी हूं. हमारा सारा खून पहले ही चूसा जा चुका है.’’

वहीं, बता दें कि डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी चल रहा है. साल 2017 में इनकम टैक्स ने डीके शिवकुमार के 64 ठिकानों पर छापेमारी की थी. उनके खिलाफ टैक्स चोरी की शिकायतों पर कार्रवाई हुई थी. उस दौरान डीके शिवकुमार और बाकी कांग्रेस नेताओं ने राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का बीजेपी पर आरोप लगाया था. डीके शिवकुमार कर्नाटक कांग्रेस के सबसे अमीर नेताओं में से एक हैं. 2013 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 250 करोड़ बताई थी, जो अब बढ़कर 600 करोड़ रुपये हो गई है.

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार पार्टी के लिए संकट मोचक के तौर पर देखे जाते हैं. जब-जब पार्टी पर किसी भी तरह का कोई संकट आया तो डीके शिवकुमार ढाल बनकर खड़े रहे हैं. उन्हें राज्य में कांग्रेस के चाणक्य के तौर पर भी कहा जाता है. दरअसल 2018 विधानसभा चुनाव के बाद बनी जेडीएस कांग्रेस की गठबंधन की सरकार पर जब जब संकट के बादल मंडराते दिखे तब तब डीके शिवकुमार संकटमोचक बन कर विधायकों को मनाने के लिए पहुंच जाते थे.

पार्टी में जब भी बगावत के सुर तेज हुए तो डीके शिवकुमार यह सुनिश्चित करते थे कि किस तरह से बागी विधायक को मनाया जा सके. पिछले साल राज्य में 3 लोकसभा और 2 विधानसभा सीटें जीतकर उन्हें इसे साबित किया. उन्होंने विपक्ष के गढ़ बेल्लारी लोकसभा सीट और रामनगर विधानसभा सीट पर पार्टी को जीत दिलाई है. जिसके बाद पार्टी में उनका महत्व और बढ़ गया है. हालांकि लोकसभा चुनाव में वे पार्टी को जीत नहीं दिला पाए और बीजेपी ने पूरे कर्नाटक में स्वीप किया.

इससे पहले 2018 के मई में भी येदियुरप्पा की ढाई दिन की सरकार को गिराने में डीके शिवकुमार ने अहम भूमिका निभाई थी और अमित शाह की रणनीति पर पानी फेर दिया था. तब से उन्हें कर्नाटक की राजनीति का चाणक्य कहा जाने लगा. यही कारण है कि डी के शिवकुमार कर्नाटक की राजनीति में कांग्रेस का एक अहम चेहरा बन चुके हैं.सिद्धारमैया सरकार में डोड्डालाहल्ली केम्पेगौड़ा शिवकुमार ऊर्जा मंत्री रहें. डीके शिवकुमार वोकालिग्गा समुदाय से आते हैं. वह कर्नाटक की राजनीति में डीकेएस के नाम से चर्चित हैं. उन्होंने भले जेडीएस के नेतृत्व में सरकार बनाने में अहम रोल निभाया है लेकिन उनकी राजनीति की शुरुआत 1985 मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के पिता एचडी देवेगौड़ा के खिलाफ हुई थी.

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