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सुप्रीम कोर्ट का आदेश मुंबई के आरे में फिलहाल कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा..

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मुंबई के आरे में पेड़ों को बचाने के लिए दी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा. इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच कर रही है. आपको बता दें कि छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आरे के पेड़ों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. छात्रों ने CJI को इस मामले में एक चिट्ठी लिखी जिसमें कहा गया था कि उन्हें अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए मामले की तुरंत सुनवाई करने चाहिए और  पेड़ों के कटने पर रोक लगानी चाहिए. छात्रों की अपील में कहा गया है कि 4 अक्टूबर से ग़ैर क़ानूनी तरीके से पेड़ों को काटा जा रहा है और शांतिपूर्ण विरोध करने वालों को हिरासत में लिया गया है. इस बीच इस मामले में गिरफ़्तार 29 लोगों को सशर्त ज़मानत मिल गई थी जिन्हें देर रात रिहा कर दिया गया. ज़मानत की शर्त में इन्हें प्रदर्शन में भाग नहीं लेने को कहा गया है. दूसरी तरफ़ आरे में पुलिस की नाकेबंदी अभी भी जारी है लेकिन धारा 144 को हटा लिया गया है.

 कोई पेड़ फिलहाल नहीं कटेगा हो सकता है कि कभी ये वन क्षेत्र रहा हो लैंड यूज दो साल पहले बदला गया हम ये जानना चाहते हैं कि पहले इसका क्या स्टेटस हैं महाराष्ट्र सरकार रिपोर्ट  दे और बताए कि आपने कितने पेड़ काटे हैं. कितने पेड़ लगाए हैं इसकी जानकारी दे. सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा- पर्यावरण हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है.  पौधे लगाए जा रहे हैं. अभी कोई पेड़ न काटो : जस्टिस अरुण मिश्रा सुप्रीम कोर्ट का आदेश, मुंबई के आरे में फिलहाल कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा.जस्टिस अरुण मिश्रा ने पूछा ग्रीन बेल्ट कौन सा है?गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि आरे कॉलोनी 2012 में डिक्लियर किया गया था कि ये फॉरेस्ट लैंड है. जस्टिस मिश्रा ने कहा – क्या ये इको सेंसेटिव जोन ,ना होकर नो डेवलपमेंट जोन है? अगर इसका उल्टा है तो दस्तावेज दिखाइए

जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि क्या ये ” नो डेवलपिंग जोन था” इको सेंसेटिव जोन नहीं? याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इसे इको सेंसेटिव जोन से हटा दिया था. सुनवाई के दौरान वकील विनीत ढांडा की ओर से मेंशन किया जा रहा है कि ऐसे मामले में पहले की उनकी याचिका लंबित है

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