Home राष्ट्रीय CDS बिपिन रावत के De-Radicalisation कैंप वाले बयान पर ओवैसी ने पूछा…

CDS बिपिन रावत के De-Radicalisation कैंप वाले बयान पर ओवैसी ने पूछा…

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 चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कट्टरपंथ से निपटने के लिए De-Radicalisation कैंप बनाने की बात कही है. बिपिन रावता के इस बयान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े करते हुए पूछा है कि क्या हम लोगों पर एनआरसी और एनपीआर थोपने वालों को यहां भेजा जाएगा?

दिल्ली में चल रहे रायसीना डायलॉग में जनरल बिपिन रावत ने कहा है, ‘’जो लोग पूरी तरह कट्टर बन चुके हैं, उन्हें कट्टरता के खिलाफ कार्यक्रमों में शामिल करना होगा. जम्मू-कश्मीर में लोगों को कट्टर बनाया गया. 12 साल के लड़के-लड़कियों को भी कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है. इन लोगों को धीरे-धीरे कट्टरता से दूर किया जा सकता है. इसके लिए कैंप बनाना होगा. मैं आपको बता दूं कि पाकिस्तान भी यह कर रहा है. वहां कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले कैंप्स हैं, क्योंकि कुछ आतंकवादी संगठन उसे ही नकुसान पहुंचाने में लगे हैं.’’

रायसीना डायलॉग में जैसे ही चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने खुलासा किया कि भारत में कट्टरपंथ से निपटने के लिए विशेष कैंप चलाए जा रहे हैं, वो भी पाकिस्तान की तर्ज पर तो ओवैसी ने बिपिन रावत के इस बयान पर सवाल खड़े कर दिए.

असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके कहा, ‘’ ‘भीड़ हिंसा करने वाले और उनके आकाओं को कट्टरपंथ से कौन मुक्ति दिलाएगा? असम के बंगाली मुसलमानों के लिए नागरिकता का विरोध करने वालों के बारे में क्या? शायद ‘बदला’ योगी और ‘पाकिस्तान जाओ’ कहने वाले मेरठ के एसपी को कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाई जाएगी? शायद उन लोगों को कट्टरपंथ से दूर किया जाएगा जो एनपीआर-एनआरसी के जरिए हमारे ऊपर मुसीबतें थोप रहे हैं?’’

असदुद्दीन ओवैसी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘यह उनका (बिपिन रावत) पहला हास्यास्पद बयान नहीं है. नीति का निर्णय नागरिक प्रशासन करता है, न कि कोई जनरल. नीति या राजनीति पर बात करके बिपिन रावत सिविलियन सुपरमेसी को कम कर रहे हैं.’’ नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने एनपीआर यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ओवैसी एनपीआर का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इनका दावा है कि सरकार एनपीआर के जरिए ही देशभर में एऩआरसी लागू करने की तैयारी कर रही है. हालांकि सरकार इसे गलत करार दे चुकी है.

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