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अभिषेक बच्चन

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अभिषेक बच्चन हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता और फ़िल्म निर्माता हैं। अभिषेक बच्चन ने अपने सुपर स्टार पिता अमिताभ बच्चन की छाया में अपने फ़िल्मी कैरियर को प्रारम्भ किया। अमिताभ बच्चन का पुत्र होने के कारण से जहाँ उन्हें अच्छी फ़िल्में मिलने लगीं वहीं दूसरी ओर उनकी तुलना अमिताभ से होने लगी। अपने प्रारम्भिक समय में उनके कुछ विशेष सफलता नहीं मिली और उनकी कुछ फ़िल्में असफल रही, परन्तु धीरे धीरे उन्होंने फ़िल्मी जगत् में अपनी अलग छवि बना ली। फ़िल्म ‘सरकार’, ‘युवा’, ‘बंटी और बबली’ से उन्होंने अपने अभिनय कौशल का भी प्रमाण दे दिया। अपने अभिनय के साथ साथ उन्होंने फ़िल्म ‘ब्लफ़ मास्टर’ में गाना भी गाया

परिचय
अभिषेक बच्चन का जन्म 5 फ़रवरी, 1976 को महाराष्ट्र के बम्बई में हुआ था। उनके पिता सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और माता प्रसिद्ध अभिनेत्री जया बच्चन हैं। उनकी एक बहन है श्वेता, जो उद्योगपति निखिल नंदा से विवाहित है। अभिषेक ने अपनी स्कूली शिक्षा ‘जमनाबाई नर्सरी स्कूल’, ‘बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल’ और दिल्ली के ‘मॉडर्न स्कूल’ से की। स्कूल ख़त्म करने के बाद उन्होंने ‘ऐग्लों कॉलेज’ में दाखिला लिया। वे व्यापार पढ़ने के लिए अमेरिका गए पर अभिनेता बनने के लिए उन्होंने अपनी पढाई बीच में ही छोड़ दी।

विवाह
2002 में अमिताभ बच्चन के 60वें जन्मदिन पर उन्होंने ‘करिश्मा कपूर’ के साथ अपनी सगाई की घोषणा की, हालांकि 2003 में बिना कोई कारण बताये दोनों परिवारों ने यह सगाई तोड़ दी। 14 जनवरी 2007 को उन्होंने 1994 की ‘मिस वर्ल्ड’ ऐश्वर्या राय के साथ अपनी सगाई की घोषणा की और 20 अप्रैल 2007 को दोनों विवाह बंधन में बंध गए। 16 नवंबर को वह एक पुत्री आराध्या के पिता बने, जिसका जन्म मुंबई के सेवन हिल्स अस्पताल में हुआ।

अभिनय यात्रा
अभिषेक बच्चन ने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत ‘रिफ़्यूजी’ फ़िल्म से की। इसी फ़िल्म से उनकी सह कलाकार नायिका करीना कपूर भी पहली बार सिने चित्र पर दर्शकों के सामने आईं। इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर औसत कारोबार किया और अभिषेक को भी कुछ ख़ास सफलता नहीं मिली। उनकी अगली फ़िल्में ‘कुछ न कहो’ और ‘बस इतना सा ख्वाब है’ भी औसत रहीं। फ़िल्म ‘कुछ न कहो’ से ऐश्वर्या और अभिषेक बच्चन के बीच नजदीकियां बढ़ीं और दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे। अपने पिता की तरह ही अभिषेक की भी 17 फ़िल्में असफल रही पर 2003 के बाद उनका कैरियर चमकने लगा। 2003 में ‘मैं प्रेम की दीवानी हूँ’ और 2004 में मणिरत्नम की ‘युवा’ से उनके अभिनय कौशल को दर्शक सरहाने लगे। उन्हें पहली बड़ी सफलता मिली यशराज फ़िल्म ‘धूम’ से जो उस साल की सबसे बड़ी सफल फ़िल्म थी।

वर्ष 2005 से अबतक
उनका सुनहरा दौर आगे बढ़ा और 2005 में उन्होंने एक के बाद एक 4 सफल फ़िल्में दी। अभिनेत्री रानी मुखर्जी के साथ ‘बंटी और बबली’ 2005 की सबसे सफल फ़िल्मों में रही। इसी फ़िल्म में उन्होंने पिता अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय के साथ मशहूर आइटम गाना ‘कजरारे’ किया जो दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हुआ। उनकी अगली फ़िल्म ‘सरकार’ में उनके अभिनय को बेहद पसंद किया गया और उन्हें उनका पहला फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता पुरस्कार मिला। उनकी अगली फ़िल्में ‘दस’ और ‘ब्लफ़मास्टर’ भी उस साल की सफल फ़िल्मों में से रही। ब्लफ़मास्टर और धूम में वे पार्श्व गीतकार भी रहे। 2006 में उनकी फ़िल्म ‘कभी अलविदा न कहना’ विदेशों में अब तक की सबसे सफल फ़िल्म रही और उन्हें फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता का पुरस्कार मिला। हालांकि उनकी अगली फ़िल्म ‘उमराव जान’ बेहद असफल रही। उन्होंने धूम 2 से वापसी की जो उस साल की सबसे सफल फ़िल्म रही। 2007 में उन्होंने फिर ऐश्वर्या के साथ फ़िल्म ‘गुरु’ में जोड़ी बनायीं और दर्शकों ने उनके अभिनय को बेहद पसंद किया। कहा जाता है कि यह फ़िल्म धीरुभाई अम्बानी के जीवन पर आधारित थी। उनकी अगली फ़िल्म, ‘झूम बराबर झूम’ बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल रही। 2008 भी उनके लिए अच्छा रहा और उनकी 2 फ़िल्में ‘सरकार राज’ और ‘दोस्ताना’ साल की सबसे सफल फ़िल्मों में रही। 2009 में उन्होंने फ़िल्म ‘पा’ में अपने पिता अमिताभ बच्चन के पिता का किरदार निभाया। इस फ़िल्म में अमिताभ एक लाइलाज बीमारी ‘प्रोजेरिया’ से पीड़ित थे और अभिषेक उनके पिता थे। फ़िल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी अगली फ़िल्में, मणि रत्नम की ‘रावण”, आशुतोश गोवरिकर की ‘खेलें हम जी जान से’, ‘गेम’ और ‘दम मारो दम’ असफल रही। इनके बाद अभिषेक बच्चन ने ‘बोल बच्चन’ (2012), धूम 3 (2013) और ‘हैप्पी न्यू ईयर’ (2014) जैसी सफल फ़िल्में दीं।

टीवी पर मेजबानी
वर्ष 2010 में उन्होंने छोटे परदे पर क़दम रखा और कलर्स चैनल के लिये गेम शो ‘नेशनल बिंगो नाईट’ की मेजबानी की

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