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कोरोना वायरस की जंग में दुनिया भर में क्यों हो रही है केरल की तारीफ…

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भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के शुरुआती मामले केरल से ही सामने आए थे. जनवरी महीने के अंत में जब तीन भारतीय छात्र वुहान से केरल लौटे तो जांच में कोरोना पॉजिटिव पाए गए. केरल में कोरोना वायरस का सफर सबसे पहले शुरू तो हुआ लेकिन यहां उसकी रफ्तार बढ़ने नहीं दी गई.

केरल में फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण के 350 से ज्यादा मामले हैं. यहां कोरोना वायरस संक्रमण से दो मौतें हुई हैं और 34 फीसदी मरीज ठीक हो चुके हैं. केरल में रिकवर हुए मरीजों का प्रतिशत पूरे भारत में सबसे ज्यादा है.

दक्षिण भारत के इस राज्य में पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस के नए मामलों की तुलना में रिकवर होने वाले लोगों की संख्या ज्यादा होने का ट्रेंड बरकरार है. मंगलवार को भी केरल में कोरोना संक्रमण के सिर्फ 8 नए मामले सामने आए जबकि 13 मरीज रिकवर होकर घर लौट गए.

यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी केरल मॉडल की चर्चा हो रही है. मार्च महीने की शुरुआत में बीबीसी न्यूज टॉक शो में केरल की कोरोना वायरस की सफलतापूर्वक रोकथाम को लेकर केरल की सराहना की गई. बीबीसी टॉक शो में कहा गया कि निपाह और जीका वायरस से निपटने का अनुभव केरल के काम आया. इसी सप्ताह, वॉशिंगटन पोस्ट ने भी कोरोना वायरस की चुनौती से निपटने में केरल को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बताया. विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही केरल को शाबाशी दे चुका है.

केरल में आक्रामक तरीके से कोरोना संक्रमण की जांच, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, लंबी अवधि का क्वारनटीन, हजारों प्रवासी मजदूरों को शरण और जरूरतमंदों को खाना खिलाने जैसे तमाम कदम कोरोना वायरस से लड़ाई में असरदार साबित हुए. केरल में विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं और प्रवासियों की संख्या भी ज्यादा है, ऐसे में केरल को कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा था

केरल अप्रैल के पहले सप्ताह तक 13000 टेस्ट कर चुका है. यह संख्या आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे बड़े प्रदेशों में हुए टेस्ट की तुलना में कहीं ज्यादा हैं. केरल रैपिड टेस्ट और वॉक-इन टेस्ट करने में भी सबसे आगे रहा. रैपिड टेस्ट की वजह से केरल यह सुनिश्चित कर सका कि कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन ना हो.

केरल ने कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर लोगों के मन से डर को भी निकालने की कोशिश की. केरल का एक परिवार इटली से लौटा था लेकिन उन्होंने अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपा ली थी. इसके लिए सोशल मीडिया पर इस परिवार की खूब आलोचना हुई लेकिन राज्य सरकार के काउंसलर्स ने परिवार से नियमित संपर्क किया और इस टैबू को तोड़ने की कोशिश की. सरकार ने शुरू से ही लोगों को इस लड़ाई में शामिल किया.

वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है, केरल की सफलता की कहानी भारत सरकार के लिए काफी सकारात्मक भूमिका अदा कर सकती है. भारत में बड़े पैमाने पर लॉकडाउन कर दिया गया है लेकिन इसके बावजूद कोरोना वायरस के मामलों में कोई कमी देखने को नहीं मिल रही है. केरल ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए शुरुआत से ही सक्रियता दिखाई. राज्य सरकार ने तेजी से संक्रमण के मामलों की पहचान की और सामाजिक सहयोग जैसे कदम उठाए. केरल कोरोना वायरस की रोकथाम में पूरे देश के लिए एक मॉडल हो सकता है.

संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ और वायरलॉजिस्ट शाहिद जमील ने वॉशिंगटन पोस्ट से कहा, केरल इसलिए कामयाब हुआ क्योंकि उसका रवैया सख्त होने के साथ-साथ मानवीय भी था. टेस्टिंग, आइसोलेटिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट यही किसी भी महामारी से निपटने के तरीके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत में प्रतिनिधि हेंक बेकेडम ने केरल की कामयाबी के लिए अतीत के उसके अनुभव और स्वास्थ्य सुविधाओं में किए गए निवेश को क्रेडिट दिया. बेकहम ने जिला स्तरीय मॉनिटरिंग, रिस्क कम्युनिकेशन और कम्युनिटी स्तर पर संवाद जैसे कदमों की तारीफ की.

केरल में शुरुआत में ही ईरान और दक्षिण कोरिया समेत कोरोना वायरस हॉटस्पॉट बन चुके 9 देशों से आने वाले यात्रियों को लेकर स्क्रीनिंग कड़ी कर दी गई थी. 10 फरवरी से ही इन देशों से आने वाले यात्रियों के लिए होम क्वारंटीन लागू कर दिया गया था. जबकि दो सप्ताह बाद पूरे भारत में ऐसे प्रतिबंध लागू हुए. विदेशी पर्यटकों के लिए अस्थायी तौर पर क्वारंटीन शेल्टर बनाए गए.

केरल की स्वास्थ्य मंत्री के. के. शैलजा का कहना है कि शुरुआती सफलता के बाद छह राज्यों ने केरल से सलाह मांगी लेकिन दूसरे राज्यों में केरल का मॉडल लागू करना इतना आसान नहीं होगा. 30 साल के कम्युनिस्ट शासन के दौरान राज्य ने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भारी-भरकम निवेश किया है. केरल में देश का सबसे बेहतरीन हेल्थकेयर सिस्टम है. इ

वजह से ही केरल विश्व स्वास्थ्य संगठन की ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग की सलाह पर अमल कर सका जबकि तमाम केंद्रीय संस्थाओं ने लगातार कहा कि भारत जैसे देश में हर किसी की टेस्टिंग करना संभव नहीं है. अप्रैल के पहले सप्ताह में केरल ने 13000 से ज्यादा कोरोना टेस्ट किए जो देश में किए गए कुल टेस्ट का 10 फीसदी है. केरल के बराबर संक्रमण के मामले वाले आंध्र प्रदेश ने सिर्फ 6000 टेस्ट किए जबकि केरल से दोगुने कोरोना मरीज वाले तमिलनाडु ने सिर्फ 8000 टेस्ट ही किए हैं. टेस्टिंग के अलावा, केरल ने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में भी तेजी दिखाई.

केंद्र सरकार के कड़े लॉकडाउन लागू करने से कई दिन पहले ही केरल ने महामारी से लड़ने के लिए 2.6 अरब डॉलर के आर्थिक पैकेज का ऐलान कर दिया था. केरल में स्कूली बच्चों को अनाज देने, गरीबों को खाना खिलाने और लोगों को दो महीने की एडवांस पेंशन देने जैसे कई कदम उठाए. केरल में कोरोना वायरस से संक्रमित एक बुजुर्ग दंपति के रिकवर होने से लोगों की उम्मीदें जगी हैं. दंपति में पति की उम्र 93 साल और पत्नी की उम्र 88 साल है. उनके पोते थॉमस ने बताया कि हमें चिंता हो रही थी कि वे जिंदा बच पाएंगे या नहीं लेकिन दादा को हार्ट अटैक आया तो भी डॉक्टर हमें ढांढस बंधाते रहे कि वे कोशिश करना जारी रखेंगे.

केरल की स्वास्थ्य मंत्री के. के. शैलजा ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया, हमने सबसे बेहतरीन स्थिति की उम्मीद की लेकिन सबसे खराब स्थिति के लिए तैयारी की. अब कोरोना वायरस संक्रमण के ग्राफ में गिरावट आ रही है. हालांकि, केरल के अधिकारी अभी भी संतुष्ट नहीं हैं. उनकी नजर में बाजार में सोशल डिस्टेसिंग, कफ हाइजीन और लॉकडाउन के सख्ती से पालन को लेकर अभी भी सुधार की गुंजाइश बची हुई है.

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