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जनवरी-फरवरी में लोन की किस्त नहीं चुकाने वाले ग्राहकों को नहीं मिला 90 दिन का मोराटोरियम….

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भोपाल . (गुरुदत्त तिवारी) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तीन माह तक ईएमआई न चुुकाने के लिए दिए गए मोरोटोरियम पीरियड को लेकर खुद बैंकर्स सवाल उठा रहे हैं। दरअसल, इस मोराटोरियम का फायदा केवल उन होम, ऑटो और एजुकेशन जैसे रिटेल लोन लेने वाले ग्राहकों को दिया गया है,

जिन्होंने अपनी जनवरी और फरवरी में देय किस्त समय पर जमा करा दी थी। उन पर कोई भी बकाया नहीं है। अगर किसी कारणवश किसी एमएसएमई ने पैसा नहीं चुकाया और उनके खाते चूक की आशंका वाली श्रेणी जिसे बैंकिंग भाषा में स्पेशल मेंशन अकाउंट (एसएमए-1, एसएमए-2) की श्रेणी में आ गया है तो वे इस मोराटोरियम का फायदा नहीं ले पाएंगे।
राज्य सरकार को लिखा पत्र

उल्लेेखनीय है कि एक किस्त समय पर न चुकाने पर खाते एसएमए-1 की श्रेणी में जाते हैं और दो किस्तें बकाया होने पर खाते एसएमए-2 की श्रेणी में चले जाते हैं। मध्यप्रदेश की राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अगुवाई में हुई बैंकर्स की एक विशेष बैठक के बाद मप्र की सभी बैंकों के प्रमुखों से चर्चा करके बाद राज्य सरकार को एक पत्र लिखा है, इसमें उनसे अनुरोध किया गया है कि वे वे भारत सरकार के माध्यम से आरबीआई को समझाइश दे कि जनवरी व फरवरी में एक या दो किस्त चुकाने में विफल रहने वाले लोगों को भी 29 फरवरी के बाद के 90 दिन के मोराटोरियम का फायदा दिया जाए।

जरूरत तो सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों को थी, क्योंकि लाॅकडाउन के बाद इनके उद्योग पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। यह आगे की माह की किश्त चुकाने की स्थिति में बिलकुल नहीं है। ऐसे में अप्रैल और मई माह में मप्र की हजारों लोगों को दिए गए बैंकों के कर्ज नॉन परफार्मिंग असेट (एनपीए) हो जाएंगे। इससे सभी बैंकों का सकल एनपीए और बढ़ जाएगा जो पहले ही लाल निशान के करीब चल रहा है।

एसएलबीसी मप्र के समन्वयक एसडी माहूरकर ने आरबीआई को लिखे पत्र में कहा है कि केवल मप्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश में लाखों करोड़ रुपए के कर्ज एनपीए हो जाएंगे। लॉकडाउन भले ही 23 मार्च को लागू किया गया, लेकिन कोरोना वाइरस का असर आर्थिक गतिविधियों में फरवरी की शुरुआत से ही देखने को मिल रहा था। इस कारण बड़े पैमाने पर लोग समय पर अपने कर्ज की ईएमआई नहीं दे सके।

बैंकों का कुल अन्य सभी सेक्टर्स को मिलाकर एनपीए 2019 में 37,535 करोड़ रुपए रहा जो 2018 में केवल 33,070 करोड़ रुपए था। एक साल में यह 13.50% बढ़ा मप्र में अब तक 3,21,448 ग्राहकों ने बैंक के 37,535 करोड़ रुपए डुबाए हैं। बैंकर्स को आशंका है कि अगर जनवरी और फरवरी माह में किश्त जमा कराने वालों को मोराटोरियम में शामिल नहीं किया गया तो अगले दो माह में करीब 50 हजार नए लोग बैंक के कर्ज डुबो कर एनपीए की श्रेणी में आ जाएंगे।

लॉकडाउन में किसी से वसूली करने में परेशानी आ रही
एसडी माहूरकर, समन्वयक, एसएलबीसी, मप्र के मुताबिक, लॉकडाउन में किसी से वसूली करने में परेशानी आ रही है। इसलिए हमने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वे भारत सरकार के माध्यम से आरबीआई को समझाइश दे कि एक या दो किश्त न चुका पाने वालों को भी 90 दिन के मोराटोरियम में शामिल किया जाए। अन्यथा बड़े पैमाने पर होम, एजुकेशन, कार लोन और एमएसएमई के कर्ज डिफॉल्ट कर देंगे।

एसएलबीसी ने लिखा है कि जब बैंकों ने जनवरी या फरवरी में किस्त न जमा कराने वाले लोगों को ईएमआई चुकाकर अपने भुगतान चक्र को नियमित करने को कहा तो वे बैंकों पर बुरी तरह से झल्ला उठे। इसके बाद राज्य सरकार को आगे आकर कहना पड़ा कि बैंक इस संकट की घड़ी में लोगों को परेशान न करें। इसी के बैंकों को आकस्मिक बैठक बुलाकर आरबीआई से यह अनुरोध करना पड़ा।

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