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मंत्रिमंडल गठन में संख्या को लेकर पेंच ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं उनके समर्थक सभी पूर्व मंत्रियों को शपथ दिलाई जाए….

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल गठन में संख्या को लेकर पेंच आ गया है। शिवराज सिंह के साथ पार्टी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत चाहते हैं कि कोरोना को देखते हुए छोटा मंत्रिमंडल बने, ताकि कामकाज सुचारू हो जाए। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि मंत्रिमंडल जब भी बने, उनके पूरे लोग शामिल रहें। इसे लेकर सिंधिया ने गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी

और शुक्रवार को उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा के सामने भी यही बात दोहराई। अब संख्या का फैसला नड्ढा को लेना है। सिंधिया की चलती है तो पहली सूची में ही तुलसी सिलावट के साथ गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभुराम चौधरी होंगे। इसके साथ ही कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए दिग्गज नेताओं बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना और राज्य वर्धन दत्तीगांव के साथ हरदीप सिंह डंग के बारे में भी भाजपा को सोचना होगा। सिंधिया यह तर्क रख रहे हैं

कि इन्हें उप चुनाव में जाना है। पार्टी के प्रमुख नेताओं का कहना है कि यदि इसी लाइन पर आगे बढ़ना पड़ा तो मंत्रियों की पहली सूची में पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को भी रखना होगा। उप चुनाव में उनकी भूमिका भी अहम रहेगी। बहरहाल, शिवराज सिंह, वीडी शर्मा और सुहास भगत ने सभी पहलुओं पर विचार के बाद केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिया है। नड्ढा शनिवार को संख्या को लेकर स्थिति साफ कर सकते हैं। इसके बाद मंत्रिमंडल का गठन होगा।

नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह , गौरीशंकर बिसेन, रामपाल सिंह, राजेंद्र शुक्ला या मीना सिंह, तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत (मंत्रिमंडल की संख्या बढ़ती है तो), प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह और राज्यवर्धन दत्तीगांव में से कुछ का चयन होगा।
कम से कम 12 मंत्री बनाने का पेंच तो नही

वर्ष 2008 में हिमाचल प्रदेश के केस में तत्कालीन चीफ जस्टिस केजी बालाकृष्णन ने कहा था कि चुनी हुई असेंबली की संख्या में 15% से अधिक मंत्री न बनाए जाएं और न ही यह संख्या 12 से कम हो। यदि इससे कम भी बनाया जाता है तो इसमें नियमों का उल्लंघन नहीं है। सुनवाई में आर्टिकल 164 (1ए) का जिक्र किया गया। उस समय तत्कालीन सीएम प्रेमकुमार धूमल ने नौ मंत्री ही बनाए थे। मप्र में भी भाजपा चाहती है छोटा कैबिनेट बनाया जाए। लिहाजा कोई कानूनी अड़चन नहीं होगी।

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