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मृणालिनी साराभाई

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मृणालिनी साराभाई , जन्म- 11 मई, 1918, केरल, भारत की प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना थीं। उन्हें ‘अम्मा’ के तौर पर जाना जाता था। शास्त्रीय नृत्य में उनके योगदान तथा उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया था।

परिचय
मुख्य लेख : मृणालिनी साराभाई का परिचय
मृणालिनी साराभाई का जन्म भारतीय राज्य केरल में 11 मई, 1918 को हुआ था। उनके पिता डॉ. स्वामीनाथन मद्रास हाईकोर्ट में बैरिस्टर थे। मां अम्मू स्वामीनाथन स्वतंत्रता सेनानी थीं, जो बाद में देश की पहली संसद की सदस्य भी रहीं। बहन लक्ष्मी सहगल सुभाषचंद्र बोस के साथ थीं। मृणालिनी ने बचपन का अधिकांश समय स्विट्जरलैंड में बिताया। यहां ‘डेलक्रूज स्‍कूल’ से उन्‍होंने पश्चिमी तकनीक से नृत्‍य कलाएं सीखीं।[1] फिर उन्होंने रबींद्रनाथ टैगोर की देख-रेख में शांति निकेतन में शिक्षा ग्रहण की और यहीं से नृत्य उनकी जिंदगी बन गया। उनके पति विक्रम साराभाई देश के सुप्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक थे। उनकी बेटी मल्लिका साराभाई भी प्रसिद्ध नृत्यांगना और समाजसेवी हैं। मृणालिनी की बड़ी बहन लक्ष्मी सहगल स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानी जाती हैं। वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज की महिला सेना झांसी रेजीमेंट की कमांडर इन चीफ़ थीं।

नृत्य प्रशिक्षण
मुख्य लेख : मृणालिनी साराभाई का प्रशिक्षण
तत्कालीन समय में यह वह दौर, था जब कलाकार सिर्फ एक ‘फॉर्म’ नहीं सीखते थे। मृणालिनी साराभाई ने भी नृत्य की अलग-अलग शैलियों की बारीकियां सीखीं। उन्होंने अमूबी सिंह से मणिपुरी नृत्य सीखा। कुंजु कुरूप से कथकली सीखा। मीनाक्षी सुदंरम पिल्लै और मुथुकुमार पिल्लै से भरतनाट्यम सीखा। उनके हर एक गुरू का अपनी अपनी कला में जबरदस्त योगदान था। इसी दौरान उन्होंने विश्वविख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर के भाई पंडित उदय शंकर के साथ भी काम किया। पंडित उदय शंकर का भारतीय कला को पूरी दुनिया में अलग पहचान दिलाने का श्रेय जाता है। उन्होंने आधुनिक नृत्य को लोकप्रियता और कामयाबी के अलग मुकाम पर पहुंचाया। इस बीच मृणालिनी साराभाई कुछ दिनों के लिए अमेरिका भी गईं और वहां जाकर ड्रामाटिक आर्ट्स की बारीकियां सीखीं। इसके बाद मृणालिनी साराभाई ने देश दुनिया में भारतीय नृत्य परंपरा का विकास किया।

पुरस्कार व सम्मान
मुख्य लेख : मृणालिनी साराभाई को प्राप्त पुरस्कार व सम्मान
मृणालिनी साराभाई ने भारत लौटकर जानी-मानी नृत्‍यांगना मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई से भरतनाट्यम का प्रशिक्षण लिया और फिर दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य और पौराणिक गुरु थाकाज़ी कुंचू कुरुप से कथकली के शास्त्रीय नृत्य-नाटक में प्रशिक्षण लिया। भारत सरकार की ओर से मृणालिनी साराभाई को देश के प्रसिद्ध नागरिक सम्मान ‘पद्मभूषण’ और ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था। ‘यूनिवर्सिटी ऑफ़ ईस्ट एंगलिया’, नॉविच यूके ने भी उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी थी। ‘इंटरनेशनल डांस काउंसिल पेरिस’ की ओर से उन्हें एग्जीक्यूटिव कमेटी के लिए भी नामित किया गया था। प्रसिद्ध ‘दर्पणा एकेडमी’ की स्थापना मृणालिनी साराभाई ने की थी।

गूगल डूडल
भारत की प्रसिद्ध नृत्यांगना और पद्म भूषण से सम्मानित मृणालिनी साराभाई का 11 मई, 2018 को 100वाँ जन्म दिवस है। महान नृत्यांगना को इस मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी। इस गूगल डूडल को सुदीप्ति टकर ने बनाया। मृणालिनी साराभाई गूगल डूडल में दर्पण अकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट के ऑडिटॉरियम में एक छतरी लिए हुए हैं और उनके पीछे नृत्य करती हुईं नृत्यांगना हैं। गूगल ने एक पोस्ट में डूडल के बारे में लिखा, “आज के डूडल में भारतीय क्लासिकल डांसर मृणालिनी साराभाई को याद किया जा रहा है, जिन्होंने कम उम्र में ही अपनी टेक्नीक, ऊर्जा और मजबूती के दम पर भरतनाट्यम की साउथ इंडियन क्लासिकल डांस फॉर्म और कथकली की क्लासिकल डांस ड्रामा की ट्रेनिंग ली।’

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