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HC के फैसले को एक महीना बीता 91 महिलां और 34 दिव्यांग अभी भी कर रहे रिवाइज्ड सिलेक्शन लिस्ट का इंतजार…

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उच्च शिक्षा विभाग द्वारा की गई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती को लेकर हाईकोर्ट के दो प्रमुख आदेश जारी हुए हैं। इन दोनों आदेशों के अनुसार मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) जारी सिलेक्शन लिस्ट को रिवाइज्ड करना होगा। आरक्षित वर्ग की 91 महिला उम्मीदवारों की याचिका पर पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतिम सिलेक्शन लिस्ट को निरस्त कर 2 महीने में लिस्ट रिवाइज्ड करने का आदेश जारी किया है।

इसका एक महीना बीत चुका है। इसके अलावा विकलांग कोटे को लेकर भी कोर्ट ने रिवाइज्ड लिस्ट जारी करने को कहा है। अब उम्मीदवारों का आरोप है कि अधिकारी स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं। दरअसल, रिवाइज्ड सिलेक्शन लिस्ट जारी करने का मसला उच्च शिक्षा विभाग और एमपीपीएससी के बीच उलझकर रह गया है। वहीं उच्च शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट के आदेशों को लेकर महाधिवक्ता से अभिमत मांगा है।

इन महिला उम्मीदवारों का कहना है कि कोर्ट का स्पष्ट आदेश होने के बाद भी उनसे अधिकारी ओपीनियन मांगने की बात कर रहे हैं। वे जानबूझकर इस प्रक्रिया अटकाना चाह रहे हैं। यह पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही हैं। इनका कहना है कि पीएससी की परीक्षा में मेरिट में स्थान प्राप्त करने पर नियुक्तिपत्र नहीं मिले। वहीं इनसे कम अंक वाले उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग तक दे दी गई। इनका आरोप है कि यदि उनके स्थान पर अन्य प्रभावी लोग होते तो उन्हें नियुक्ति पत्र के बाद ज्वाइनिंग भी दे गई होती।

इधर, दिव्यांगों को देना होगा कुल कैडर पर 6 प्रतिशत आरक्षण
हाईकोर्ट ने 34 पूर्व चयनित दिव्यांगो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मध्यप्रदेश शासन को एक माह मे नियुक्ति देने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता शिवेंद्र सिंह ने बताया

कि जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार को एक माह मे कुल कैडर का 6% आरक्षण दिव्यांग अभ्यर्थियों ( 2%अस्थिबाधित , 2% दृष्टिबाधित , 2% श्रवणबाधित) को देने का आदेश दिया है। उदाहरण के तौर पर हिंदी विषय में 2011 की गजट अधिसूचना में सहायक प्रध्यापक के 586 पद थे और 12 अप्रेल 2018 के सहायक प्रध्यापक परीक्षा-2017 के विज्ञापन में नवीन सृजित 114 रिक्तियां थीं।

इस तरह कुल 700 पद हैं। ऐसे में 6% आरक्षण दिव्यांग उम्मीदवारों मिलना चाहिए। इसमें अस्थिबाधित,दृष्टिबाधित व श्रवणबाधित श्रेणी में 14-14 पद दिए जाने चाहिए। पूर्व चयनित दिव्यांगो के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में केविट भी लगा दी है ताकि दिव्यांगो के हितों की रक्षा की जा सके।

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