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फिर सिडनी में हुई शर्मनाक अंपायरिंग, 5 बार भारतीय बल्लेबाजों को दिया गया आउट….

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भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में हुई अंपायरिंग सवालों के घेरे में है. इस अहम मुकाबले की दूसरी पारी में 5 बार ऐसा हुआ जब फील्ड अंपायर ने भारतीय बल्लेबाजों को आउट दिया. हालांकि फील्ड अंपायर के निर्णय को पांचों बार चैलेंज किया गया और डीआरएस ने फैसला पलट दिया, जो टीम इंडिया के फेवर में रहा.

वैसे सिडनी में घटिया अंपायरिंग का किस्सा नया नहीं है. 2008 में शर्मनाक अंपायरिंग के चलते टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था. इस मैच में केवल दो ओवर का खेल रह गया था और कैप्टन रिकी पोंटिंग ने माइकल क्लार्क को गेंद थमाई थी. माइकल क्लार्क ने भारत के तीन बल्लेबाजों को आउट किया था. इस मुकाबले में कई फैसले भारत के फेवर में नहीं दिए गए थे, लेकिन डीआरएस की सुविधा ना होने के चलते टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था.

ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) पर खेले गए दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन अंपायर्स कॉल ने दो बार ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को जीवनदान दिया था. जो बर्न्‍स के खिलाफ जसप्रीत बुमराह ने दूसरी पारी के तीसरे ओवर में एलबीडब्ल्यू की अपील की थी. मैदानी अंपायर ब्रूस ऑक्सेनफोर्ड ने इसे नॉट आउट करार दिया था, जिस पर भारत ने रिव्यू लिया, लेकिन अंपायर्स कॉल के कारण बर्न्‍स बच गए.

इसके बाद मार्नस लाबुशेन भी मोहम्मद सिराज की गेंद पर इसी कारण आउट होने से बच गए. यहां भी मैदानी अंपायर ब्रूस ऑक्सेनफोर्ड ने उन्हें नॉट आउट दिया, लेकिन भारत ने रिव्यू लिया और अंपायर्स कॉल के कारण लाबुशेन भी बच गए.

सचिन ने उठाए थे सवाल

इस बाद भारत के पूर्व महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने ICC से डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS) में अंपायर्स कॉल के क्लॉज पर सवाल उठाए थे और कहा था कि इसे दोबारा देखने की जरूरत है. सचिन ने कहा था, ‘खिलाड़ी रिव्यू इसलिए लेते हैं, क्योंकि वह मैदानी अंपायर के फैसले से खुश नहीं होते हैं. आईसीसी को डीआरएस को दोबारा देखने की जरूरत है, खासकर अंपायर्स कॉल के लिए.’

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