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हिमाचल में चुनावों से ठीक पहले होने वाली कैबिनेट बैठक से IASअधिकारी बचना चाह रहे हैं…..

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शिमला :आईएएस अधिकारियों की उपलब्धता होने के कारण पहली बार शनिवार को प्रस्तावित बैठक को 27 सितंबर को करने का फैसला लिया है। इस दिन में कैबिनेट के दौरान कितने अधिकारी सचिवालय में मौजूद होंगे, इसको लेकर स्थिति साफ नहीं हैं राज्य में गृह आैर स्वास्थ्य जैसे अहम महकमें संभाल रहे आईएएस अधिकारी प्रबोध सक्सेना ट्रेनिंग पर रवाना हो गए हैं। सरकार ने इनकी ट्रेनिंग के दौरान गृह विभाग का अतिरिक्त कार्यभार अरविंद मेहता को सौंपा है, वहीं स्वास्थ्य विभाग का कार्यभार आेंकार शर्मा को सौंपा है।

 सचिवालय में अतिरिक्त कार्यभार मिलने पर अधिकारी रुटीन के कार्य तो करते हैं, लेकिन नीतिगत मसलों पर निर्णय तो दूर मशविरा देने से भी बचते हैं। कैबिनेट के लिए वित्त सचिव की मौजूदगी अनिवार्य मानी जाती है। अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त श्रीकांत बाल्दी भी टूअर पर है। यह भी सरकार की कैबिनेट के लिए मौजूद नहीं थे। अब 27 की कैबिनेट के लिए सरकार को इनका इंतजार है। अतिरिक्त मुख्य सचिव कार्मिक तरुण श्रीधर के पास कार्मिक, ऊर्जा, राजस्व से लेकर अन्य महत्वपूर्ण महकमें हैं, यह भी दिल्ली टूअर पर है। मुख्य सचिव वीसी फारका भी 26 को दिल्ली में राज्य विद्युत नियामक आयोग के सदस्य के चयन के लिए होने वाली बैठक में हिस्सा लेने के लिए रवाना होंगे। प्रधान सचिव अनुराधा ठाकुर को केंद्र में संयुक्त सचिव के पद पर तैनाती मिल चुकी है। उनका भी इस दौरान टूअर या दिल्ली में होने की उम्मीद ज्यादा है। आईएएस अधिकारी मनीषा नंदा के भी इस दौरान टूअर पर होने की उम्मीद है। इतने आला अधिकारियों की गैर मौजूदगी में सरकार को कैबिनेट की बैठक करना मुश्किल हो सकता है।
हिमाचलमें 1200 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती के लिए शारीरिक या ग्राउंड टेस्ट के बाद लिखित परीक्षा हो चुकी है। इसमें साक्षात्कार बंद होने के बाद 15 अंकों का आवंटन कैसे किया जाना है। इस पर पुलिस मुख्यालय ने सरकार से राय मांगी है। गृह विभाग ने पिछले एक सप्ताह से इस पर कोई फैसला नहीं दिया। अब विभाग का कार्यभार वरिष्ठ आईएएस अतिरिक्त कार्यभार के रूप में देख रहे हैं। इससे जल्द फैसले की उम्मीद कम ही दिखाई देती है।
कंप्यूटरशिक्षकों के मसले पर शिक्षा विभाग के सचिव ने साफ तौर पर कह दिया था कि सभी इस मसले पर इंकार कर रहे हैं। नेगेटिव प्रपोजल के आधार पर कैसे फैसला लिया जा सकता है। इसके बावजूद कैबिनेट ने साक्षात्कार कर मुख्य धारा मेें लाने का फैसला लिया। इसे बाद में ट्रिब्यूनल ने स्टे किया आैर हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है।

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