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देश-विदेश में मिली सराहना ने यात्रा को बनाया अनूठा अभियान

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The Prime Minister, Shri Narendra Modi performing Dhwaj Sthapana & Kalash Pujan, at the concluding ceremony of the Narmada Sewa Yatra & launching of Narmada Sewa Mission, in Amarkantak, Madhya Pradesh on May 15, 2017. The Chief Minister of Madhya Pradesh, Shri Shivraj Singh Chouhan is also seen.

नदी संरक्षण के विश्व के अपनी तरह का अनूठा अभियान ‘नमामि देवि नर्मदे’ सेवा यात्रा अपनी पूर्णता की ओर है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश की जीवन-रेखा नर्मदा के प्रवाह को अविरल बनाये रखने और नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये निकाली गयी इस यात्रा को प्रदेश, देश और विदेश में मिली सराहना ने यात्रा को अपने ढंग का अनूठा अभियान बना दिया है। माँ नर्मदा के उदगम स्थल अनूपपुर जिले के अमरकंटक से 11 दिसंबर 2016 से शुरू हुई यात्रा की 15 मई को अमरकंटक में ही पूर्णता होगी। यात्रा के पूर्णता समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान के सार्थक प्रयास से बड़े जन-आंदोलन में बदली यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि एक व्यक्ति का साफ नियत से किया गया प्रयास कितना सार्थक हो सकता है। सार्थक भी इतना कि अभी से लोग कहने लगे हैं कि ‘न भूतो न भविष्यति।’

मुख्यमंत्री श्री चौहान 48 स्थान पर यात्रा में हुए शामिल

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान यात्रा अवधि में अब तक 48 स्थान पर यात्रा में शामिल हुए। इन स्थानों पर उन्होंने जन-संवाद को भी संबोधित किया। मुख्यमंत्री क्रमश: रामघाट अमरकंटक, बोंदर एवं करंजिया, गाड़ासरई, डिंडौरी, चाबी, रामनगर, मण्डला, घंसौर, सिवनी, बरगीनगर, हरदुली-जबलपुर, ब्रह्मकुण्ड, गोटेगाँव, नरसिंहपुर, सांगाखेड़ा खुर्द, सेठानीघाट, होशंगाबाद, हंडिया, करनपुरा-हरदा, सिंगाजी, पूरनी, हनुवंतिया, ओंकारेश्वर-खण्डवा, नावड़ाटौडी-खरगोन, मोतीपुरा-बड़वानी, भगोरिया मैदान-छकतला-अलीराजपुर, कोटेश्वर, बाकानेर-धार, महेश्वर-खरगोन, नावघाटखेड़ी-खरगोन, नेमावर-देवास, तुरनाल-सीहोर, छीपानेर, मण्डी, बाबरी, आँवलीघाट, होलीपुरा, बुदनीघाट, शाहगंज, सुठानिया, जैतघाट, भारकछ, बगलवाड़ा, घाट पिपरिया, बौरास, नीमखेड़ा (हीरापुर), भेड़ाघाट-जबलपुर, ग्वारीघाट, बरेला, मण्डला, शहपुरा, कनेरी, ग्राम शाहपुर और खेतगाँव में यात्रा के जन-संवाद और पदयात्रा में शामिल हुए।

अब तक 3334 की कि.मी. की दूरी तय

‘नमामि देवि नर्मदे’-सेवा यात्रा ने शनिवार तक 146 दिन में कुल 3334 किलोमीटर की दूरी तय कर ली है। इस दौरान लोगों को नर्मदा संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिये 1093 जन-संवाद हो चुके हैं, जिनमें 24 लाख 34 हजार लोगों ने भाग लिया।

जन-संवादों ने समझाया संरक्षण का महत्व

जन-संवाद कार्यक्रमों में नर्मदा जल-धारा को अविरल बनाने के लिये पौध रोपण, तटों की साफ-सफाई, जल-धारा में विसर्जन न करने, नशा मुक्ति, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ आदि की समझाइश दी जा रही है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं। पाँच माह पूर्व शुरू हुई यात्रा में तकरीबन 200 लोग ऐसे हैं जो श्रद्धा, भक्ति और एक मिशन के साथ शुरू से साथ चल रहे हैं। यात्रा में विभिन्न क्षेत्रों के अब तक कुल 565 दिग्गज भी भाग ले चुके हैं।

गत 11 दिसम्बर 2016 को अमरकंटक से शुरू हुई यात्रा अपनी पूर्णता के जिले अनूपपुर में ही संचालित है। अब तक 615 ग्राम पंचायत, 1093 गाँव और 51 विकास खंड से गुजर चुकी है। मुख्य यात्रा में 1862 उप यात्राएँ शामिल हो चुकी हैं। लगभग 85 हजार लोगों ने नर्मदा सेवा की वेबसाइट पर पंजीयन करवाया है। अब तक 40 हजार पौधे सांकेतिक रूप से रोपे गये हैं। यात्रा दल के सदस्यों के भोजन और अन्य व्यवस्थाओं में 2032 सामाजिक एवं स्वयंसेवी संस्थाएँ सहयोग कर रही हैं। तटीय ग्राम पंचायतों में 712 नर्मदा सेवा समितियों का गठन भी किया गया है।

मानव श्रंखला का विश्व रिकार्ड 

‘नमामि देवी नर्मदे’-सेवा यात्रा की कड़ी में 9 जनवरी को होशंगाबाद जिले में नागरिकों के समर्थन से मानव श्रंखला का विश्व रिकार्ड बना। कुल 125 किलोमीटर तक नर्मदा नदी के घाट और 78 स्थान पर 25 हजार से अधिक लोगों ने श्रंखला बनाकर यात्रा का समर्थन किया। होशंगाबाद में सेठानी घाट सहित नर्मदा नदी के विभिन्न घाटों पर भी श्रंखला बनाई गई। श्रंखला में समाजसेवियों, व्यापारियों, स्कूली बच्चों, स्वयंसेवी संगठनों और जन-प्रतिनिधियों ने उत्साह से सहभागिता की। यह श्रंखला नदी संरक्षण के लिये बनाई गई अब तक की सबसे बड़ी मानव श्रंखला थी, जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में विश्व कीर्तिमान के रूप में शामिल किया गया।

नर्मदा सेवा मिशन गठित

राज्य शासन ने नर्मदा संरक्षण एवं संवर्धन के लिये 27 मार्च 2017 को नर्मदा सेवा मिशन का गठन भी किया है। गत 8 मई को आगामी कार्य-योजना निर्धारण के लिये भोपाल में नदी, जल एवं पर्यावरण मंथन भी किया गया। इसमें करीब 200 जल, वन, पर्यावरण विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। नर्मदा तट पर बसे 16 जिलों में 166 जैव-विविधता प्रबंधन समितियों का भी गठन किया गया है। इसके अलावा प्रत्येक गाँव में एक-एक जैव-विविधता प्रबंधन समिति के गठन की प्रक्रिया जारी है।

समाज के विभिन्न क्षेत्र के विशिष्टजनों ने की भागीदारी

अभी तक देश-विदेश के समाज के विभिन्न क्षेत्रों के 570 से भी ज्यादा विशिष्ट हस्ताक्षर ने शामिल होकर यात्रा को अपना समर्थन दिया। इनमें साधु-संत, संस्कृति, कला और फिल्म और जल-पर्यावरण संरक्षण और समाज सेवा से जुड़े प्रख्यात लोग शामिल हैं। साधु-संतों में जूनापीठाधीश्वर आचार्य मण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज, संत सुखदेव नंद जी, संत विवेक जी, साध्वी प्रज्ञा भारती जी, स्वामी श्री कल्याण जी अमरकंटक, श्री हरिहरानंद सरस्वती जी, अमरकंटक, पंडित देवप्रभाकर शास्त्री जी (दद्दाजी), भानपुरापीठ के शंकराचार्य श्री दिव्यानंद तीर्थ जी, स्वामी श्री रामभूषण दास जी, स्वामी श्री गिरीशानंद जी महाराज, श्री रविशंकर जी महाराज (रावतपुरा सरकार), श्री देवकीनंदन ठाकुर जी, स्वामी प्रज्ञानंद जी, श्री श्री 1008 रामदास जी महाराज (ददरौआ सरकार), श्री कृष्णध्यानानंद जी, स्वामी एश्वर्यानंद सरस्वती जी, स्वामी निर्विकारानंद जी, पद्मभूषण स्वामी तेजोमयानंद जी, साध्वी ऋतंभरा जी, स्वामी बाबा रामदेवजी, आचार्य लोकेश मुनि जी, आचार्य पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज, स्वामी शिवानंद सरस्वती जी, हृदय गिरीजी महाराज, मोनीबाबा, राष्ट्रसंत भय्यूजी महाराज, पं. कमलकिशोर नागर जी, पं. सुभाष भार्गव जी, स्वामी विज्ञानानंदजी, राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी डॉ. रीना दीदी माउण्ट आबू राजस्थान, राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी भावना दीदी माउण्ट आबू राजस्थान, श्री सुधांशु महाराज जी, सदगुरू श्री जग्गी वासुदेव जी, ईसा फाउण्डेशन, स्वामी श्री कापरी जी, श्री कमलानंद महाराज (गौरावाले संत), आचार्य गुणिन्द्रानंद अवधूत जी, आचार्य धीरजानंद अवधूत जी, आचार्य विमलानंद अवधूत जी, जगतगुरू शंकराचार्य श्री स्वरूपानंद जी महाराज, पूजा मुरारी बापू, स्वामी षणमुखानंद जी महाराज, श्री सदगुरू स्वामी कृष्णानंदजी महाराज, स्वामी हरीभक्त प्रज्ञान प्रकाश जी, चिखली, महाराष्ट्र, महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 अनन्त विभूति अवधूत अरूण गिरी जी महाराज, महामण्डलेश्वर देवी माँ शिवांगी नंद गिरी जी महाराज, संत श्री उत्तम स्वामी जी, श्री अनुराग कृष्ण शास्त्री जी, वृन्दावन, स्वामी समवित सोमगिरी जी, शिव मठ बीकानेर, राजस्थान और साध्वी मंदाकिनी रामकिंकर जी, अयोध्या उत्तरप्रदेश ने यात्रा में शामिल होकर यात्रा को जन-आंदोलन बनाने में बहुमूल्य योगदान दिया।

यात्रा में प्रख्यात पर्यावरणविद् और जल पुरूष अलवर राजस्थान के श्री राजेन्द्र सिंह, सुश्री सुनीता नारायण, पद्मश्री संतश्री बलवीर सिंह सिंचेवाल, नर्मदा समग्र जबलपुर के श्री अमृतलाल बेगड़ और जैविक कृषि विशेषज्ञ डॉ. अरूण जोशी ने भी भागीदारी की।

जनेताओं में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपानी, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय जल-संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती, केन्द्रीय पंचायत राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थॉवरचंद गहलोत, केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल, केन्द्रीय वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अनिल माधव दवे, केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री रामकृपाल यादव, केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, सांसद श्री प्रभात झा, सांसद श्री गणेश सिंह, श्री विनय सहस्रबुद्धे, श्री राव उदय प्रताप सिंह, मध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री शहनवाज हुसैन, हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री रामलाल आदि ने यात्रा में शामिल होकर माँ नर्मदा के संरक्षण के अभियान में सार्थक भागीदारी की। इसके अलावा नर्मदा तटीय प्रदेश के सभी 16 जिलों के प्रभारी मंत्री, सांसद, विधायक, निगम-मण्डल-परिषदों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष शामिल हुए। यात्रा को सफल बनाने में क्षेत्रीय त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं की भी अहम भूमिका रही।

फिल्म जगत से अभिनेता श्री गोविन्दा, अभिनेत्री श्रीमती पदमिनी कोल्हापुरे और श्रीमती मीता वशिष्ठ, श्री अनुपम खेर, श्री विवेक ओबेराय, श्री आशुतोष राणा, श्री गोविन्द नामदेव, श्री मुकेश तिवारी, श्री राजा बुन्देला, श्री अन्नू कपूर, श्री रजा मुराद, श्री रघुवीर यादव, श्री मनीष तिवारी, भजन गायक श्री अनूप जलोटा, श्री लखवीर सिंह लक्खा, पार्श्व गायक श्री कैलाश खेर, श्री सुरेश वाडकर, दुर्गा जसराज, गजल गायक श्री तलत अजीज, गायिका सुश्री पिनाज मसानी और श्रीमती अनुराधा पौडवाल, सुश्री अलका याज्ञिक, फिल्म निर्देशक श्री प्रकाश झॉ और श्री चंद्रप्रकाश द्विवेदी, जर्मन मूल की टीवी कलाकार सुश्री सुजैन बर्नर्ट आदि ने यात्रा में शामिल होकर नर्मदा नदी के संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने में योगदान दिया।

कला-संस्कृति और पत्रकारिता क्षेत्र से प्रख्यात सरोद वादक पद्म भूषण श्री अमजद अली खान, पंडित जसराज, भरत नाटयम नृत्यांगना श्रीमती शुभलक्ष्मी खान, पद्म विभूषण सुश्री सोनल मानसिंह, श्री विश्वमोहन भट्ट, गायक बंधु श्री रमाकांत गुंदेचा और श्री उमाकांत गुंदेचा, श्रीमती संजू बघेल, साहित्यकार श्री रमेशचंद्र शाह, श्री ओमपाल सिंह निडर, श्री अनिल श्रीवास्तव एवं उनकी सांस्कृतिक टीम और सुश्री तृप्ति मुखर्जी ने भी यात्रा में भागीदारी की। पत्रकारिता क्षेत्र से भास्कर समूह के चेयरमेन स्वर्गीय श्री रमेशचंद्र अग्रवाल, पत्रिका समूह के चेयरमेन श्री गुलाब कोठारी, पद्मश्री श्री विजयदत्त श्रीधर और वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव ने भी यात्रा के जन-संवादों में भागीदारी की।

नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी, नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित और बौद्ध धर्म गुरू श्री दलाई लामा, यूनीसेफ के भारत प्रमुख श्री लुईस जार्ज अर्सेनाल्ट, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक श्री मोहन भागवत, सह सर संघचालक श्री भैय्या जी जोशी, श्री सुरेश सोनी जी, श्री दत्तात्रेय होसबोले, दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के संगठन सचिव श्री अभय महाजन आदि ने भी यात्रा में शामिल होकर अपना समर्थन दिया।

ओलंपिक और अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके श्री अशोक कुमार, श्री जलालुद्दीन रिजवी, श्री इनामुर्रहमान, श्री सलीम अब्बासी, श्री मोहम्मद युसूफ, श्री समीर दाद और अंतर्राष्ट्रीय अंपायर श्री शकील कुरैशी, प्रख्यात हिन्दी क्रिकेट कमेन्टेटर श्री सुशील दोषी और क्रिकेट खिलाड़ी श्री नमन ओझा ने भी यात्रा के विभिन्न पड़ावों में शामिल होकर विश्व के इस अनूठे नदी संरक्षण अभियान को समर्थन दिया। भारतीय महिला हॉकी टीम की भोपाल में प्रशिक्षणरत 40 खिलाड़ियों ने भी यात्रा में भागीदारी कर भूरि-भूरि प्रशंसा की।

यात्रा में विभिन्न जाति, धर्म और वर्ग के सेवा यात्री तो शामिल हुए ही आर्च विशप लियो कारनेलियो डॉ. विशाल मैसी, फॉदर मारिया स्टीफन, डॉ. ए.के. मर्चेन्ट, डॉ ख्वाजा इफ्तेखार अहमद, श्री जोशे कालाथिल, मौलाना लुकमान तारापुरी, श्री पाशा पटेल, डॉ. एमडी थामस, मीडिया एवं संचार विशेषज्ञ श्री गौहर आसिफ, आईएमडब्ल्यू एमआई की सुश्री एसेल, श्री चरण जीत सिंह सोढ़ी, डॉ. ए.एस. भल्ला एवं सिख धर्म के 100 प्रतिनिधि, यूएनडीपी के भारत प्रतिनिधि श्री यूरी अफानसेव आदि भी यात्रा में शामिल हुए।

इसके अलावा समाजसेवी डॉ. एस.एन. सुब्बाराव, श्री प्रेमनाथ आर्य, श्री बी. कुटुम्ब शास्त्री, श्री अमीरचंद, डॉ. सुबोध शर्मा (काठमाण्डू-नेपाल), श्री सुरेश खानापुरकर जी, कमोडोर श्री सर्वोत्तम राव जी, सुश्री अलंकृता गोस्वामी, सुश्री सुचित्रा हरमलकर, तरूण भारत संघ राजस्थान के श्री राजेन्द्र सिंह, लेफ्टिनेट जनरल रिटायर्ड श्री अरूण साहनी, करणी सेना राजस्थान के अध्यक्ष श्री लोकेन्द्र सिंह कालवी, श्री अनुराग शास्त्री जी वृन्दावन, श्री नागेश ठाकुर, श्री विनय विदरे, श्री वी. सुरेन्द्रन, वनवासी सेवा आश्रम सोनभद्र के श्री ज्ञानस्वरूप सानंद, वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री सोमैया जूलूजी, अखिल भारतीय क्षेत्रीय मंत्री श्री प्रकाश कालेजी, श्री वीरेन्द्र याज्ञिक जी, श्री भागवत परिवार, सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री विजय देवांगन, श्री भारत भूषण गर्ग और श्री अरूण जैन ने भी यात्रा में भागीदारी की।

राष्ट्रीय सेवा योजना के 25 युवाओं, टेरी विश्वविधालय के 25 सदस्यीय अनुसंधान दल और टिस के निदेशक डॉ. परसुरमन, उप निदेशक प्रो. शालिनी भरत, वरिष्ठ सलाहकार श्री श्रीनिवास बटूरी, योजना प्रबंधक श्री मंगेश कृष्ण सागर और कार्यक्रम समन्वयक श्री लियान चिन डाउ ने भी यात्रा में भागीदारी कर नागरिकों को नर्मदा नदी के संरक्षण के संबंध में जागरूक किया।

16 जिलों से गुजरी यात्रा

यात्रा उज्जैन, इन्दौर, भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर और रीवा संभाग के 16 जिले अनूपपुर, डिण्डोरी, मण्डला, सिवनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, खण्डवा, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, धार, देवास, सीहोर और रायसेन जिले से गुजरी।

1500 करोड़ के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित होंगे

‘नमामि देवि नर्मदे’ सेवा यात्रा के अंतर्गत राज्य सरकार ने नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर अवस्थित शहरों और कस्बों में 18 ऐसे स्थान चिंन्हित किये हैं जहाँ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किये जायेंगे। इन प्लांट से न केवल अपशिष्ट जल को माँ नर्मदा से मिलने से रोका जायेगा बल्कि उसे साफ कर खेतों को सिंचाई के लिये दिया जायेगा। इस संबंध में बनी कार्य-योजना के लिये 1500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

फलदार पौधों का रोपण

नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान वृक्षारोपण करने का संकल्प पत्र भी भरवाये जा रहे हैं। सरकार की योजना है कि आगामी समय में नर्मदा के दोनों तट के किनारे एक किलोमीटर की परिधि में फलदार पौधे रोपे जायेंगे। इसके लिये वन और उद्यानिकी विभाग पौधे तैयार कर रहे हैं। सरकारी भूमि पर यह दोनों विभाग और निजी भूमि पर किसान पौधे लगायेंगे। निजी भूमि पर पौधे लगाने वाले किसानों को सरकार प्रति हेक्टेयर 20 हजार रुपये सालाना का मुआवजा भी तीन साल तक के लिये देगी। साथ ही पौधे लगाने के लिये गड्डे खोदने के व्यय पर भी सबसिडी दी जायेगी।

इसी तरह नर्मदा किनारे के गाँवों के सभी शौचालय विहीन घरों में शौचालय का निर्माण भी सरकारी सहायता से करवाया जायेगा।

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