Home राष्ट्रीय फैब्रिक पर टैक्स नहीं घटेगा, इम्पोर्टेड कपड़े सस्ते होंगे- जेटली…

फैब्रिक पर टैक्स नहीं घटेगा, इम्पोर्टेड कपड़े सस्ते होंगे- जेटली…

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कपड़े पर टैक्स घटाने से सरकार ने साफ इनकार कर दिया है। फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने राज्यसभा में कहा, “फैब्रिक पर जीएसटी रेट 0% करने से घरेलू इंडस्ट्री को इनपुट क्रेडिट नहीं मिल पाएगा। देश में बने कपड़ों के मुकाबले इ्म्पोर्टेड कपड़े सस्ते पड़ेंगे।” फैब्रिक पर अभी 5% जीएसटी है। गुजरात, खासकर सूरत के टेक्सटाइल कारोबारी इसका विरोध कर रहे हैं।
 – इंडस्ट्री का दावा है कि टैक्स से फैब्रिक 10-12% महंगे हो जाएंगे। इससे भारतीय कपड़ों का एक्सपोर्ट मुश्किल हो जाएगा। इस पर जेटली ने मंगलवार को सदन में कहा कि जीएसटी में रेट या तो पुराने स्तर पर हैं या कम हुए हैं इसलिए फैब्रिक की कीमत बढ़नी नहीं चाहिए। उन्होंने इस दावे को गलत बताया कि जीएसटी से पहले आजाद भारत में कभी टेक्सटाइल पर टैक्स नहीं लगा था। उन्होंने कहा कि 2003-04 में इस सेक्टर पर एक्साइज ड्यूटी लगती थी।
– जेटली ने कहा कि जीएसटी से टेक्सटाइल सेक्टर के संगठित ट्रेडर और असंगठित विक्रेताओं (अनऑर्गनाइज्ड वेंडर्स) पर असर नहीं हुआ है।
– एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि कीटनाशकों पर पहले 12.5% एक्साइज और औसतन 4% वैट था। सीएसटी, एंट्री टैक्स अलग था। जीएसटी में इन पर 18% टैक्स लगाया गया है, जो पहले के आसपास ही है। इसलिए इनके दाम नहीं बढ़ेंगे।
बिना क्रेडिट के कॉस्ट बढ़ेगी, जिसका असर कीमत पर होगा
– जेटली ने कहा कि टेक्सटाइल कारोबारी फैब्रिक पर टैक्स नहीं चाहते। लेकिन 0% टैक्स से गारमेंट बनाने वालों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पाएगा। बिना क्रेडिट के कॉस्बट ढ़ेगी, जिसका असर कीमत पर होगा। शून्य टैक्स का मतलब है कि इॅपोर्टेड कपड़ा ‘जीरो रेटिंग’ कैटेगरी में जाएगा, जबकि घरेलू इनपुट टैक्स का बोझ होगा।
जीएसटी में कितना है टैक्स?
यार्न (धागा) :पॉलिएस्टरजैसे कृत्रिम यार्न पर 18% टैक्स है। कॉटन, वूल, सिल्क जैसे प्राकृतिक धागे पर 5% टैक्स।
फैब्रिक : कॉटन,वूलन, सिंथेटिक सभी कपड़े पर 5% टैक्स है।
रेडीमेड गारमेंट : कीमत1,000 रुपए तक है तो टैक्स रेट 5% होगा। कीमत 1,000 रुपए से ज्यादा है तो 12% टैक्स लगेगा।
सूरत में कपड़ा व्यापारियों की हड़ताल खत्म, 7000 करोड़ का नुकसान
– जीएसटी के विरोध में सूरत के कपड़ा व्यापारियों की हड़ताल मंगलवार को खत्म हो गई। 21 दिन चली हड़ताल से यहां की इंडस्ट्री को 7,000 करोड़ का नुकसान हुआ है। कारोबारियों का करीब 2,600 करोड़ का टर्नओवर फंसा हुआ है। सूरत में 165 मार्केट और 85 हजार दुकानें हैं। टेक्सटाइल इंडस्ट्री के करीब 2 लाख श्रमिक घर जा चुके हैं।

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