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आतंकवाद एक बहुत बड़ी समस्या और चुनौती….

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पिछले कुछ दशकों में आतंकवाद विश्व के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती बन के उभरा है | धीरे-धीरे यह दुनिया के कई देशों को अपनी चपेट में ले चुका है | हर वर्ष हजारों लोग इसके कारण अपने प्राणों से हाथ धो बैठते हैं | अनगिनत लोगों का घर-बार उजड़ जाता है | धन- संपत्ति का नाश होता है और मानव जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है | आतंकवाद के कारण देश और दुनिया में भय का माहौल बना हुआ है | आतंकवाद मानवता और सभ्य समाज के लिए एक बड़ा कलंक है |

 आतंकवाद एक घिनौना कृत्य है क्योंकि यह आम नागरिकों को निशाना बनाता है | आतंकवादी अपने विरोधियों से सीधे कभी नहीं लड़ते | वह छुप के वार करते हैं | उनका हमला ज्यादातर निहत्थे और मासूमों पर ही होता है | वो ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को मारकर अपनी बात दुनिया के सामने रखना चाहते हैं | १९७१ में पकिस्तान जब भारत से युद्ध हार गया और उसके दो टुकड़े हो गए तो वो समझ गया कि भारत से सीधे युद्ध में जीतना संभव नहीं है | अपनी गुप्तचर संस्था आइ एस आइ (ISI) का इस्तेमाल कर उसने भारत से एक अप्रत्यक्ष युद्ध की शुरुआत की | भारत में कई ऐसे संगठन थे जो सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं थे | आइ एस आइ ने उन्हें भारत के खिलाफ भड़काया, उन्हें धन और हथियार उपलब्ध कराया और यहीं से भारत में बड़े पैमाने पर आतंकवाद की शुरुआत हुई |

पंजाब में अलग खालिस्तान की माँग उठने लगी तो कश्मीर में भारत से अलग होने की माँग जोर पकड़ने लगी | देश के उत्तरपूर्वी राज्यों में कई भारत विरोधी आंदोलन शुरू हो गए | नक्सली आंदोलन ने अचानक हिंसक रूप ले लिया | इसके बाद भारत में आतंकवादी घटनाओं का जो सिलसिला शुरू हुआ वो अब तक थमा नहीं है | इन सारी आतंकवादी घटनाओं के पीछे जो संगठन थे, वो भारत में पहले से सक्रिय थे किंतु उनके पास धन और हथियार नहीं थे | इसलिए उनका विरोध शांतिपूर्ण हुआ करता था | पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आइ एस आइ के द्वारा धन और हथियार उपलब्ध कराने के बाद इनके विरोध ने हिंसा का रूप ले लिया | यह हमारे सरकार की बहुत बड़ी नाकामी रही कि वह आइ एस आइ को रोकने में सफल नहीं हो सकी | अभी कुछ दिनों पहले कश्मिर के उरी में ४ आतंकवादियों ने सेना के शिविर पर हमला कर दिया था जिसमें हमारे १९ जांबाज सैनिकों की मौत हो गई थी | पूरा देश शोक की लहर में डूब गया |

भारत में आतंकवाद बढ़ने के कई कारण हैं | इस्लामिक आतंकवाद पिछले कुछ दशकों से भारत तथा पूरे संसार में होनेवाली आतंकवादी घटनाओं का मुख्य कारण रहा है | कुछ कट्टर इस्लामी संस्थाओं ने हमारे देश के कई नौजवानों को गुमराह कर आतंकवाद की राह पर धकेल दिया है | उन्हें धर्म के नाम पर भड़काया जाता है | आतंकवाद के कार्य को अल्लाह का काम बताया जाता है | कभी भारत में हुए किसी दंगे का बदला लेने के नाम पर तो कभी भारत को इस्लामिक देश बनाने के नाम पर इन युवकों से बम ब्लास्ट और आम नागरिकों पर सशस्त्र हमला कराया जाता है | १९९३ में हुआ बम ब्लास्ट इसका उदाहरण है | कई बार तो पाकिस्तानी नागरिक भी इन हमलों में शामिल रहे हैं | २६ नवम्बर २०११ में मुंबई पर जो हमला हुआ था, उसमें शामिल सारे नागरिक पाकिस्तानी थे |

धार्मिक उन्माद के बाद भारत में आतंकवादी घटनाओं का एक बड़ा कारण रहा है भारत से अलग होकर अलग देश बनाने की माँग | कश्मीर में काफी समय से यह माँग चल रही है | पंजाब में अलग खालिस्तान बनाने की माँग काफी जोरो-शोरों से उठी थी | देश के उत्तरपूर्वी राज्यों में यह माँग कई बार उठी है | इन माँगों को कभी भी व्यापक जन समर्थन नहीं मिला | इसी से हताश होकर कुछ संगठनों ने आतंकवाद का रास्ता चुन लिया | उन्हें पैसा और हथियार तो आइ एस आइ से मिल गया | इससे बड़े पैमाने पर कश्मीर, पंजाब, और भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों में आतंकवाद की घटनाएँ हुई | पंजाब और उत्तरपूर्व में तो अब काफी शांति है पर कश्मीर इस आतंकवाद की आग में अब भी जल रहा है |

इनके अलावा गरीबी, सामजिक भेदभाव, आर्थिक असमानता ने कई बार आतंकवाद को जन्म दिया है | नक्सली आंदोलन इसका उदाहरण है | हमारी सरकार समाज के हर तबके तक देश के विकास का लाभ नहीं पहुँचा पाई | देश में गरीबी और असमानता बहुत ज्यादा है | ऐसे कई लोग असहाय होकर हथियार उठा लेते हैं | अंग्रेजों ने कई ऐसे कानून बनाएँ थे जिसका भारत एक आदिवासी समुदाय ने कड़ा विरोध किया था | उसके खिलाफ कई आंदोलन भी हुए थे | आजादी मिलने के बाद भी भारत सरकार ने उन कानूनों को बदला नहीं | इससे कई आदिवासी संगठन भी नक्सली आतंकवाद का हिस्सा बन गए |

भारत ने आतंकवाद के कारण लाखों नागरिकों के प्राण गवाएँ है | अब भारत को चाहिए कि आतंकवादी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएँ | आतंकवाद विरोधी कानूनों को दोबारा बनाने की जरुरत है | हमारे सशस्त्र बालों का आधुनिकीकरण भी जरुरी है ताकि वो आतंकवादियों का मुकाबला कर उन्हें ख़त्म कर सके | भारत की गुप्तचर संस्थाओं को अधिक सक्रिय होना पड़ेगा | आतंकवादी संस्थाओं को जो पैसा और हथियार मिलता है यदि सरकार उसे रोकने में सफल हो जाए तो भी आतंकवाद की कमर टूट जाएगी | इस कार्य में हमारी गुप्तचर संस्थाओं का अहम योगदान रहेगा | इसके अलावा भारत की सरकार को चाहिए कि वो देश में धार्मिक कट्टरता फैलने न दे | खाड़ी देशों में फैले इस्लामी आतंकवाद का जूनून धीरे-धीरे भारत में भी पैर पसार रहा है | भारत सरकार को सतर्क होकर ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे ऐसे संगठन भारत में अपना प्रचार न कर पाएँ | अभी कुछ दिनों पहले ही हमारी सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर पर गुप्त आक्रमण कर वहाँ चल रहे ७ आतंक के शिविरों को नष्ट कर दिया है | हमारी सरकार को नियमित रूप से इस तरह के कदम उठाने चाहिए |

हमारी सरकार को देश में जितने भी राजनैतिक और सामजिक संगठन हैं, उनसे बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहिए | उनकी जायज माँगों को मान लेना चाहिए | सरकार की उदासीनता लोगों में असंतोष पैदा करती है और उनमें से कई आतंकवाद की तरफ मुड़ जाते हैं | यह सरकार की जिम्मेदारी है कि देश में एकता बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाए जिससे हमारे शत्रु हमारे देश के लोगों को ही हमारे खिलाफ इस्तेमाल न कर पाए |

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