Home राष्ट्रीय इराक में फंसे भारतीयों पर लोकसभा में हंगामा ….

इराक में फंसे भारतीयों पर लोकसभा में हंगामा ….

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सुषमा स्वराज इराक में लापता हुए 39 भारतीयों के मुद्दे पर बुधवार को लोकसभा में बयान देना चाहती थीं, लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते वे ऐसा नहीं कर पाईं। सुषमा ने कहा- ”मैं संजीदगी के साथ जवाब देना चाहती हूं। कृपया मुझे बोलने दें। मैं हंगामे में नहीं बोल सकती। मैं 20 मिनट में अपनी बात खत्म कर दूंगी। पूरा देश इस बारे में जानना चाहता है।” इस पर स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा- ‘इन लोगों (विपक्ष) को संजीदगी मैं तो नहीं सीखा सकती।’ हंगामा बढ़ने पर स्पीकर ने कहा कि सुषमाजी कल भी बयान देना चाहती थीं। लेकिन आप लोगों ने ही सदन नहीं चलने दिया। बता दें कि तीन साल पहले इराक के मोसुल से इन भारतीयों को आतंकी संगठन आईएसआईएस ने किडनैप किया था। मोसुल को आईएसआईएस के कब्जे से छुड़ाया जा चुका है। भारत को उम्मीद है कि अब इनका पता लगाया जा सकता है। लोकसभा में क्या हुआ? …

– विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर ने कहा- “आप एक ही बात बताएं कि मोसुल में भारतीयों की मौजूदगी के बारे में हम सभी को चिंता है। खड़गेजी मैं आपसे सुनना चाहती हूं कि आप इस बारे में जानना चाहते हैं या नहीं।”
– इस पर लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमें इस विषय पर भी चिंता है। लेकिन हम किसानों और लिंचिंग के मुद्दे पर बोलना चाहते हैं। मॉब किलिंग को लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी आलोचना हो रही है।
– इस पर स्पीकर ने उन्हें दूसरे विषय पर बोलने की इजाजत नहीं दी। उन्होंने कहा कि मैंने कभी आप लोगों को बोलने से नहीं रोका। लेकिन अभी पूरा सदन इराक के बारे में सुनना चाहता है। सुषमाजी को बयान देने दीजिए। कृपया चेयर के साथ कोऑपरेट करें। वेल में क्यों आते हो।
– सुषमा ने भी कहा कि मैं संजीदगी के साथ जवाब देना चाहती हूं। कृपया मुझे बोलने दें।
– इस पर स्पीकर ने कहा- इन लोगों (विपक्ष) को संजीदगी मैं तो नहीं सीखा सकती।
– इसके बाद स्पीकर ने अरुण जेटली को कुछ दस्तावेज लोकसभा में पेश करने को कहे।
– बता दें कि इराक के फॉरेन मिनिस्टर इब्राहिम अल जाफरी ने बताया था- “हमें बिल्कुल भी इस बात की जानकारी नहीं है कि लापता हुए भारतीय जिंदा है या मारे गए।” जाफरी चार दिन के ऑफिशियल विजिट पर नई दिल्ली आए थे।
कैसे लापता हुए थे 39 भारतीय?
– इराक में लापता हुए भारतीयों में ज्यादातर पंजाब के रहने वाले हैं। ये सभी मोसुल और इसके करीबी शहरों में मजदूरी के लिए गए थे।
– 2014 में इन्हें आईएस ने किडनैप किया। आरोप है कि इन्हें मोसुल के किसी गांव की जेल में रखा और वहां उनसे मजदूरी कराई गई। इसके बाद से इन भारतीयों के बारे में कभी कुछ पुख्ता तौर पर सामने नहीं आया। सरकार इनका पता लगाने की कोशिश कर रही है।
इराक के एम्बेसेडर के बयान के बाद विवाद
– 20 जुलाई को भारत में इराक के एम्बेसडर फाखरी-अल-इस्सा ने कहा था, ”इस्लामिक स्टेट (IS) के द्वारा अगवा किए 39 भारतीयों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता। कभी-कभी कोई खबर नहीं होना ही, अच्छी खबर होता है। हो सकता है कि वो सभी बादुश जेल में हों।”
– इसके बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि स्वराज ने इस मुद्दे पर देश को गुमराह किया। 19 जुलाई को कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने राज्यसभा में कहा, ”मंत्री ने देश को यह कहकर गुमराह किया कि 39 भारतीय बादुश की जेल में बंद हैं, जबकि हकीकत यह है कि उस जेल को आईएसआईएस ने तबाह कर दिया है।”
– इसके पहले ट्वीट में उन्होंने कहा था- ”मैं देश से झूठ बोलने और 39 परिवारों की भावनाओं से खिलवाड़ करने के लिए विदेश मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने के बारे में सोच रहा हूं।”
सरकार के दावे पर अपोजिशन को यकीन नहीं
– इराक के पीएम हैदर अल अबादी ने 9 जुलाई को एलान किया था कि 9 महीने चली जंग के बाद मोसुल को आईएस के कब्जे से छुड़ा लिया गया है। अबादी खुद मोसुल पहुंचे थे और आर्मी कमांडर्स की मौजूदगी में उन्होंने ये घोषणा की थी।
– अबादी के इस एलान के बाद सुषमा ने अपने जूनियर मिनिस्टर वीके. सिंह को इराक के इरबिल भेजा था। सिंह से कहा गया था कि वो इरबिल पहुंचकर 39 लापता भारतीयों के बारे में जानकारी हासिल करें।
– सरकार ने कहा कि लापता भारतीय मोसुल से कुछ दूरी पर बादुश गांव की जेल में हो सकते हैं।

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