Home प्रादेशिक बुखार से पीडि़त आधा दर्जन बच्चों को पीएचसी कुपवी में एडमिट करवाया…..

बुखार से पीडि़त आधा दर्जन बच्चों को पीएचसी कुपवी में एडमिट करवाया…..

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कुपवी क्षेत्र में बुखार से तीन महीने के एक बच्चे की मौत हो गई है। दो दिन के भीतर ही बुखार से पीत आधा दर्जन बच्चों को पीएचसी कुपवी में एडमिट करवाया गया है। बुखार की चपेट में आने के बाद जुइनल गांव के 3 माह के कृष को 5 अगस्त को इलाज के लिए पीएचसी कुपवी में भर्ती करवाया गया था। 6 अगस्त को डाॅक्टरों ने कृष को आईजीएमसी शिमला रेफर किया था। 108 एंबुलेंस से शिमला ले जाते समय बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

कुपवी क्षेत्र में चार महीने पहले स्वाइन फ्लू के चार मामले सामने आए थे। तीन-चार वर्ष पहले भी इस क्षेत्र में इस बीमारी की चपेट में आने एक बच्चे की मौत हो गई थी। अब दर्जन भर बच्चों के बुखार की चपेट में आने क्षेत्र के लोगों को फिर से स्वाइन फ्लू नामक खतरनाक बीमारी फैलने की चिंता सता रही है। हालांकि डाॅक्टर इसे सामान्य बुखार बता रहे है।

बुखारजुकाम खांसी के 23 मरीज
पीएचसीकुपवी में वीरवार को कुल 88 मरीज की ओपीडी हुई। जिनमें बुखार से पीडि़त बच्चे 9 बच्चे एडमिट हुए हैं। 14 मरीज खांसी जुकाम के एडमिट हुए है। जिनमें से 3 मरीजों को टाइफाइट हो गया है। जिन बच्चे को पीएचसी कुपवी में इलाज चल रहा है। उनमें अंकित (5 वर्ष) टिक्कर, रोहित (5 वर्ष) सामुई, आतिश (4 वर्ष) चियामा, मक्ष (डेढ़ वर्ष) शरमाड़ा, अरविंद (6 वर्ष) आणोग सुशांत (6 वर्ष) आदि शामिल हैं।
स्थिति काबू में : पुनीत
पीएचसीकुपवी में कार्यरत डाॅ. पुनीत ने बताया कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पीएचसी में बुखार के सामान्य मरीज रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीएचसी में बुखार के 9 मरीज हैं। सभी को सामान्य बुखार है। सभी मरीज जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि पीएचसी में बुखारी जैसी बीमारियों से निपटने के लिए पूरे इंतजाम है। उन्होंने कहा कि यदि किसी मरीज को बुखार के लक्षण होते है तो बिना समय गवाएं झोला छाप डाॅक्टरों के पास जाने की बजाय मरीज को पीएचसी में लाएं।
बुखार की चपेट में आए बच्चे कुपवी पीएचसी में उपचाराधीन।
लक्षण :रोगीका बुखार आना, नाक बहना, छींक आना, खांसी, बदन दर्द, पेट दर्द, उल्टियां और दस्त स्वाइन फ्लू के मुख्य लक्षण है। उपाय: यदियह सभी लक्षण दिखते है तो रोगी जांच करवाने तुरंत डाक्टर के पास जाएं। कई बार एंटीवायरल दवाओं से भी फ्लू का उपचार किया जा सकता है। स्वाइन फ्लू से बचने के लिए दो बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पहला यह कि खांसते छींकते समय नाक मुंह पर रुमाल कोई साफ कपड़ा रखना चाहिए। दूसरी बात यह है कि हाथों का लगातार धोते रहना चाहिए। क्योंकि फ्लू का विषाणु हवा में उड़ कर हाथों के जरिए ही एक से दूसरे में फैलता हैं।

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