Home धर्म/ज्योतिष अगर सफर पर हैं या घर से दूर, तो ऐसे मनाएं जन्माष्टमी….

अगर सफर पर हैं या घर से दूर, तो ऐसे मनाएं जन्माष्टमी….

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देशभर में जन्माष्टमी की धूम है, इस दौरान कई मंदिरों को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया गया है. जन्माष्टमी की रात को कृष्ण जन्म के समय इन मंदिरों में भक्तों की भीड़ कृष्ण दर्शन के लिए उमड़ने वाली है. हालांकि कई लोग 15 अगस्त की छुट्टी मनाने अपने घर या दूसरे शहर की ओर यात्रा कर रहे हैं. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो नाइट ड्यूटी की वजह से मंदिर नहीं पहुंच सकते हैं. ऐसे में हम बता रहे हैं कि कैसे घर से दूर श्रद्धालू बिना मंदिर गए भी आसान तरीके से जन्माष्टमी की पूजा कर सकते हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ तरीकों के बारे में…

भगवान विष्णु के श्रीकृष्ण की पूजा करने की एक खास विधि भी है. हिंदी के अंक सात यानी 7 और 4 यानी 4 में इसका राज छुपा हुआ है. हिंदी का 7 शंख का सूचक है और 4 चक्र का और इससे भगवान विष्णु की छवि का निर्माण होता है. इस तरह आप किसी कागज या दीवार पर 74 लिखकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते हैं.

भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाने के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा. हालांकि भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों की मजबूरी का पूरा ख्याल रखते हैं. उन्होंने अपने दोस्त सुदामा के दिए गए साधारण पोहे को खाकर भी उनकी दरिद्रता दूर कर दी थी. ऐसे में अगर आप सफर करते हुए अलग अलग तरह की मिठाई भोग के लिए नहीं खरीद पा रहे हैं तो बस एक खीरा खरीद लें. इस भोग से भी भगवान श्रीकृष्ण आपसे जरूर प्रसन्न होंगे. खीरा नहीं मिलने पर माखन मिश्री का भोग भी लगाया जा सकता है.

घर में भी बना सकते हैं झूला

जन्माष्टमी की पूजा में कोशिश की जाती है कि पालने का इंतजाम जरूर हो. ऐसे में आप नए कपड़े से घर में झूला बना सकते हैं. उसमें भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर रखकर नंद गोपाल को झुला दें. आपकी हर इच्छा पूरी होगी.

मोबाइल आएगा काम

आप मोबाइल पर भगवान श्रीकृष्ण के किसी भी बालरूप की फोटो की पूजा कर सकते हैं. ध्यान रखिएगा कि बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों या माखन खाते भगवान श्रीकृष्ण. पूजा करने के दौरान मन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः लेना चाहिए.

इस मंत्र का करें जाप

ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥

इस मंत्र के साथ पुष्पांजलि की विधि करें

प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।

वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।

सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।’

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