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ये हैं देश के प्रसिद्ध 10 गुरुद्वारे जहां सभी समान आस्था से टेकते हैं मत्था…

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देश हो विदेश घूमने के शौकीन लोगों के बीच भारत के धार्मिक और ऐतिहासिक स्‍थल भी काफी मशहूर हैं. इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं देश के प्रसिद्ध गुरुद्वारे. यहां मत्था टेकने जाना एक बार तो बनता है…

गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सिंह, अमृतसर ‘गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सिंह’ को बचाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह जी ने गुरुद्वारे का ऊपरी हिस्सा सोने से ढक दिया था इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर का नाम भी दिया गया है. यह अमृतसर, पंजाब में स्थित है.

गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सिंह, अमृतसर ‘गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सिंह’ को बचाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह जी ने गुरुद्वारे का ऊपरी हिस्सा सोने से ढक दिया था इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर का नाम भी दिया गया है. यह अमृतसर, पंजाब में स्थित है.

गुरुदवारा श्री हरमंदि‍र जी, पटनायह गुरुद्वारा सिखों के पांच पवित्र तख्तों में से एक है. इस गुरुद्वारे को महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया गया और यह बिहार के पटना शहर मेँ स्थित है.

श्री हजूर साहिब अब्चालनगर साहिब गुरुद्वारा, महाराष्ट्र यह गुरुद्वारा भी 5 तख्तों में से एक है. श्री हजूर साहिब महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्थित है. ऐसा कहते हैं की यह वह जगह है जहां गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपनी आखिरी सांस ली थी. महाराज रणजीत सिंह जी ने सन 1832 में इस गुरुद्वारे को बनवाया.

गुरुद्वारा शीशगंज, दिल्ली पुरानी दिल्‍ली में महान धार्मिक एवं ऐतिहासिक गुरुद्वारा शीशगंज स्थित है जहां हिन्दू-सिख एवं अन्य धर्मों के लोग समान आस्था से शीश नवाते हैं. यह गुरुद्वारा नौवीं पातशाही गुरु तेगबहादुर जी से संबंधित है.

गुरुद्वारा पौंटा साहिब, हिमाचल प्रदेश माना जाता है कि पौंटा साहिब पर सिखों के 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने सिख धर्म के शास्त्र दसम् ग्रंथ या ‘दसवें सम्राट की पुस्तक’ का एक बड़ा हिस्सा लिखा था. स्थानीय लोगों का कहना है कि गुरु गोबिंद सिंह चार साल यहां रुके थे. पौंटा साहिब में कई पर्यटन स्थल के आकर्षण हैं और उनमें से अस्सान झील और सहस्त्रधारा लोकप्रिय हैं.

गुरुद्वारा श्री हेमकुंठ साहिब, उत्तराखंड गुरुद्वारा श्री हेमकुंठ साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और यह अपनी वास्‍तुकला के लिए जाना जाता है. यह गुरुद्वारा समुद्र स्तर से 4000 मीटर की ऊंचाई पर है. यह अक्टूबर से लेकर अप्रैल तक बंद रहता है.

गुरुद्वारा सेहरा साहिब, सुल्‍तानपुर पंजाब के इस गुरुद्वारे के बारे में कहा जाता है कि गुरु हर गोविंद सिंह जी की बारात यहां से गुजरी थी और इस शहर में ही उनकी सेहरा बंधी की रस्‍म की गई थी. इसके बाद यहां गुरुद्वारा बना और उसका नाम सेहरा साहिब रखा गया.

गुरुद्वारा श्री नानक झिर साहिब, कर्नाटक यह राज्य के बीदर में स्थित है और एक ऐतिहासिक जगह के रूप में भी मशहूर है. रोजाना लगभग 4 से 5 लाख लोग इस गुरुद्वारे में माथा टेकने आते हैं.

गुरुद्वारा मटन साहिब, अनंतनाग यह श्रीनगरसे 62 किलोमीटर की दूरी पर है. बताया जाता है कि श्री गुरुनानक देव जी अपनी यात्रा के दौरान यहां 30 दि‍न के लिए ठहरे थे.

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