10 साल के लंबे अंतराल में साध्वी यौन शोषण प्रकरण की सुनवाई सी.बी.आई. कोर्ट के 7 जजों ने की है। इसकी सुनवाई वर्ष 2007 में अम्बाला सी.बी.आई. कोर्ट से शुरू हुई थी जो आज 28 अगस्त को सजा के ऐलान पर खत्म हुई है। इस केस में रोल मॉडल जज जगदीप सिंह बन गए हैं। जगदीप सिंह का यह फैसला देशभर में एक नजीर बन गया है। खास बात यह है कि इस मामले में डेरा प्रमुख को जमानत अम्बाला सी.बी.आई. कोर्ट से ही मिली थी।
मामले में तेजी मौजूदा पंचकूला सी.बी.आई. जज जगदीप सिंह के समय में आई, जब उन्होंने जल्द फैसले को लेकर अदालती प्रक्रिया तेज की। हालांकि अधिकांश गवाहियां तत्कालीन अम्बाला सी.बी.आई. के जजों ए.के. वर्मा, के.सी. सैनी और ए.एस. नारंग की कोर्ट में हुई थीं। इन्हीं गवाहियों के आधार पर ही आज जज जगदीप सिंह ने डेरा प्रमुख को 20 साल की कठोर सजा सुनाई है।30 जुलाई, 2007 को 5 साल की जांच के बाद सी.बी.आई. ने साध्वी यौन शोषण प्रकरण की चार्जशीट अम्बाला सी.बी.आई. कोर्ट में दाखिल की थी। उसके बाद से ही अदालती प्रक्रिया शुरू हुई। सबसे पहले मामले का ट्रायल अम्बाला सी.बी.आई. के जज ए.के. वर्मा की कोर्ट में शुरू हुआ। इसी दौरान वर्ष 2008 में डेरा प्रमुख पर आरोप तय हुआ था। करीब डेढ़ वर्षों तक ट्रायल चलने के बाद ए.के. वर्मा का तबादला हो गया। उसके बाद जज के.सी. सैनी आए और उनके समय में ही डेरा प्रमुख को जमानत दी गई।
अम्बाला सी.बी.आई. के जज ए.एस. नारंग के कार्यकाल में अधिकांश गवाहियां हुईं। इन्हीं दिनों सी.बी.आई. कोर्ट में साध्वियों की गवाहियां हुईं और डेरा प्रमुख के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह की अहम गवाही हुई। उसके बाद इस मामले की सुनवाई जज अशोक कुमार त्यागी और जज नाजर सिंह के कार्यकाल में हुई, जिसमें सी.बी.आई. ने अपने सबूतों और साक्ष्यों को कोर्ट में पुख्ता किया। जज आर.के. यादव के कार्यकाल में बचाव पक्ष ने अपनी दलीलें दीं और फिर जज जगदीप सिंह ने मामले में तेजी लाते हुए 17 अगस्त को बहस फाइनल कर दी। मौजूदा सी.बी.आई. जज जगदीप सिंह ने फैसले के लिए 25 अगस्त की तिथि मुकर्रर करते हुए डेरा प्रमुख को दोषी ठहराया। उसके बाद आज डेरा प्रमुख की सजा का ऐलान करते हुए उसे 20 साल की सजा सुनाई।