डेरा प्रमुख को सजा सुनाए जाने के बाद डेरा समर्थकों ने मालवा को दहलाने की साजिश रची थी, जिसे पुलिस ने नाकाम कर दिया। पुलिस ने कुछ ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जो डेरा प्रबंधकों में शामिल थे, जिन्होंने कई राज उगले। अभी तक उनमें से कुछ फरार हैं, जिस कारण खतरा अभी भी बरकरार है। इन सभी ऐंगलों को ध्यान में रख पुलिस ने ऐसे प्रबंध किए कि परिंदा भी पर न मार सके। फिर भी पुलिस फरार डेरा प्रबंधकों की तलाश में छापेमारी कर रही है।
पुलिस व खुफिया तंत्र गत 3 दिनों से सतर्क रहा और किसी भी ङ्क्षहसक घटना को रोकने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए थे। खुफिया एजैंसियों ने पुलिस को सूचित किया था कि डेरे द्वारा बनाई गई ‘कुर्बानी ब्रिगेड’ किसी भी समय आत्मघाती योजना को अंजाम दे सकती है। इसमें बड़े स्तर पर डेरा समर्थक ङ्क्षहसा करने के बाद आत्महत्या कर सकते हैं। इसे लेकर चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई। सभी संवेदनशील क्षेत्रों सहित सार्वजनिक स्थलों व सरकारी सम्पत्ति पर पैनी नजर रखी जाने लगी।
बता दें कि 2007 में भी डेरा विवाद के बाद पुलिस ने 5 आत्मघाती महिलाओं को गिरफ्तार किया था लेकिन बाद में इस मामले को रफा-दफा कर दिया। पुलिस को सबसे बड़ी सफलता डेरों की निगरानी से मिली, जहां किसी भी डेरा समर्थक को जाने नहीं दिया, अगर नामचर्चा के नाम पर कुछ लोग डेरा में चले जाते तो उन्हें आत्महत्या व ङ्क्षहसा के लिए
उकसाया जा सकता था। पुलिस ने एक अभियान के तहत डेरे के क्षेत्रीय प्रबंधकों की धरपकड़ शुरू कर दी, जिसके तहत पुलिस ने एक दर्जन से अधिक समर्थकों को हिरासत में लिया जो कुछ भी कर सक ते थे।
जिले में डेरे की ओर से सबसे बड़ी 45 मैंबरी कमेटी गठित की हुई थी, जो अपने क्षेत्र के सभी समर्थकों का संचालन करती है, जबकि उन्हें निर्देश डेरे की ओर से मिलते थे, जिन्हें वह लागू करवाती थी। 45 मैंबरी क मेटी के पदाधिकारी गुरदेव सिंह इंसां, रणजीत सिंह इंसां, मनोज कुमार इंसां सहित कुछ प्रबंधकों को पुलिस ने पहले ही दबोच लिया था। इस कमेटी के कुछ अन्य सदस्य भूमिगत भी हो गए, जो पुलिस की पकड़ से दूर निकल गए।
पैट्रोल पम्पों को निशाना बनाने का था अंदेशा
कुर्बानी ब्रिगेड व आत्मघाती दस्ते द्वारा कुछ पैट्रोल पम्पों को निशाना बनाने का अंदेशा था, जिसे पुलिस ने सूझ-बूझ से विफल कर दिया। पुलिस ने पहले ही सभी पैट्रोल पम्पों पर पैरामिलिट्री फोर्स तैनात कर दी व पैट्रोल लेने वाले हर ग्राहक पर तीखी नजर रखी गई और बिना पहचान-पत्र के किसी को भी पैट्रोल देने की मनाही कर दी थी। खुफिया एजैंसियों को कुछ ऐसे इनपुट मिले थे, जिनके तहत बाबे की यह फौज कुछ भी कर गुजरने को तैयार थी।
2010 में कुछ ऐसी गुप्त सूचनाएं प्राप्त हुई थीं, जिनमें कहा गया था कि डेरा प्रमुख अपनी विशेष सेना तैयार कर रहा है और उन्हें ट्रेङ्क्षनग देने के लिए कुछ पूर्व सैनिकों को भी रखा गया था। इसकी जांच के लिए पुलिस को सतर्क किया गया लेकिन हरियाणा पुलिस ने मामूली-सी जांच के बाद इस चैप्टर को बंद कर दिया था।
45 मैंबरी कमेटी के सदस्यों पर शिकंजा
डेरा प्रमुख को दोषी करार देने के बाद पुलिस ने 45 मैंबरी कमेटी के सदस्यों पर शिकंजा कसते हुए उनकी धरपकड़ शुरू कर दी, जिसका पुलिस को अधिकतर लाभ हुआ। इस कमेटी के मुखिया ने पुलिस के आगे कई राज उगले, जिसे लेकर पुलिस ने चौकसी बढ़ाई और चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखी। डेरा द्वारा समर्थकों को ङ्क्षहसा पर उतारू करने के लिए कुछ विशेष कोड भी बांटे गए थे, जिसका खुलासा इस मुखिया ने किया।
डेरा प्रेमियों को गुमराह करने के प्रयास जारी
डेरा सिरसा की ओर से समर्थकों को एक बार फिर गुमराह करने का प्रयास किया गया। डेरा प्रबंधकों ने अपने समर्थकों को मैसेज भेजकर आग्रह किया कि डेरा प्रमुख को जमानत मिल जाएगी, इसलिए वे डेरा पहुंचने की कोशिश करें। कुछ समर्थकों ने कोशिश भी की लेकिन पुलिस ने उनकी कोशिशों को नाकाम कर दिया। बेशक जिला प्रशासन ने रविवार को पूरा दिन कफ्र्यू से राहत दी, जिसका फायदा उठाने के लिए समर्थकों को लामबंद किया गया परन्तु सीमा पार करना उनके बस की बात नहीं थी, इसलिए वे वहां एकत्रित नहीं हो सके। कोई भी डेरा प्रबंधक अब रिस्क लेने को तैयार नहीं, क्योंकि पुलिस ने डेरे के 2 प्रवक्ताओं डा. अदित्य इंसां व धीमान इंसां पर देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया जोकि फरार हैं। अब डेरे की गद्दी को लेकर विवाद सामने आने की संभावना है। इस पर 3 लोगों की दावेदारी है। पहले नंबर पर डेरा मुखी का बेटा जसमीत, दूसरे नंबर पर डेरे की साध्वी विपसना व गोद ली बेटी हनीप्रीत है।