भगवान गणेश का जन्म उत्सव 5 सितंबर तक चलेगा, क्या है गणेश उत्सव का महत्व, यदि आपके घर में वास्तु दोष है तो उसे दूर करने के लिए क्या करें, यदि किसी ग्रह की वजह से जीवन में बाधा है तो कैसे मिलेगी शांति, अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए किस मंत्र का आज आप करें और यदि आप ने घर में गणेश जी रखें हैं तो कैसे करें विसर्जन आइए जानते हैं विस्तार से…
गणेश उत्सव का महत्व
भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और समृद्धि का देवता माना जाता है. हिन्दू धर्म के अनुसार कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश का पूजन करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए चतुर्थी तिथि से शुरू करके 10 दिन तक गणेश उत्सव माना जाता है.
गणेश पूजन में किन बातों का ख्याल रखें
1. भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का प्रयोग ना करें
2. पूजन में गणपति की ऐसी प्रतिमा प्रयोग करें, जिसमें सूंड बाएं हाथ की ओर घूमी हो
3. दाएं हाथ की ओर घूमी हुई सूंड वाले गणपति की प्रतिमा का प्रयोग ना करें, ऐसा माना जाता है कि इनकी साधना कठिन होती है, गणपति देर से प्रसन्न होते हैं.
4. गणेश जी को मोदक और मूषक प्रिय हैं. इसलिए ऐसी मूर्ति की पूजा करें जिसमें मोदक और मूषक दोनों हों.
गणेशजी की पूजा से दूर होगा वास्तुदोष
यदि घर में वास्तु दोष हो तो गणेश उत्सव के समय गणपति का पूजन करें
अपने घर में गणेश जी की स्थापना करें और प्रतिदिन पूजन करें और वास्तुदोष दूर करने का निवदेन करें.
घर के मुख्यद्वार अंदर और बाहर दोनों तरफ गणेश जी का चित्र लगाएं.
सभी ग्रहों की शांति के लिए पूजन
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान गणेश का संबंध बुध ग्रह से है. लेकिन प्रथम पूज्य गणपति की पूजा से सभी ग्रहों की शांति हो जाती है.
मनोकामना पूर्ति के लिए किस मंत्र का जाप करें
सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का 108 बार जाप करें.
11 दिन चलेगा गणेश उत्सव
गणेश जी का उत्सव 10 दिन के बजाय 11 दिनों तक चलेगा. यानी 25 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक गणेश उत्सव चलेगा. क्योंकि 10वीं तिथि दो दिन है. 31 अगस्त और 1 सितंबर को 10वीं तिथि है. इसलिए भगवान गणेश का विसर्जन अनंत चतुर्दशी को यानी 5 सितंबर को होगा.
कैसे करें विसर्जन
सबसे पहले जिस तरह से आप पूजन कर रहे हैं, विसर्जन से पहले भी उसी तरह से भगवान गणेश का पूजन करें. मोदक, फल का भोग लगाएं. भगवान गणेश की आरती करें. भगवान गणेश से विदा होने की प्रार्थना करें. पूजा स्थान से गणपति की प्रतिमा को उठाएं और किसी दूसरे लकड़ी के पटे पर रखें. साथ में फल, फूल, वस्त्र, मोदक और दक्षिणा रखें. एक कपड़े में थोड़े चावल, गेहूं और पंचमेवा रखकर पोटली बनाएं उसमें कुछ सिक्के भी डाल दें. उस पोटली को गणेश जी की प्रतिमा के पास रखें साफ पानी में गणेश जी का विसर्जन करें. नदी, तालाब में विसर्जन का विधान है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के कारण आप अपने घर में ही बड़े टब में साफ पानी भर कर गणेश जी का विसर्जन करें. कुछ दिन तक टब में पानी और मूर्ति रहने दें और फिर किसी पेड़ के नीचे उस जल को छोड़ दें.