Home राष्ट्रीय ईद पर गले नहीं मिल पाएंगे नमाज़ी, जारी हुआ फरमान…

ईद पर गले नहीं मिल पाएंगे नमाज़ी, जारी हुआ फरमान…

39
0
SHARE

उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर स्वाइन फ्लू फैलने के बाद देश के बड़े मुस्लिम उलेमा ने यहां बक़रीद पर गले न मिलने की अपील की है. उत्तर प्रदेश के 75 में से 66 ज़िलों में स्वाइन फ्लू के मरीज़ मिले हैं. माशूर सुन्नी मौलाना खालिद रशीद फिरंगिमहली ने अपील जारी की है कि बकरीद की नमाज़ के बाद गले न मिलें बल्कि सलामकर के मुबारकबाद दें…क्योंकि गले मिलने से स्वाइन फ्लू का ख़तरा है. माशूर शिया मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा है कि गले मिलते वक़्त मास्क लगाएं.

ईद पर कुछ लोग तीन बार गले मिलते हैं तो कुछ एक बार…भारत-पाकिस्तान, बांग्लादेश में ईद की मुबारकबाद देने का यह रवायती तरीक़ा है…अरब आमतौर पर ईद में हाथ मिलाते हैं और गाल पे गाल या नाक पे नाक रख के किस करते हैं…ईरान और कई दूसरे मुस्लिम देशों में भी यही चलन है लेकिन स्वाइन फ्लू के डर से उलेमा की अपील है कि इस ईद पर गले न मिलें.

पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर और माशूर सुन्नी मौलाना खालिद रशीद फिरंगिमहली ने NDTV से कहा, “उत्तर प्रदेश की 20 फीसद आबादी मुस्लिम है. इनमें से ज़्यादातर लोग ईद में नमाज़ पढ़ते हैं और एक दूसरे के गले मिलते हैं. चूंकि हाथ मिलाने या गले लगने से स्वाइन फ्लू के इन्फेक्शन का ख़तरा है, इसलिए ईद की नमाज़ के बाद गले मिलने के बजाए सिर्फ़ सलाम कर के मुबारकबाद दें. खुदा भी अपने बंदों की हिफ़ाज़त चाहता है. अगर कोई त्योहार स्वाइन फ्लू फैलने की वजह बन जाए तो यह शर्म की बात होगी.”

उत्तर प्रदेश के 75 ज़िलों में से 66 में यानी प्रदेश के क़रीब 88 फीसद इलाक़े में स्वाइन फ्लू के मरीज़ मिले हैं लेकिन स्वाइन फ्लू के कुल 2725 मरीज़ों में 1622 सिर्फ़ लखनऊ में हैं, 12 की मौत हो गई है..ईद की सबसे बड़ी नमाज़ भी यहीं होती है और नमाज़ के बाद हर शख्स दर्जनों लोगों से गले मिलता है.

लेकिन त्योहार के मौक़े पर ऐसी अपील को लागू करना एक बड़ा चैलेंज है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर और शिया मौलाना कल्बे जव्वाद को लगता है कि मास्क लगा के गले मिलने से भी इन्फेक्शन से बचने में कुछ मदद मिल सकती है. उन्होंने NDTV से कहा, “ईद की तो पहचान ही गले मिलने से है और यह मौक़ा गले मिलकर गिले-शिकवे दूर करने का भी है लेकिन जान बहुत क़ीमती है, इसलिए मास्क पहनकर गले मिलें तो ज़्यादा अच्छा है.

कुछ मुस्लिम व्हॉटएप्स के ज़रिये अरबी में लिखी कुछ दुआएं भी एक-दूसरे को भेज रहे हैं. ऐसी दुआओं के साथ उसे ज़्यादा से ज़्यादा फॉर्वर्ड करने की हिदायत रहती है, इसलिए कह सकते हैं कि इस बार मुसलमानों में स्वाइन फ्लू से बचने के लिए “दवा…दुआ और गले मिलने से परहेज़” का सहारा लिया जा रहा है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here