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पूरे देश के लिये एक समान शिक्षा नीति होना चाहिये : मुख्यमंत्री श्री चौहान…

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शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयासों की केन्द्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने की सराहना

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पूरे देश के लिये एक समान शिक्षा नीति होना चाहिये। इसके लिये मध्यप्रदेश पूरा सहयोग करेगा। उन्होने कहा कि प्रयोग के तौर पर माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के लिये बैतूल जिले में पठन-पाठन की सारी सुविधाओं और अधोसंरचनात्मक व्यवस्थाओं से सम्पन्न एक विद्यालय खोला जाएगा जिसमें आसपास के गांवों से विद्यार्थियों को लाया जाएगा और वापस छोड़ा जाएगा। इस प्रयोग के सफल होने पर इसका विस्तार करने पर विचार किया जाएगा।

श्री चौहान आज यहां एक न्यूज चैनल द्वारा राज्य शिक्षा समिट कार्यक्रम में सवालों के जवाब दे रहे थे। उन्होने शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थाओं को सम्मानित किया।

मप्र को शिक्षा में केन्द्र से मिलेगा पूरा सहयोग

केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक सवाल के जवाब में मध्यप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता बढ़ाने, स्वायत्तता बढ़ाने और नये शैक्षणिक संस्थानों को प्रोत्साहित करने के मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति करने के बाद अब प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। किसी समय बीमारू राज्य कहलाने वाला मध्यप्रदेश अब प्रथम श्रेणी के राज्यों में शामिल हो गया है। श्री जावड़ेकर ने कहा कि मध्यप्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में हर प्रकार से सहयोग दिया जाएगा। श्री जावड़ेकर ने कहा कि विशेषज्ञों का एक पैनल पूरे देश में बीस उत्कृष्ट विश्वविद्यालयों का चयन करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मध्यप्रदेश का भी इसमें स्थान होगा।

श्रमोदय विद्यालय खुलेंगे

श्री चौहान ने राज्य में प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिये किये गये प्रयासों की चर्चा करते हुये कहा कि उत्कृष्ट विद्यालय, एकलव्य विद्यालय, ज्ञानोदय विद्यालय खोले गये हैं । चार श्रमोदय विद्यालय भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में खोले जा रहे हैं। इन विद्यालयों में विशेष रूप से शिक्षित और प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती की गई है। इनकी सेवा शर्ते भी भिन्न हैं।

श्री चौहान ने कहा कि समाज की ओर से भी शिक्षकों को मान-सम्मान मिलना चाहिये। इस प्रवृत्ति में कमी आई है। उन्होंने कहा कि वेतन और सुविधाओं के अलावा शिक्षक मान-सम्मान चाहता है।

उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने चलेगा अभियान

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि एक दशक पहले तक प्राथमिक शिक्षा बुरी स्थिति में थी। शुरू से ही कठिन प्रयास करने पड़े । उच्च शिक्षा का प्रतिशत 13-14 था जो अब 20 हो गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश को जब भी आवश्यकता पड़ी केन्द्र ने पूरी मदद की। अब उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये अभियान चलाया जाएगा। नये कॉलेज खुल रहे हैं, जो कम्प्यूटर लैब, लाइब्रेरी और आई.टी. आधारित अन्य पठन-पाठन टूल्स से सज्जित हैं।

श्री चौहान ने मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना की चर्चा करते हुये कहा कि अब प्रतिभाशाली बच्चों को उच्च शिक्षा के लिये पैसों की कमी नहीं आएगी। उनकी फीस सरकार भरेगी। प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारी जाएगी। उन्होंने बताया कि शिक्षकों की सेवा-शर्तें और वेतन में सुधार किया गया है। अब उन्हें सम्मानजनक 25 से 30 हजार रूपये प्रति माह वेतन मिल रहा है। उनका प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाएगा। कक्षाओं में बच्चों की उपस्थिति का प्रतिशत भी बढ़ा है। उन्होंने बताया कि जिन बच्चों के माता पिता नहीं हैं, वे रेल्वे स्टेशनों, सड़कों पर भटकते रहते हैं, उनके लिये भी शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। कलेक्टरों से कहा गया है कि वे किराये का आवास लें और उन्हें स्कूल भेजें। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को साइकिल, गणवेश, लैपटॉप, स्मार्टफोन देने जैसी पहल की गई है। निजी क्षेत्र में कई विश्वविद्यालय स्थापित हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने शिक्षा के तीन आयाम गिनाते हुये कहा कि शिक्षा का उददेश्य ज्ञान देना, कौशल देना और नागरिक संस्कार देना है। विश्वस्तरीय आई.टी.आई की स्थापना भोपाल में की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ी है इस साल के 12वी कक्षा के जो उत्कृष्ट परिणाम आये, उनमें सबसे ज्यादा बच्चे शासकीय स्कूलों के थे।

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