Home राष्ट्रीय BHU में छेड़छाड़ के विरोध में धरना दे रहे छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज….

BHU में छेड़छाड़ के विरोध में धरना दे रहे छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज….

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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की छात्राएं बीते शुक्रवार यानी 22 सितंबर से धरना प्रदर्शन कर रही हैं। बीएचयू की छात्राओं का विरोध कैंपस में लड़िकयों के साथ हुई छेड़छाड़ को लेकर है। छात्राओं के गुस्सा इस बात को लेकर है कि उनके साथ ऐसा होता रहता है लेकिन न तो प्रशासन इस बात पर कोई एक्शन लेता और अगर छात्राएं अपने हॉस्टल में छेड़छाड़ की शिकायत करती हैं तो उन्हीं को डांट दिया जाता है। लेकिन 22 सितंबर को लड़कियों का गुस्सा फूट पड़ा।

दो दिन में बीएचयू में क्या क्या हुआ : गुरुवार शाम यानी 21 सितंबर को एक छात्रा के साथ कला भवन के पास एक लड़के ने छेड़छाड़ की। जब लड़कियों ने इस बात का विरोध किया तो लड़कों ने उल्टा लड़की को धमकाया और वहां से भाग गए। छात्रा के शोर मचाने पर भी कुछ ही दूरी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने कुछ नहीं किया। छात्रा ने प्रॉक्टर से शिकायत की पर उनकी तरफ से भी कोई मदद नहीं मिली। फिर हॉस्टल आकर छात्रा ने अपने बाके साथियों को इस घटना के बारे में बताया, जिसके बाद लड़कियों का गुस्सा फट पड़ा। मामले की जानकारी मिलने पर छानबीन के लिए त्रिवेणी हॉस्टल खुद कुलपति वीसी त्रिपाठी पहुंचे थे। जिसके बाद शुक्रवार सुबह यानी 22 सितंबर की सुबह 6 बजे से BHU के मेन गेट पर छात्राएं प्रदर्शन कर रही हैं।

छात्राओं ने कहा, कमरे में ही बैठना होता तो पढ़ने क्यों आते 

बीएचयू की छात्राओं का कहना है कि हॉस्टल में इतना ज्यादा प्रतिबंध लगाया जाता है कि हम अपनी बात भी नहीं कह पाते। वॉर्डेन अपनी दबंगई दिखाती हैं तो प्रॉक्टोरियल बोर्ड अपनी मनमानी हम पर थोप देता है। कई बार तो ऐसा हुआ है कि हम किसी मामले को लेकर कुलपति या डीन आफ स्टूडेंट से मिलने जाने को हुए तो हमें अंदर बैठने की हिदायत मिली। कई बार हॉस्टल का मेन गेट बंदकर हमें कैद ही कर दिया जाता है।

बीएचयू के मुख्य द्वार पर धरना प्रदर्शन में शामिल कुछ छात्राओं ने नाम और पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि मां-बाप ने इतनी दूर हमें कमरे में बैठने के लिए नहीं भेजा है। हॉस्टलों में हमारे साथ तानाशाही रवैया अपनाया जाता है। वॉर्डेन जेलर की तरह पेश आती हैं। पहनावे पर तो पाबंदी है ही, शाम छह बजे के बाद हॉस्टल से बाहर नहीं निकलने दिया जाता है।  छात्राओं ने अपनी आप बीती सुनाते  हुए कहा कि हम जब वॉर्डन से शिकायत करते हैं तो वो हमें ही डांट देती हैं। वॉर्डन कहती हैं लड़के ने छुआ ही तो है न, भूल जाओ इसे। अगर छेड़खानी से इतनी परेशानी है तो अंधेरा होने के बाद हॉस्टल से बाहर जाती ही क्यों हो? लड़की हो लड़का बनने की कोशिश मत करो। इस तरीके से हमें डराया जाता है।

23 सितंबर छात्राओं पर किया गया लाठीचार्ज: छात्रों का प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने बाहर खड़ी मोटरसाइकिल को आग के हवाले कर दिया। हिंसा को बढ़ते देख 23 थानों की पुलिस फोर्स को बुलाया गया। हिंसा पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े।  छात्राओं का प्रदर्शन और हिंसक होते देख पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया। जिसमें कुछ छात्राएं घायल हो गईं जिन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया गया है। फिल्हाल  तनाव को बढ़ता देख 24 सितंबर को कैंपस को 2 अक्टूबर तक के लिए बंद कर दिया गया है।

छात्राओं की शिकायतें: छात्राओं का कहना है कि हमारे लिए कोई हेल्पलाइन नबंर नहीं बनाया गया है। अगर हमें कोई परेशानी होती है तो कोई सुनवाई नहीं होती है। गली-मुहल्लों और बस्तियों में Led लाइट लगाई जा रही है लेकिन बीएचयू कैंपस पिछ़डा हुआ है। अंधेरे का ये आलम है कि अपने घरवालों के साथ भी अंधेरा होने के बाद हॉस्टल के बाहर निकलने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है। सुरक्षा के नाम पर जो गार्ड तैनात हैं कई बार तो छेड़खानी करने वाले लड़के उन्हें भी पीटकर निकल जाते हैं।

उनकी मांग : प्रदर्शन कर रही छात्राओं की मांग की वीसी वहां पहुंचकर उनकी समस्याएं सुनें और उनका समाधान करें। साथ ही छात्राओं ने चीफ प्रॉक्टर ओमकारनाथ सिंह का इस्तीफ़ा भी मांगा है। छात्राओं का कहना है कि इन्हें सुरक्षा दी जाए और हॉस्टलों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इसके साथ ही छात्राओं की मांग है कि जगह-जगह सुरक्षाकर्मियों की तैनाती हो।

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