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विकलांग छात्रों को 5% आरक्षण देने वाली उत्तर भारत की पहली यूनिवर्सिटी बनी HPU….

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हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के बाद विश्वविद्यालय में दृष्टिहीन एवं अन्य विकलांग विद्यार्थियों को न सिर्फ 5 प्रतिशत आरक्षण के अंतर्गत दाखिला दिया गया बल्कि हॉस्टल की सुविधा भी दी गई।उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि राजनीति विज्ञान विषय में एमए में प्रवेश चाहने वाली उमंग फाउंडेशन की दृष्टिबाधित सदस्य चम्बा की इंदु कुमारी को जब विश्वविद्यालय ने प्रवेश देने से इंकार कर दिया तो उसने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा। उस पत्र को जनहित याचिका मानकर हाईकोर्ट ने विकलांग विद्यार्थियों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण तुरंत प्रभाव से देने के निर्देश दिए। इससे अनेक विकलांग विद्यार्थियों प्रवेश मिला। विश्वविद्यालय में इस वर्ष एमए अर्थशास्त्र की कक्षा में 40 सीटों में से एक सीट भी विकलांग विद्यार्थियों को नहीं दी गई थी। उधर धर्मशाला के बीएड कॉलेज में 250 सीटों में सिर्फ 7 सीटें ही विकलांग विद्यार्थियों के लिए आरक्षित की गई। विश्वविद्यालय परिसर में बीएड में 100 सीटों में से सिर्फ दो सीटें ही आरक्षित रखी गई।

उमंग फाउंडेशन का तर्क था कि जब विकलांगजन अधिकार अधिनियम 2016 इस वर्ष देश भर में 19 अप्रैल से लागू किया जा चुका है तो हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय व प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालय एवं कॉलेज इस कानून की धारा 32 के अंतर्गत उच्च शिक्षा में 5 फीसदी  आरक्षण क्यों नहीं लागू कर रहे। हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद विकलांग विद्यार्थियों, इंदु कुमारी को एमए राजनीति विज्ञान में, रविंद्र ठाकुर को एमए अर्थशास्त्र में और जितेंद्र कुमार को बीएड में न सिर्फ दाखिला दिया गया बल्कि विश्वविद्यालय को हॉस्टल की सुविधा भी देनी पड़ी। विजय कुमार नामक दृष्टिबाधित विद्यार्थी को धर्मशाला के बीएड कॉलेज में भी एक सीट दी गई।

प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक मौका है जब हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय उत्तर भारत का एक ऐसा राज्य विश्वविद्यालय बन गया है जहां हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद आरक्षण विकलांगों को 5 फीसदी दिया गया है। उन्होंने इसे विकलांग विद्यार्थियों की एक बड़ी जीत बताया। श्रीवास्तव ने कहा कि विकलांग जन अधिकार अधिनियम की धारा 32 में स्पष्ट कहा गया है कि उच्च शिक्षा में सभी सरकारी संस्थानों और सरकार से सहायता प्राप्त कर रहे संस्थानों को विकलांग विद्यार्थियों को 5 फीसदी आरक्षण देना पड़ेगा।

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