लखनऊ से मात्र 70 किलोमीटर दूर लखनऊ-आगरा एक्सप्रसवे पर आज वायुसेना के विमानों ने उडा़न भरना शुरू कर दिया है. .युद्ध जैसे इस नजारे को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आए हैं. दरअसल वायुसेना भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए आज हाइवे पर उड़ान भरने का अभ्यास शुरू किया गया है. ऐसा पहली बार है जब उन्नाव के पास बांगरमऊ हाइवे पर 17 विमान हाइवे पर टच डाउन किया है.जब ये एक्सप्रेस-वे बन रहा था, तभी वायुसेना के अनुरोध पर चार किलोमीटर का पैच रनवे की तरह ही तकनीकी तौर पर मजबूत और सॉलिड बनाया गया था.
पिछले साल भी वायुसेना के आठ लड़ाकू विमानों ने इसी जगह एक्सप्रेस-वे पर और 2015 में मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेस-वे पर भी वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज 2000 ने टच डाउन किया था. वैसे जिस जगह पर भी वायुसेना के लड़ाकू विमान को टच डाउन कराया गया था वह एक तरह से आम सड़क के साथ रनवे भी है. उसे खासतौर पर रनवे की तरह बनाया गया है कि वह लड़ाकू विमान का दबाव झेल सके. इसके पीछे सोच है कि आपात हालात में जब रनवे विमान के लिए उपलब्ध नहीं हो तो फिर लड़ाकू विमानों को ऐसी जगहों पर उतारा जा सकता है.
देश में ऐसा प्रयोग पहली बार 2015 में किया गया था, जब वायुसेना के मिराज लड़ाकू विमान ने किसी राजमार्ग पर टच डाउन किया था. दूसरी बार ऐसा प्रयोग पिछले साल लखनऊ के पास इसी जगह पर किया गया था, जो पूरी तरह से सफल रहा था. जंग के दौरान अगर आपका एयरबेस बरबाद हो जाता है तो ऐसे राजमार्ग का बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है. दुनिया के चुनिंदा देशों में ऐसे हाइवे और एक्सप्रेस-वे बने हैं जहां पर इमरजेंसी के दौरान विमान को उतारा जा सकता है. इन देशों में पड़ोसी देश पाकिस्तान, जर्मनी, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और ताइवान जैसे कई देश शामिल हैं.
मंगलवार सुबह 10 बजे अमेरिका से स्पेशल ऑपरेशन के लिए लाया गया सी 130 के लैडिंग से इस अभ्यास की शुरुआत होगी. इस परिवहन विमान से ही वायुसेना के गरुड़ कमांडो निकलकर अपना जौहर दिखाएंगे. इसके बाद दुश्मन के इलाके में घुसकर और काफी नीचे तक मार करने वाले तीन जगुआर, करगिल जंग में पाकिस्तान घुसपैठियों के छक्के छुड़ाने वाले 6 मिराज 2000 और वायुसेना का सबसे खतरनाक और हर तरह के रोल में फिट 6 सुखोई 30 जमीन को छूकर उड़ जाएंगे. वायुसेना के लड़ाकू विमान ना केवल टच डाउन करेंगे बल्कि फोर्मेशन में उड़ान भरते हुए हवाई करतब भी दिखाएंगे. कार्यक्रम का समापन भी सी 130 के लैंडिंग से होगा जिस पर सवार होकर गरुड़ कमांडो वापस चले जाएंगे.