Home राष्ट्रीय ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी का निधन,PM मोदी ने जताया शोक…

ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी का निधन,PM मोदी ने जताया शोक…

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भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत में ठुमरी साम्राज्ञी के रूप में प्रख्यात पद्मविभूषण गिरिजा देवी का कोलकाता के बिरला अस्पताल में मंगलवार को रात करीब साढ़े नौ बजे निधन हो गया। सुबह तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गिरिजा देवी की नतिनी अनन्या दत्ता ने बताया कि सुबह नानी ने खूब बात की थी। फिर थोड़ी तबियत खराब होने की बात कही। उन्हें अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने जांच के बाद भर्ती कर लिया। देरशाम थोड़ा सुधार हुआ तो लेकिन फिर रात में करीब आठ बजे स्थिति नाजुक हो गई। रात को साढ़े नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बनारस घराने की सशक्त आवाज और संगीत की जीवंत मिसाल रहीं गिरिजा देवी काशी को संगीत का मुख्य केंद्र बनाने की इच्छा रखती थीं।  8 मई 1929 को बनारस में जन्मी गिरिजा देवी को 2016 में पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा गया था।

गिरिजा देवी का जन्म 8 मई, 1929 को बनारस में हुआ था और वे  बनारस घरानों की एक प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय गायिका रहीं। ठुमरी गायन को संवारकर उसे लोकप्रिय बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान है। संगीत की शुरूआती शिक्षा उन्होंने अपने पिता से ही ली थी। बताते हैं कि गायन को सार्वजनिक रूप से अपनाने के लिए उन्हें अपने परिवार का कड़ा विरोध झेलना पड़ा था। ठुमरी के अलावा उन्होंने अर्द्ध शास्त्रीय शैलियों कजरी, चैती, होली को भी अहमियत दी और वह ख्याल, भारतीय लोक संगीत और टप्पा भी गाती थीं। गिरिजा देवी के चले जाने से शास्त्रीय संगीत के साथ कला जगत में शोक की लहर देखी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।  मालिनी ने वाराणसी का जिक्र करते हुए कहा, बनारस उनके तन मन, वाणी और कर्म में बसता था। वो हमेशा कहती थी कि बनारस की इस कला को जिंदा रखो। नई पीढ़ी के लिए वह एक जीती जागती मिसाल है। कला की वह शानदार साधक थी।  उनका संगीत अद्भुत था वह किसी ईश्वरीय जादू की तरह था। 90 साल की उम्र में भी वह उत्साही थी। वो जब भी दिल्ली आती थीं, कभी होटल में नही ठहरी। हमेशा अपने शिष्य और शिष्याओं के पास ही रुकती थी। उनकी शिष्या मालिनी अवस्थी और सुनन्दा शर्मा के घर भी वो इसी साल रुकी थीं। मालिनी ने ट्वीट भी किया..

मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने कहा, “गिरिजा देवी न केवल एक शास्त्रीय गायिका थी वरन देश के लिए एक धरोहर और नगीना थी। उनके निधन ने हमें गरीब कर दिया। वहीं शुभा मुद्गल वह ने कहा, वो नई पीढ़ी के लिए एक मिसाल थी। उनको सुनकर ही बहुत कुछ सीखा जा सकता था। हम सबके लिए वह आदर्श थी। उनकी क्षति पूरी कर पाना संभव नहीं।” इनके अलावा पंकज उदास ने उनकी आवाज का जिक्र करते हुये कहा, “संगीत की वह विदुषी थी। उनकी आवाज में एक अलौकिक शक्ति थी। वह आपको बांध देती थी। उनके व्यक्तित्व में अपार स्नेह था। हम सबके लिए वह प्रेरणा थी। ऐसी साधिका को मेरा नमन।”

गिरिजा देवी उनका शव कोलकाता से विशेष विमान से लाया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

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