सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महाकाल मंदिर में शनिवार को भस्मारती अलग तरीके से हुई। सुबह 4 बजे पूजा के पहले शिवलिंग को पूरी तरह कपड़े से ढंका गया। इतना ही नहींं, अभिषेक के वक्त RO के पानी का इस्तेमाल किया गया। बता दें कि शिवलिंग का आकार छोटा (क्षरण) होने से बचाने के लिए मंदिर समिति के 8 सुझावों को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी। कोर्ट ने कहा था कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और याचिकाकर्ता 15 दिन के अंदर इस पर अपने सुझाव या आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं। अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी। नई व्यवस्था को अमल में लाने के लिए महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने शुक्रवार रात ही पुजारियों के लिए आदेश जारी कर दिए थे।
मंदिर समिति के मेंबर प्रदीप पुजारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भस्मारती में बदलाव किया गया है। शनिवार सुबह पूजा के वक्त RO के जल का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, शिवलिंग को कपड़े से ढंककर भस्म चढ़ाई गई। पहले सिर्फ श्रृंगार वाला हिस्सा ढंका जाता था।
उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही सारी व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
उज्जैन के ज्योतिर्लिंग के क्षरण की बात पहले भी सामने आती रही है, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट में पहली बार इस बात की पुष्टि हुई है कि नुकसान हो रहा है।उज्जैन की सारिका गुरु की याचिका पर जस्टिस अरुण मिश्रा और एल नागेश्वर राव की बेंच ने सुनवाई की। इससे पहले कोर्ट ने इसके लिए एक कमेटी बनाई थी, जिसने बाद में अपनी सिफारिशें दींं।
एक्सपर्ट कमेटी ने रिपोर्ट में माना कि दूध, दही, घी, शहद, शकर और फूलमाला भी शिवलिंग के क्षरण की वजह हैं। पूजा में रासायनिक पाउडर पर पाबंदी हो, लोहे की जगह प्लास्टिक की बाल्टियां इस्तेमाल की जाएं।
देश में 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग पर श्रद्धालु दूध-पंचामृत से अभिषेक नहीं कर सकता। इनमें ओंकारेश्वर, घृष्णेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, मल्लिकार्जुन, केदारनाथ और सोमनाथ शामिल हैं। यहां एक तय क्वांटिटी में पुजारी ही अभिषेक कर सकता है। बाकी 5 में से 3 ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ, रामेश्वरम और नागेश्वर में रोक तो नहीं है, लेकिन क्षरण न हो इसके लिए सावधानी भी बरती जा रही है।
– श्रद्धालु आधा लीटर से ज्यादा जल नहीं चढ़ाएंगे।
– अभिषेक का पानी 2016 में बनाए गए आरओ प्लांट से लिया जाएगा। इसके लिए गर्भगृह के पास कनेक्शन दिए जाएंगे।
– हर श्रद्धालु को 1.25 ली. दूध या पंचामृत चढ़ाने की इजाजत होगी।
– हर शाम 5 बजे जलाभिषेक के बाद गर्भगृह और शिवलिंग को सुखाया जाएगा। इसके बाद जलाभिषेक नहीं होगा। सूखी पूजा होगी।
– शिवलिंग पर चीनी पाउडर लगाने की इजाजत नहीं होगी। सिर्फ खांड इस्तेमाल की जाएगी।
– भस्म आरती के दौरान शिवलिंग सूखे सूती कपड़े से ढका जाएगा। अभी सिर्फ 15 दिन के लिए शिवलिंग आधा ढंका जाता था। भस्मारती में उपलों की राख का इस्तेमाल होता है।
– शिवलिंग को नमी से बचाने के लिए ड्रायर और पंखे लगाए जाएंगे। बेल पत्र व फूल-पत्ती केवल ऊपरी भाग में ही चढ़ेंगे।
– मंदिर में एक साल में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगेगा।
– अभिषेक का पानी 2016 में बनाए गए आरओ प्लांट से लिया जाएगा। इसके लिए गर्भगृह के पास कनेक्शन दिए जाएंगे।
– हर श्रद्धालु को 1.25 ली. दूध या पंचामृत चढ़ाने की इजाजत होगी।
– हर शाम 5 बजे जलाभिषेक के बाद गर्भगृह और शिवलिंग को सुखाया जाएगा। इसके बाद जलाभिषेक नहीं होगा। सूखी पूजा होगी।
– शिवलिंग पर चीनी पाउडर लगाने की इजाजत नहीं होगी। सिर्फ खांड इस्तेमाल की जाएगी।
– भस्म आरती के दौरान शिवलिंग सूखे सूती कपड़े से ढका जाएगा। अभी सिर्फ 15 दिन के लिए शिवलिंग आधा ढंका जाता था। भस्मारती में उपलों की राख का इस्तेमाल होता है।
– शिवलिंग को नमी से बचाने के लिए ड्रायर और पंखे लगाए जाएंगे। बेल पत्र व फूल-पत्ती केवल ऊपरी भाग में ही चढ़ेंगे।
– मंदिर में एक साल में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगेगा।