अयोध्या में राम मंदिर मसले को सुलझाने के लिए आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर मध्यस्थता को तैयार हैं। इस सिलसिले में वह हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों से संपर्क भी साधे हुए हैं। इसमें निर्मोही अखाड़ा और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी शामिल हैं।
इस बात की पुष्टि खुद श्रीश्री रविशंकर ने इंडिया टुडे से हुई बातचीत में की है। उन्होंने कहा है कि कुछ लोग उनसे मिले हैं और यह मुलाकात सकारात्मक रही है। अगर आगे मध्यस्थता करने की जरूरत पड़ती है, तो वह इसके लिए भी तैयार हैं।
बकौल आध्यात्मिक गुरु, ‘बस इतना ही है कि कुछ लोग मेरे पास आए और मिले है। मुद्दे को हल करने के लिए सभी लोगों में सकारात्मक ऊर्जा देखने को मिली। अगर इसमें मेरी भूमिका की जरूरत पड़ती है, तो मैं स्वेच्छा से ऐसा करने को तैयार हूं।’
श्रीश्री रविशंकर ने आगे कहा, ‘दोनों पक्षों को इस मसले पर उदारता का परिचय देते हुए आगे आना चाहिए। हालांकि अभी इस मसले पर कुछ भी जल्दबाजी में नहीं कहा जा सकता है। लेकिन, मेरी इच्छा है कि देश हित के लिए सभी को मिलकर आगे आना चाहिए।’
अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इस बीच भाजपा के कुछ नेता 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू होने की बात कर रहे हैं।
राम मंदिर का निर्माण दो ही सूरत में हो सकता है। पहला तो यह की सुप्रीम कोर्ट इसके लिए हरी झंडी दे या अदालत के बाहर हिंदू और मुस्लिम पक्ष सुलह करते हुए राम मंदिर के लिए तैयार हो जाएं।