मामला संधोल का है जहां चार गांव के एकमात्र बूथ में चुनाव बहिष्कार के चलते डेढ़ बजे तक कोई मतदान नहीं हुआ। वहां तैनात भारत निर्वाचन आयोग की इलेक्शन ऑबजर्वर रेणु तिवारी ने वहां पर तैनात बीएलओ आशा देवी को जबरन वोट करने को कहा और उसे बाजू से पकड़कर जबरदस्ती मतदान के लिए खींचकर अंदर ले गई और उससे मतदान करवाया।इसके बाद वह महिला बेहोश होकर गिर गई। जिसे 108 ऐम्बुलेंस में सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। जहां होश में आने के बाद महिला ने बताया कि ऑबजर्वर ने उसे बुलाकर पूछा कि वोट डाला या नहीं। इस पर जब बीएलओ ने कहा कि अभी तक गांव के किसी भी व्यक्ति ने वोट नहीं डाला है। इसलिए उसने भी अपना वोट नहीं दिया।
इतना सुनते ही वह सीडीपीओ से बीएलओं को जल्द सस्पेंड करने की बात कही। उसके बाद बीएलओं को अंदर ले गई और वोट डलवाया। डर के मारे वोट किसे किया उसे ये भी पता नहीं चला। इतना ही नहीं उस पर दबाव बनाया कि पांच और वोट करवाओ, नहीं तो आपकी जॉब चली जाएगी।
इतना सुनते ही वह सीडीपीओ से बीएलओं को जल्द सस्पेंड करने की बात कही। उसके बाद बीएलओं को अंदर ले गई और वोट डलवाया। डर के मारे वोट किसे किया उसे ये भी पता नहीं चला। इतना ही नहीं उस पर दबाव बनाया कि पांच और वोट करवाओ, नहीं तो आपकी जॉब चली जाएगी।
मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी संजीव ने अस्पताल में महिला के होश में आने के बाद उसका मेडिकल करवाया और आगे की जांच जारी है। जिला निर्वाचन अधिकारी मंडी उपायुक्त मदन चौहान का कहना है कि जांच के लिए नायब तहसीलदार संधोल को भेज दिया है। वहीं, एसपी मंडी अशोक कुमार ने कहा कि उनके ध्यान में मामला आया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
संधोलवासियों द्वारा विधानसभा चुनाव से करीब 2 महीने पहले ही क्षेत्र की अनदेखी के चलते मतदान के बहिष्कार का ऐलान कर दिया था। इस संदर्भ में उच्चाधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपे गए थे।