मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी एकादशी का जन्म हुआ था। उन्होंने मुर नामक दैत्य का वध कर भगवान विष्णु की रक्षा की थी। इसी दिन से एकादशी व्रत का आरंभ माना जाता है।
एकादशी का व्रत समस्त प्राणियों के लिए अनिवार्य बताया गया है। उत्पन्ना एकादशी व्रत में भगवान विष्णु एवं देवी एकादशी की पूजा का विधान है। उत्पन्ना एकादशी की सारी रात भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए। श्री हरि विष्णु से अपनी भूल या पाप के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
विधि-विधान से यह व्रत करने पर सभी तीर्थों का फल प्राप्त होता है। इस व्रत में परनिंदा, छल-कपट, लालच, द्वेष की भावना मन में न लाएं। एकादशी देवी, भगवान विष्णु की माया से प्रकट हुईं थीं, जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखता है वह मोहमाया के प्रभाव से मुक्त हो जाता है।