प्यू ने कहा कि कुल मिलाकर हर दस में से सात भारतीय देश में चल रही चीजों को लेकर ‘‘संतुष्ट’’ हैं। भारत की दिशा को लेकर सकारात्मक आकलन में 2014 से करीब दोगुनी वृद्धि हुई है।
सर्वेक्षण के अनुसार दक्षिणी राज्यों – आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना तथा पश्चिमी राज्यों – महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ में दस में से कम से कम नौ भारतीयों में प्रधानमंत्री को लेकर सकारात्मक रूख था। इसी तरह पूर्वोत्तर राज्यों – बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल तथा उत्तरी राज्यों – दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हर दस में से आठ से ज्यादा लोगों का ऐसा ही रूख था।
सर्वेक्षण के अनुसार, ‘‘2015 के बाद से मोदी की लोकप्रियता उत्तर में अपेक्षाकृत रूप से वैसी ही है, पश्चिम एवं दक्षिण में बढ़ गयी है और पूर्व में थोड़ी कम हुई है।’’ वहीं अमेरिका को लेकर सकारात्मक रूख रखने वाले भारतीयों की संख्या में कमी आयी है। 2015 में यह संख्या 70 प्रतिशत थी जो 2017 में घटकर केवल 49 प्रतिशत रह गयी।
केवल 40 प्रतिशत लोगों ने वैश्विक मामलों को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सही काम करने का भरोसा जताया जबकि 2015 में उनके पूर्ववर्ती बराक ओबामा को लेकर 74 प्रतिशत भारतीयों ने ऐसी राय दी थी।
चीन को लेकर भी ऐसा ही रहा। 2015 में चीन के प्रति सकारात्मक राय रखने वाले भारतीयों का आंकड़ा 41 प्रतिशत था जो 2017 में घटकर 26 प्रतिशत हो गया। सर्वेक्षण डोकलाम में हुए टकराव से पहले किया गया था।
इसमें कहा गया, ‘‘इसी तरह पिछले साल नवंबर में उच्च मूल्य वाले बैंक नोट को चलन से बाहर करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले के बावजूद आधी से भी कम भारतीय आबादी नकदी की उपलब्धता की कमी को एक बड़ा समस्या मानती है।’’