श्री श्री रविशंकर अयोध्या पहुंच चुके हैं। निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास से मुलाकात करेंगे। निर्मोही अखाड़ा से संबंधित मंदिरों के पंचों से करेंगे मुलाकात। राम मंदिर निर्माण के सुलह पर होगी बातचीत। मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी व हाजी महबूब से भी करेंगे मुलाकात। इकबाल अंसारी व हाजी महबूब से अलग अलग करेंगे मुलाकात। शहर के फ़ोर्ब्स इंटर कॉलेज में होगी गोष्ठी। दोनों पक्षों के पक्षकार और दोनों समुदाय के लोग होंगे शामिल।
भक्तों से करेंगे मुलाकात
इसके उपरांत तोताद्रि मठ में वह अपने भक्तों से भेंट करेंगे। देर शाम वह लखनऊ वापस जाएंगे। इससे पहले उनके आगमन के मौके पर अधिकांश संतों का समर्थन जुटाने का प्रयास बंगलुरु से आए उनके प्रतिनिधि स्वामी भव्य तेज की ओर से किया गया। इसी सिलसिले में उन्होंने दिगम्बर अखाड़ा में महंत सुरेश दास व दंतधावन कुंड के महंत नारायणाचारी के साथ संत समिति के अध्यक्ष व सनकादिक आश्रम के महंत कन्हैया दास रामायणी व रामायणी रामशरण दास के अलावा अन्य संतों से भेंट की। इसके साथ ही वह गुरुदेव को रिसीव करने के लिए लखनऊ रवाना हो गए। इस बीच बाबरी मस्जिद के पैरोकार हाजी महबूब के भी लखनऊ पहुंचने की खबर है।
हालांकि महबूब ने हिन्दुस्तान से दूरभाष पर बातचीत में कहा कि वह दिल्ली में अपने अधिवक्ता से भेंट करने गए थे और वहीं से वापस लौट रहे हैं। उनकी फ्लाइट देर शाम लखनऊ पहुंचेगी। इससे पहले आध्यात्मिक गुरु के आगमन को लेकर निर्मोही अखाड़ा की उम्मीदें खासी बढ़ गई हैं। दरअसल अयोध्या आगमन से पहले बंगलुरु में ही पिछले दिनों श्रीश्री रविशंकर ने निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेन्द्र दास समेत अखाड़े के अन्य प्रतिनिधियों व सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड से जुड़े प्रतिनिधियों को भी आमन्त्रित किया था। दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों की अंदरखाने हुई वार्ता में निर्मोही अखाड़ा को मुख्य पक्षकार के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
सूत्र यह भी बताते हैं कि सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों ने विश्व हिन्दू परिषद के खिलाफ निर्मोही अखाड़ा के साथ खड़े होने के लिए अपनी सहमति प्रदान कर दी है। अखाड़े के महंत दिनेन्द्र दास भी इसकी पुष्टि करते हैं। उनका कहना है कि सुन्नी बोर्ड सशर्त समझौते के लिए राजी है लेकिन पहले उसे सरकार के पक्ष से आश्वासन दिया जाना चाहिए। उधर मूल पक्षकार एवं अखिल भारतीय श्रीपंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्मदास का कहना है कि फिलहाल उनकी क्या योजना है, इसका उनकी ओर से खुलासा हो जाए तभी आगे बात की जा सकती है। इसके पहले कुछ भी कहने-सुनने का कोई औचित्य नहीं है।
अखिल भारतीय षड्दर्शन अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं हनुमानगढ़ी सागरिया पट्टी के महंत ज्ञानदास आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर के खिलाफ मुखर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 30 सितम्बर 2010 को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ की ओर से फैसला आने से पहले वह हाशिम अंसारी के साथ समझौता वार्ता कर उन्हें मनाने में कामयाब हो गए थे। उन्होंने बताया कि उनके साथ दूसरे अन्य पक्षकार भी हमारे समझौते के फार्मूले पर राजी थे।
उसी समय तत्कालीन विहिप सुप्रीमो अशोक सिंहल के कहने पर श्रीश्री रविशंकर ने उन्हें अपने दूत के माध्यम से बंगलुरु आने का निमन्त्रण देकर बुला लिया और मुझसे समझौता वार्ता रोकने का आग्रह करने लगे। उन्होंने समझौते का विरोध करते हुए विहिप के ही तर्कों को मेरे सामने भी रखा था लेकिन जब मैने इंकार कर दिया और वापस चला आया तो इन्हीं लोगों ने मिलकर मुस्लिम पक्ष पर दबाव डालकर हाशिम अंसारी को पैर पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। महंत श्री दास का कहना है कि उस समय जब श्रीश्री रविशंकर समझौते के खिलाफ थे तो आज कौन सी नई परिस्थिति पैदा हो गई है।
अयोध्या विवाद का सहमति से हल निकालने को प्रयासरत आध्यात्मिक गुरु और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने बुधवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर भेंट की। दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई मगर इस बातचीत का ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया गया। अन्य जगह पर पत्रकारों से बातचीत में रविशंकर ने कहा कि मेरे पास समाधान का कोई प्रस्ताव नहीं है, सभी पक्षों से खुले दिल से बातचीत करेंगे। मुख्यमंत्री के अलावा श्री श्री रविशंकर की बुधवार को लखनऊ में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, विहिप, शिवसेना के कई प्रतिनिधियों से भी बातचीत हुई। इनमें रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजय शरण और आचार्य चक्रपाणि आदि प्रमुख थे।