सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कई अटकलों और कयासों का दौर शुरू कर दिया है। राजनीतिक हलकों में चर्चा चल रही है कि चित्रकूट की हार के बाद अब बीजेपी आगामी दो उपचुनाव किसी भी कीमत पर जीतना चाहती है, इसलिए विधायकों को भी जिम्मेदारी दी जा सकती है। तो दूसरी तरफ चर्चा है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर ये बैठक बुलाई गई है।
वहीं चर्चा ये भी है कि मंत्रिमंडल विस्तार के पहले सीएम शिवराज सिंह विधायकों का मन टटोलकर क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व पर चर्चा कर सकते हैं। फिलहाल अचानक से बुलायी गयी विधायक दल की बैठक को लेकर अटकलों ने जोर पकड़ लिया है। राजधानी के सियासी और प्रशासनिक हलकों में आमतौर पर मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक के बाद शांति छा जाती है। ज्यादातर मंत्री और विधायक राजधानी में कामकाज निपटाने के बाद बुधवार तक अपने क्षेत्र के दौरों पर चले जाते हैं।
मंगलवार को हुई कैबिनेट के बाद तक ऐसा ही हुआ और बुधवार को ज्यादातर विधायक और मंत्री अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र की तरफ कूच कर गए, लेकिन बुधवार शाम को सभी को संदेश मिला कि शुक्रवार को सीएम हाऊस में विधायक दल की बैठक है और सबका पहुंचना अनिवार्य है। अचानक से बुलायी गयी इस बैठक के बाद कई तरह की अटकलों और कयासों का दौर शुरू हो गया है। बीजेपी के विधायक और मंत्री अचानक बुलायी गयी बैठक को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं।
इस बैठक को लेकर जो चर्चाएं राजनीतिक हलकों में जोर पकड़ रही है। उनमें पहली ये चर्चा है कि चित्रकूट हार के बाद सदमें में पहुंची बीजेपी अब आगामी मुंगावली और कोलारस चुनावों को लेकर कोई कमी नहीं चाहती है और किसी भी कीमत में कांग्रेस के खाते वाली ये सीट छीनकर चित्रकूट का जबाव कांग्रेस को देना चाहती है। ऐसे में बीजेपी अपने विधायकों और मंत्रियों को विशेष जिम्मेदारी देकर अभी से इन चुनावों में मोर्चा संभालने के लिए कह सकती है।
विधायकों व मंत्रियों की तैनाती के लिए बैठक
वहीं दूसरी तरफ माना जा रहा है कि 27 नवम्बर से विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है और किसानों और महिलाओं के मामले में हर मोर्चे पर घिरती नजर आ रही सरकार बैकफुट पर है। ऐसे में सत्र संचालन में अलग-अलग मोर्चों पर विधायकों और मंत्रियों की तैनाती के लिए ये बैठक बुलायी गयी है।
सरकार की सबसे बड़ी चिंता भावांतर योजना
वहीं चर्चा है कि अब मप्र विधानसभा चुनाव के लिए एक साल बचा है और सरकार मिशन 2018 की तैयारियों के लिहाज से मंत्रिमंडल विस्तार कर क्षेत्रवार और जातिवार समीकरणों को साधना चाहती है। इसलिए विधायकों और मंत्रियों से रायशुमारी की जा सकती है। फिलहाल माना जा रहा है कि सरकार की सबसे बड़ी चिंता भावांतर योजना और महिला अपराध के मुद्दों को लेकर है। इन मुद्दों से बचने के लिए सरकार रणनीति तय कर विधानसभा सत्र में उतरना चाहती है।