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Movie Review: ‘तुम्हारी सुलु’

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फिल्म : तुम्हारी सुलु

डायरेक्टर: सुरेश त्रिवेणी

स्टार कास्ट: विद्या बालन, मानव कौल, नेहा धूपिया

अवधि: 2 घंटा 20 मिनट

सर्टिफिकेट: U

रेटिंग: 3 स्टार

डायरेक्टर सुरेश त्रिवेणी ने ‘डेढ़ फुटिया’, ‘ माय डैडी स्ट्रॉन्गेस्ट’ और ‘कंडीशंस अप्लाई’ जैसी शार्ट फिल्म्स को डायरेक्ट करने के बाद अपनी पहली हिंदी फिल्म डायरेक्ट की है, जिसका नाम है तुम्हारी सुलु. इस फिल्म में उनके साथ विद्या बालन और मानव कौल जैसे मंझे हुए कलाकार हैं.

कहानी

यह कहानी सुलोचना उर्फ़ सुलु (विद्या बालन) की है, जो अपने पति अशोक (मानव कौल) और बेटे प्रणव के साथ रहती है. सुलु  महत्वाकांक्षी महिला है . जहां एक तरफ वह सोसाइटी के छोटे-छोटे कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेती है चाहे वह नींबू चम्मच की रेस ही क्यों ना हो, वहीं दूसरी तरफ रेडियो सुनने का उसे बहुत शौक है. वह बहुत सारे प्राइस रेडियो पर जीत चुकी है. अशोक एक टेक्सटाइल ऑफिस में काम करता है और कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब रेडियो स्टेशन पर अपना इनाम कलेक्ट करने के लिए सुलु जाती है और RJ बनने के कॉन्टेस्ट में पार्टिसिपेट करती है . जब रेडियो स्टेशन की हेड मारिया (नेहा धूपिया) को सुलु के बारे में पता चलता है तो वह देर रात के शो के लिए सुलु का सेलेक्शन करती हैं. अब नाइट शो में काम करने की वजह से शुरू जहां एक तरफ ऑफिस में रहती है वहीं दूसरी तरफ पति अशोक और बेटा प्रणव घर पर अकेले रहते हैं. सुलु का इस तरह रेडियो पर बातचीत करना उसकी बहनों और पिता को पसंद नहीं होता, बहुत सारे वाद विवाद होते हैं और अंततः एक रिजल्ट सामने आता है जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

 

फिल्म में एक बार फिर से विद्या बालन का जादू चल पड़ा है, उन्होंने इतनी फ्री फ्लो एक्टिंग की है, जो की देखते ही बनती है .एक पत्नी और मां होने के साथ साथ महत्वाकांक्षी महिला के रूप में जिस तरह से विद्या ने बेहतरीन अभिनय किया है वो देखते ही बनता है . वहीं विद्या के पति के रूप में अभिनेता मानव कौल की परफॉरमेंस भी काबिल ऐ तारीफ़ है. और अभिनय के आधार पर उन्हें इस फिल्म के बाद और भी किरदारों के लिए काम मिलना बेहद आसान होगा. साथ ही नेहा धूपिया और बाकी कलाकारों का काम सहज है. फिल्म की असली हीरो इसकी कहानी है जिसे खुद सुरेश त्रिवेणी ने अपने हाथों से लिखा है, डायरेक्शन, सिनेमाटोग्राफी और लोकेशन के हिसाब से भी फिल्म काफी रिच है . फिल्म की अच्छी बात यह भी है कि इसके जरिए महिला सशक्तिकरण के बारे में भी बात की जा रही है चाहे वह एक कैब की ड्राइवर हो या फिर एक गृहणी ही क्यों ना हो.

फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसका इंटरवल के बाद का हिस्सा है और खास तौर से क्लाइमैक्स. कहानी में प्रयोग में लाए गए किस्से और भी बेहतर हो सकते थे, जिस तरह से कहानी शुरू होती है आप उसमें खोने लगते हैं लेकिन इंटरवल के बाद के सीक्वेंस काफी लंबे हैं जो कि एक वक्त के बाद खींचे खींचे से नजर आते हैं जिन्हें अच्छे तरीके से तराशा जाता तो कहानी में और मजा आता. यही कारण है कि एक वक्त के बाद कहानी को प्रेडिक्ट करना काफी आसान हो जाता है.

फिल्म का बजट लगभग 17 करोड़ है और इसे 1000 से ज्यादा स्क्रीन्स में रिलीज किया जाना है. ख़बरों के मुताबिक़ फिल्म रिलीज से पहले ही डिजिटल, म्यूजिक और सैटलाईट्स जैसे सारे राइट्स बेच चुकी है जिसकी वजह से मुनाफे में पहले से ही है, देखना बेहद ख़ास होगा की इस फिल्म की ओपनिंग वीकेंड पर कितनी कमाई हो पाती है. वर्ड ऑफ़ माउथ फिल्म को और आगे ले जाएगा.

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