विकासखण्ड सेंधवा के ग्राम झापड़ीपाड़ला के रहवासी लाल सिंह और फुंदली बाई के घर 7 साल पहले रेखा का जन्म हुआ था। डाक्टरों को दिखाने पर पालकों को मालूम हुआ कि उनकी बच्ची जन्मजात मोतियाबिन्द से पीड़ित है। तीन बार बच्ची को इन्दौर ले गये किन्तु प्रायवेट अस्पताल में आपरेशन पर होने वाले भारी खर्च के चलते हर बार मायूस होकर लौट आए और अपनी नियति मानकर दूसरे कार्यो में लग गये।
मायूस पालकों के जीवन में रोशनी की किरण तब दिखाई दी जब 2 माह पूर्व उनके घर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम पहुंची। टीम ने बच्ची की आँख जॉच कर बताया कि बालिका के आँखो की रोशनी अभी भी आ सकती है। आँखो का आपरेशन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत निःशुल्क होगा।
रेखा को माता-पिता इन्दौर के चौईथराम अस्पताल में ले गये। वहां पर 27 अक्टूबर को रेखा की एक ऑख का निःशुल्क आपरेशन होने से अब उसे एक ऑख से दिखाई देने लगा। अब पालक एवं बालिका रेखा 6 माह बाद अप्रैल की उस तिथि का इंतजार कर रहे है जब उसकी दूसरी ऑख का भी निःशुल्क आपरेशन होगा और वह दोनों आँखो से इस सुंदर दुनिया को देखने लगेगी। एक ऑख की रोशनी लौट आने से अभीभूत रेखा अब दूसरे बच्चो के साथ खेलने लगी है। आंगनवाड़ी में जाकर स्कूल की पुरानी बातें देखकर सीखने लगी है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 वर्ष तक के ऐसे बच्चों का नि:शुल्क उपचार होता है, जिनके ओंठ कटे-फटे हैं या तालू में छेद है, आँखो में रोशनी की समस्या है या कानों से सुनाई नहीं देने के कारण वे बोल नहीं सकते। ऐसे सभी बच्चों के इलाज पर होने वाला लाखों रूपये का व्यय राज्य सरकार वहन करती है। इसी योजना के तहत बालिका रेखा के आँखों का आपरेशन करवाया गया है।
इस योजना के तहत 30 चयनित बिमारियों में 0 से 18 वर्ष तक के बच्चो का निःशुल्क इलाज करवाया जाता है। अभी तक बड़वानी जिले में इस योजना के तहत 107 कटे-फटे ओंठ वाले बच्चो, 2 मोतियॉबिन्द से पीड़ित बच्चों और 11 श्रवण बाधित बच्चो का इलाज करवाया गया है। योजना में बच्चों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा देने के लिये जिले में 16 दिसम्बर तक पुनः सर्वे कर उपयुक्त बच्चों के चयन की कार्यवाही शुरू की गई है।