यह फैसला खजराना मंदिर में लगी आरटीआई के संबंध में सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयोग ने लिया है। इंदौर के नेहरू नगर गली नंबर 7 के रहने वाले विनय सैनी ने खजराना गणेश मंदिर में आने वाले दान का उपयोग जानने के सम्बन्ध में एक आरटीआई लगाई थी। इस आरटीआई का जवाब मंदिर प्रबंध समिति द्वारा दिया गया था कि मंदिर राज्य सरकार से वित पोषित नहीं है, इस वजह से यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत नहीं दी जा सकती।प्रबंध समिति के इस जवाब पर सैनी ने तत्कालीन कलेक्टर पी. नरहरी के सामने अपील की, लेकिन उन्होंने भी यही जवाब सैनी को दिया। इसके बाद अक्टूबर 2017 में सैनी ने राज्य सूचना आयोग के समक्ष यह याचिका लगाई, जिसकी सुनवाई करते हुए आयुक्त राज्य सूचना आयोग हीरालाल त्रिवेदी ने यह फैसला सुनाया है और अब इसके तहत प्रदेश के ये मंदिर आरटीआई के तहत आ गए है।
राज्य सूचना आयोग के इस फैसले का मंदिर प्रबंध समिति ने स्वागत किया है। प्रबंध समिति से जुड़े मंदिर के मुख्य पुजारी अशोक भट्ट का मानना है कि यह एक बढ़िया फैसला है, इसका स्वागत करते है। अब कोई भी भक्त आरटीआई लगाकर मंदिर के दान का उपयोग जान सकेगा। श्रधालुओं के दान से मंदिर में करोड़ों रुपयों का विकास कार्य किया गया है। जो कोई भी जानकारी मांगेगा उसे जानकारी दी जाएगी।
वही मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं का भी मानना है कि यह अच्छा हुआ है। इससे मंदिर का हिसाब-किताब और यहां आने वाले दान के उपयोग की जानकारी भक्तों को मिल सकेगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी। मंदिर में आने वाले दान में हेरफेर होने की शिकायते आए दिन आती रहती थी, लेकिन अब मंदिर सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आने की वजह से भक्तों को यह जानने के अधिकार रहेगा कि उनके द्वारा मंदिर में दिए जा रहे दान का किस तरह से इस्तेमाल हो रहा है। कहीं इसके गलत उपयोग तो नहीं हो रहा।