जयभान सिंह पवैया ने कहा कि ‘उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित मीट में सरकार, उद्योगपति और विश्वविद्यालयों को शामिल कर किया गया मंथन सराहनीय है।’ उन्होंने कहा कि ‘सम्पन्न विचार-मंथन का प्रतिवेदन प्रस्तुत करें, सरकार उस पर विचार करेगी।’
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि ‘विश्वविद्यालय को शोध कार्यों पर जोर देना होगा।’ उन्होंने कहा कि ‘विश्वविद्यालय शब्द में विश्व जुड़ा हुआ है। इसका आशय है कि विश्वविद्यालय पूरे विश्व से जुड़े हैं। उनका दायित्व है कि ऐसी शिक्षा दें जो पूरे विश्व में प्रभावशील रहे। ऐसे शिक्षा पाठ्यक्रम का निर्धारण करना होगा, जिससे युवा बेरोजगार नहीं रहे।’पवैया ने कहा कि युवाओं को सामाजिक सरोकार से जोड़ना होगा। उन्होंने संस्कारयुक्त शिक्षा देने की पहल में ‘गुरुवे नमः’ कार्यक्रम को सहयोगी बताया। जयभान सिंह पवैया ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में आत्मचिंतन कर वर्ष 2022 तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने में विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे देश की तस्वीर बदलेगी।
एआईयू के प्रेसीडेंट प्रो. पी.बी. शर्मा ने कहा कि ‘पूर्वजों ने हमारे लिये ज्ञान, आचरण और व्यवहार की शिक्षा की व्यवस्था की थी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को क्षमतावान विद्यार्थी तैयार करने होंगे। इसके लिये हमें समाज को भी शिक्षा व्यवस्था से जोड़ना होगा। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में जल्दी ही रिसर्च और इनोवेशन सेंटर की स्थापना की जाएगी।’
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील कुमार ने कहा कि ‘शिक्षकों का समाज में विशेष स्थान है। शिक्षक समाज को गढ़ने का काम करता है। शिक्षक वह बुद्धिजीवी व्यक्ति है जो समाज की संरचना करता है और उसकी बात सभी मानते हैं।’ इस मौके पर यूआईटी के डायरेक्टर प्रो. आर.एस. राजपूत भी मौजूद थे। कार्यक्रम के पहले उच्च शिक्षा मंत्री ने उद्योगपतियों और कुलपतियों से राउंड टेबल पर चर्चा की।