महिला एवं बाल विकास विभाग ने ऐसा प्रस्ताव राज्य सरकार के पास बनाकर भेजा है। इस प्रस्ताव के पीछे महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस का कहना है कि ‘ये प्रस्ताव इसलिए भेजा गया है कि अन्याय और ज्यादती का शिकार हुई महिलाओं में आत्मरक्षा का भाव जागे और उनमें सुरक्षा की भावना पैदा हो।’ महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसका प्रस्ताव भेजा है। हालांकि अभी शिवराज सरकार ने इस प्रस्ताव पर विचार नहीं किया है।
कैबिनेट में मंजूरी के बाद इस प्रस्ताव पर मुहर लग पाएगी। हालांकि इस प्रस्ताव के साथ ये भी तय किया गया है कि महिलाओं को शस्त्र लाइसेंस देने के लिए वहीं नियम प्रक्रिया लागू होगी, जो पुरुषों के लिये होती है। इसके लिए शस्त्र नियम 2016 का पूरी तरह से पालन करना होगा। नियम और प्रावधानों के पालन के बाद ही पीड़ित महिलाओं और बेटियों को शस्त्र लाइसेंस दिया जाएगा।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस ने कहा कि शस्त्र लाइसेंस लेने की अपनी नियम प्रक्रिया है, कोई घर आकर शस्त्र लाइसेंस किसी को भी नहीं दे सकता है, लेकिन अगर कोई भी महिला शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन करे और उसका व्यक्तिगत जीवन और आवश्यकता शस्त्र लाइसेंस पाने की है और नियम प्रावधानों को पूरा करती है, तो बहनों और बेटियों को शस्त्र लाइसेंस देने का काम सरकार को करना चाहिए। ताकि उनमें आत्मरक्षा और सुरक्षा का भाव जागे और आत्मविश्वास बढ़े।