नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। राज्यसभा में आज विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा में आज गुलाम नबी आजाद ने पीएम की ओर से पूर्व पीएम मनमोहन सिंह व पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर लगाए गए आरोपों को गंभीर मसला बताया। उन्होंने कहा कि पीएम को अपना रूख साफ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम व पूर्व उपराष्ट्रपति पर आरोप लगाना आपत्तिजनक है।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पूर्व पीएम, पूर्व उपराष्ट्रपति, पूर्व आर्मी चीफ व अन्य पर आरोप लगाया है। यह बड़ा मुद्दा है। इस पर देश-विदेश में चर्चा हो रही है। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री को राज्यसभा में आना चाहिए और उन्होंने जो आरोप लगाए हैं, उनका सबूत देना चाहिए या फिर न केवल सदन से बल्कि पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। इससे पहले दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित की गई थी। राज्यसभा में विपक्ष ने शरद यादव और अली अनवर की सदस्यता रद्द किए जाने का मामला उठाया। विपक्षी सदस्यों ने तानाशाही नहीं चलेगी के नारे लगाए। दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद लोकसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद में सकारात्मक बहस होनी चाहिए। पीएम ने कहा कि दूरगामी प्रभाव वाले बिल संसद में आएंगे। पीएम ने कहा कि 2017 से शुरू हुआ संसद का शीत सत्र 2018 तक चलेगा। उन्होंने कहा कि संसद सत्र के समय का उपयोग देश हित में हो।
उन्होंने कहा कि सदस्यों के नवोन्मेषी सुझाव से संसद का उपयोग देश की समस्याओं के समाधान में हो सकेगा। प्रधानमंत्री ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि संसद का हमारा शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। मुझे विश्वास है कि 2017 में प्रारंभ हो रहा यह शीतकालीन सत्र, जो 2018 तक चलेगा, उसमें सरकार के कई महत्वपूर्ण कामकाज सदन में आएंगे, जो दूरगामी प्रभाव पैदा करने वाले हैं। इसमें अच्छी बहस हो, सकारात्मक बहस हो, नवोन्मेषी सुझावों के साथ बहस हो, तो संसद के समय का उपयोग देश की समस्याओं के निवारण के लिए अधिक कारगर ढंग से हो सकेगा।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम हमेशा रचनात्मक सुझावों के पक्ष में रहे हैं। हम संसद को चलाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि मुद्दों पर चर्चा हो, पर हमारे सवालों का जवाब नहीं मिला। सरकार का रवैया लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। सरकार को विपक्ष का सम्मान करना चाहिए।संसद का आज से शुरू होने जा रहा शीतकालीन सत्र हंगामेदार हो सकता है। कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में नोटिस दिया है। कांग्रेस मनमोहन सिंह मामले को संसद में उठाएगी। कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग कर रही है। सत्र के दौरान विपक्ष गुजरात चुनाव में सत्ता के कथित इस्तेमाल, सत्र में विलम्ब के साथ-साथ जीएसटी, नोटबंदी, राफेल और किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा।
ऐसी संभावना है कि सत्र के पहले दिन लोकसभा में शुक्रवार को कोई कामकाज नहीं होगा और दिवंगत सदस्य को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन दिनभर के लिए स्थगित किया जा सकता है। दोनों सदन में जब सप्ताहांत की छुट्टियों के बाद सोमवार को बैठक होगी, उस दिन गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम घोषित होंगे। सरकार का तीन तलाक पर लगी अदालती रोक को कानूनी जामा पहनाने के लिए भी विधेयक पेश करने और पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने वाले संविधान संशोधन विधेयक को पुन: लाने का भी इरादा है।
सत्र के दौरान नागरिकता संशोधन विधेयक 2016, मोटरवाहन संशोधन विधेयक 2016 और ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिकार संरक्षण विधेयक को पारित कराने पर भी जोर दिया जा सकता है। इस सत्र के दौरान 25 विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद है, जिसमें से 14 नए विधेयक होंगे।
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि संसद चर्चा का सर्वोच्च स्थान है और सरकार नियमों के तहत किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार है। मोदी सरकार गरीब हितैषी सरकार है। विपक्ष को अपनी बात रखनी चाहिए और नियमों के तहत चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे महत्वपूर्ण विधेयकों पर उपयोगी और रचनात्मक बहस में सहयोग करें और संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से चलना सुनिश्चित करें।
इससे पहले संसद सत्र में विलंब को लेकर सरकार विपक्ष की तीखी आलोचना का सामना कर चुकी है। 15 दिसंबर से शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र 5 जनवरी तक चलेगा। सत्र के दौरान अध्यादेश के स्थान पर तीन विधेयक लाये जाने का प्रस्ताव किया गया है जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (राज्य़ों को मुआवजा) अध्यादेश, 2017 के स्थान पर विधेयक शामिल है। यह अध्यादेश 2 सितंबर 2017 को जारी किया गया था। इसके अलावा सरकार का ऋण शोधन और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश और भारतीय वन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 के स्थान पर भी विधेयक लाने का सरकार का प्रस्ताव है।
सत्र के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दल कई मुद्दों पर सरकार को निशाने पर लेने का प्रयास कर सकते हैं। इस सत्र में जीएसटी तथा नोटबंदी को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो सकती है। कांग्रेस शुरुआत से ही जीएसटी और नोटबंदी को लागू करने के फैसले को जल्दबाजी में लिया गया कदम बताती आई है।