सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर को 1966 को पटना साहिब में हुआ था। सिख धर्म में उन्हें शौर्य और अध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। गुरु गोविंद सिंह के शौर्य और बलिदान को याद करते हुए प्रत्येक वर्ष 22 दिसंबर को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। 1699 की बैसाखी के दिन ही उन्होंने अपने पांच शिष्यों को लेकर खालसा पंथ की स्थापना की। गुरु गोविंद सिंह ने 17वीं शताब्दी में लोगों को शिक्षा देते हुए तो बातें कहीं है वह आज भी महत्वपूर्ण हैं।
पढ़िए गुरु गोविंद सिंह की वो सात बातें जो सफलता के लिए हैं जरूरी-
1- कम करन विच दरीदार नहीं करना: यानी अपने काम में खूब मेहनत करें और काम में कभी भी कोताही न बरतें।
2– धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नै करना: यानी अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर कभी अभिमान न करें।\
3- दुश्मन नाल साम, दाम, भेद, आदिक उपाय वर्तने अते उपरांत युद्ध करना: दुश्मन से भिड़ने पर पहले साम, दाम, दंड और भेद को प्रयोग में लाना चाहिए और आखिरी विकल्प के तौर पर ही सामने से युद्ध में उतरें।
4- किसी दि निंदा, चुगली, अतै इर्खा नै करना: किसी की चुगली, निंदा न करें और ईर्ष्या करने से भी बचना चाहिए।
5- बचन करकै पालना: अपने बचनों का पालन करें या जो किसी से वादा करें उस पर खरा उतरें।
6- शस्त्र विद्या अतै घोड़े दी सवारी दा अभ्यास करना: खुद को सुरक्षित रखने के लिए शारीरिक रूम से बमबूत बनाएं, हथियार चलाने का अभ्यास करें और घुड़ सवारी या अन्य अभ्यास करें।
7- परदेसी, लोरवान, दुखी, अपंग, मानुख दि यथाशक्त सेवा करनी: यानी परदेसी, दुखी व्यक्ति, विकलांग और जरूरतमंदों की मदद करना चाहिए।